रायपुर। छत्तीसगढ़ भाजपा किसान मोर्चा ने धान मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान बीजेपी किसान मोर्चा ने धान की बर्बादी को लेकर सरकार को जमकर घेरा. उन्होंने कहा कि लापरवाही के कारण प्रदेश में 9 लाख क्विंटल धान सड़ गया. बालोद ज़िले में चार करोड़ का धान पूरी तरह से ख़राब  हुआ. इसी तरह अन्य जिलों में धान खराब हो गया. साथ ही बीजेपी ने सरकार पर धान गायब होने को लेकर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया.

BJP किसान मोर्चा ने जारी किया जांच रिपोर्ट

बीजेपी ने कहा कि पिछले छह महीने से धान सोसायटी में धान बर्बाद हो रहा है. खुले आसमान के नीचे रखे धान की ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. बेमेतरा जिला में 10 करोड़ का सीधा नुक़सान हुआ. रायपुर ज़िले में 60 करोड़ का धान पूरी तरह बर्बाद हो गया. कवर्धा ज़िले में 2 लाख क्विंटल धान बर्बाद हुआ है, जिससे 400 कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफ़ा दिया है. सभी ज़िलों से जांच दल ने सर्वे क़र रिपोर्ट जारी किया है.  साथ ही कहा कि 9 लाख क्विंटल धान सड़ गया. किसानों की मेहनत को बर्बाद करना राष्ट्रीय अपराध है.

सोसायटियों में खुले में रखा है धान

BJP किसान मोर्चा ने कहा कि प्रदेश में पिछले 6 महीनों से धान सोसायटियों में खुले में रखा हुआ है, जिसके चलते करोड़ों रूपयों का धान सुखत और वर्षा के कारण बर्बाद हुआ, जिसके चलते प्रदेश भाजपा के निर्देश से प्रदेश अध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा श्याम बिहारी जायसवाल ने प्रत्येक जिले में भाजपा किसान मोर्चा ने जांच दल का गठन किया था. सभी जिलों में जांच दल ने 19, 20, 21, जून को सोसायटियों में जाकर निरीक्षण करके धान के संबंध में वास्तिविक रिपोर्ट दी है.  जांच दल के प्रभारी गौरीशंकर श्रीवास थे.

जांच रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु

1. कवर्धा जिले के 94 धान खरीदी केंद्रों में 39,34,600 क्विंटल धान की खरीदी को गई, जिसमें अभी भी 5 लाख क्विंटल धान का उठाव नहीं हुआ है. अकेले लोहारा ब्लॉक के सुरजपुरा के जंगल के धान केन्द्र में रखा हुआ 2000 क्विंटल धान बर्बाद हुआ. इस तरह अकेले कवर्धा जिले में लगभग 2 लाख क्विंटल पूरी तरह सड़ चुका है. छत्तीसगढ प्रदेश के इतिहास में ये पहली घटना है कि धान उठाव में देरी और वेतन नहीं मिलने से कवर्धा जिले के सहकारी समिति में कार्यरत 400 कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा देकर सारी बातों को प्रमाणित किया.

2. बालोद जिले की रिपोर्ट बेहद चौकाने वाली है. आज भी वहां पर 9 लाख क्विंटल धान विभिन्न सोसायटियों में रखा हुआ है, जिसका उठाव का काय पूरी तरह से ठप पड़ा है. सबसे गौर करने वाली बात ये है कि बालोद जिले में 1 लाख क्विंटल धान समितियों से नदारत पाया गया है, जिसकी कीमत 25 करोड़ रूपये है. यह एक बड़े भ्रष्टाचार का मामला है. पूरे जिलों मे 4 करोड़ का धान पूरी तरह से खराब हो चुका है. कांकेर सांसद, मोहन मंडावी के द्वारा ये मामला लोक सभा में भी उठाया जाएगा.

3. बेमेतरा जिला – सरकार की गलत नितियों से बेमेतरा जिला में धान उठाव की गति काफी धीमी है. बेमेतरा जिला के नवागढ़ विधानसभा के ग्राम गुजेरा, बुदेला, सम्बलपुर, गोढ़ीकला, पुटपुरा, मारो, कटई, बदनारा, नारायणपुर के धान खरीदी केन्द्रों का संघन निरीक्षण करने में यह पाया गया. बुंदेला में 5692, पुटपुरा में 2129, सम्बलपुर में 7466, गोढीकला में 1576, बदनारा में 14504, गुजेरा में 10134, नारायणपुर में 1099, मारो में 10553, क्विंटल का धान बर्बाद हो चुका है, जिससे सरकार को 10 करोड़ का सीधा नुकसान होना तय है.

4. रायपुर जिले में फरफौद आंरग समिति खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 का संग्रहित धान जिसमें कस्टम बिलिंग का आरो जारी करने की बात धान भीग जाने की वजह से मिलर्स ने धान उठाने से स्पष्ट मना किया. इसी तरह अभनपुर के जौन्दी धान केन्द्र में 60 करोड़ का धान पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है. ये अपने आप में काफी बड़ी क्षति है. इसी तरह तरपोंगी, मलौद, भाटापारा, तिल्दा, धरमपूरा, जोबा, धलेरा, छडीया, मंदिर हसौद, कठिया नयापारा, गिरौद, उरला, तामासिवनी, रवेली, खरोरा, खपरीखुर्द, बंजारी, चण्डी, कनकी, चांपाझर, सारागांव, निलजा, गुजा, दोन्देकला, समेत कई ब्लाको के धान खरीदी एवं धान संग्रहण केन्द्रो में आज भी लगभग 3 लाख मी. टन से ज्यादा धान खुली अवस्था में रखा हुआ है जो कि एक राष्ट्रीय क्षति है.

5. महासमुन्द जिले के पिथौरा में कोहकुड़ा धान खरीदी केन्द्र पंजीयन क्र 874 में निरीक्षण के दौरान स्टाक पंजीयन, धान उठाव, और धान सुखत मिलान के बाद 687 क्विंटल धान अतिरिक्त पाया गया, जबकि खुले मैदान में 44 क्विंटल धान को लापरवाही पूर्वक रखा गया है. इस जांच में ये बात प्रमाणित होती है कि किसानों से खरीदी के दौरान अतिरिक्त धान लिया गया है, जो कि एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर सीधा इशारा करता है. पूरे महासमुंद जिले में धान खरीदी के दौरान नापतोल में बड़ी गडबड़ी की गई है.

6. कोरिया जिला में धान खरीदी के दौरान सरकार के कु-प्रबंधन से धान 5 हजार क्विंटल धान पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है. जांच दल ने जिला मुख्यालय धान खरीदी केन्द्रों में जाकर सभी आवक-जावक और पंजीयन के दस्तावेजो को खंगाल कर सारी जानकारी एकत्रित किए.

7. धमतरी जिला के कार्यकर्ताओं के द्वारा निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि सभी सहकारी समितियों में धान भण्डारण की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है, जिसके चलते पूरे जिलों में धान आज भी बारिश के कारण भीग रहे हैं. निरीक्षण के दौरान भाटागांव सोसायटी में 1,20,000 क्विंटल धान की खरीदी की गई, जिसमें 6,300 क्विंटल का धान शार्टेज दर्शाया जा रहा है. इसी तरह पूरे जिले में लगभग 40 हजार मी.टन धान देरी से उठाव के चलते बरबाद होने के कगार पर है.

8. कोण्डागांव जिला में 49 उपार्जन केन्द्र आते है, जिसके निरीक्षण के दौरान भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने रिपोर्ट दिया. कोण्डागांव जिला में विश्रामपुरी, फररसगांव, जोबा, और कोण्डागांव मुख्य संग्रहण केन्द्र है. पूरे जिलों में 1434683 धान का उपार्जन किया है जबकि परिधान की संख्या 1390154 है, जिसमें 44529 धान आज भी जीर्ण अवस्था में रखा गया है. सही समय पे उठाव नहीं होने पर जिसका बरबाद होना तय है. दस्तावेज संलग्न हैं.

9. पूरे प्रदेश की धान खरीदी केंद्रों एवं संग्रहण केंद्रों में 4,50,000 क्विंटल धान सार्टेज हो चुका है.  4,50,000 क्विंटल धान बारिश से भीग कर खराब हो चुका है. इस प्रकार 9 लाख क्विंटल धान सरकार के कुप्रबंधन व अव्यवस्था की भेंट चढ़ गई.

10. खरीदे धान की सुखत को सोसायटियों पर डालकर हजारों सोसायटी के कर्मचारियों का वेतन काट रही है, जिससे हजारों सोसायटी कर्मचारी नौकरी छोड़ने को विवश है. इसका उदाहरण कवर्धा जिले के लगभग 400 कर्मचारी नौकरी छोड़ चुके हैं. ऐसे में कई कर्मचारी आत्महत्या करते हैं तो इसकी जवाबदारी कांग्रेस सरकार की होगी.

11.प्रदेश की कांग्रेस सरकार गोबर खाद (वर्मी कम्पोस्ट) के नाम पर प्रदेश के किसानों का लूट रही है. 2 रूपए किलों गोबर खरीद कर किसानों को 10 रूपए में जबरदस्ती दिया जा रहा है. यही कारण है कि प्रदेश में रसायनिक खाद की किल्लत पैदा कर 10 रूपए किलों जबरदस्ती गोबर खाद किसानों को देने के फिराक में है.

12.प्रदेश की कांग्रेस सरकार की नीयत छत्तीसगढ़ के मेहनतकश किसानों के प्रति साफ नहीं है. इसका ज्वलंत उदाहरण बोवाई प्रारंभ होने से पहले प्रदेश सरकार कोरोना कॉल में बिना सर्वे कराये प्रदेश भर के किसानों का रकबा संसोधन एवं निरस्त करने का काम कर रही है। अभी तक प्रदेश में 5562236 हे0 रकबा किसानों का कम किया जा चुका है.

13.कोरोना काल के बाद प्रदेश के किसानों के हालात बहुत खराब हुए हैं, यदि कांग्रेस की सरकार किसानों की सच्ची हितैषी है, तो पिछले समय के बचे हुए 2 साल का बोनस एवं 2020-21 में खरीदे गए धान की शेष अंतर की राशि एक मुस्त प्रदान करें.

देखिए सर्वे रिपोर्ट-

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