नई दिल्ली। केंद्र सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ोतरी की घोषणा की है. जिसे देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक देवेंद्र शर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि जो बढ़ोतरी हुई है वह महंगाई दर के हिसाब से कम है. स्वामीनाथन कमीशन के अनुसार एमएसपी दिया जाना चाहिए था.
देवेंद्र शर्मा ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि धान में जो MSP बढ़ाई है वो बढ़ोतरी है 3.8 प्रतिशत की. अगर महंगाई को देखे तो उससे कम है. इन्हीं कारणों से देश के किसान मांग करते हैं कि स्वामीनाथन कमीशन रिपोर्ट के अनुसार, 50 प्रतिशत अधिक दाम मिले, वो भी सी2 (सी2+50) लागत के ऊपर. अभी जो मूल्य बढ़ाई गई है, वो अगर महंगाई को भी कवर नहीं करता है, तो ऐसे में किसानों की कैसे मदद की जाए, इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए.
सामाजिक कार्यकर्ता और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने लल्लूराम डॉट कॉम से कहा कि MSP दर की घोषणा छह माही मजाक बन गया है. सरकार एक बार फिर से नियमित और अल्प वार्षिक वृद्धि को ऐतिहासिक घोषणा के रूप में किसानों को देने की कोशिश कर रही है. इस साल भी यही मजाक हो रहा है. वास्तव में इसे रुपयों के बजाय प्रतिशत में देखना चाहिए. प्रतिशत में देखें तो एक से 5 तक की बढ़ोतरी हुई है. जो कि पिछले साल बढ़ी हुई कीमतों से कम है. दरअसल बढ़ोतरी नहीं घटोतरी है.
उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक देने का दावा फर्जी है. यह तालिका दर्शाती है कि पिछले वर्ष MSP क्या होना चाहिए था. यदि सरकार ने स्वामीनाथन आयोग द्वारा अनुशंसित व्यापक लागत (सी 2) पर 50 प्रतिशत की पेशकश की थी. (इस वर्ष C2 की लागत अभी तक सरकार द्वारा जारी नहीं की गई है).
सी2 क्या है
निर्धारित फसलों के लिए एमएसपी का आकलन करने वाले कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) खेती की लागत के तीन वर्ग बनाए हैं – ए2, ए2+एफएल और सी2. ‘ए2’ में फसल उत्पादन के लिए किसानों द्वारा किए गए सभी तरह के नगद खर्च जैसे- बीज, खाद, ईंधन और सिंचाई आदि की लागत शामिल होती है. ‘ए2+एफएल’ में नगद खर्च के साथ फैमिली लेबर यानी फसल उत्पादन लागत में किसान परिवार का अनुमानित मेहनताना भी जोड़ा जाता है. उधर, ‘सी2’ में खेती के व्यवसायिक मॉडल को अपनाया गया है. इसमें कुल नगद लागत और किसान के पारिवारिक पारिश्रामिक के अलावा खेत की जमीन का किराया और कुल कृषि पूंजी पर लगने वाला ब्याज भी शामिल किया जाता है.
धान की MSP 1868 रुपए से 1940
बता दें कि केंद्र सरकार ने आज धान सहित अन्य खरीफ फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी करने की घोषणा की है. धान की कीमत में 72 रुपए की बढ़ोतरी करते हुए 1868 रुपए से 1940 रुपए प्रति क्विंटल किया है, वहीं बाजरा का एमएसपी 2150 रुपए से बढ़ाकर 2250 रुपए प्रति क्विंटल किया है.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने की ये घोषणा
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुधवार को हुई. बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि विगत 7 वर्षों में किसान के पक्ष में बड़े निर्णय हुए हैं, ताकि किसानों की आमदनी बढ़ सके और उनमें ख़ुशहाली आ सके. एमएसपी (MSP) 2018 से लागत पर 50% मुनाफ़ा जोड़कर घोषित की जाती है. उन्होंने कहा कि जारी खरीफ विपणन सीजन 2020-21 में एमएसपी पर 813.11 लाख मीट्रिक से अधिक धान की खरीद की गई, जिससे 120 लाख से अधिक किसानों को लाभ हुआ है. पिछले साल के 736.36 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी.
नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किसानों के क्षेत्र एक के बाद एक निर्णय लिए गए, जिससे किसान की आय बढ़े. खेती फायदे का सौदा इसके लिए काम किया गया. उन्होंने कहा कि पिछले दिन जब रिफॉर्म के बारे में बात हुई थी तो MSP को लेकर बहुत बात हुई थी. उस वक्त भी हमने कहा था एमएसपी है, और आने वाले समय में भी जारी रहेगी. इसलिए सरकार एमएसपी का एलान कर रही है. इस कड़ी में धान के साथ धान, बाजरा और अरहर की एमएसपी में बढ़ोतरी की गई.
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