फीचर स्टोरी। पूरा देश बीते एक साल से कोरोना संक्रमण के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहा है. छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं रहा है. बावजूद इसके सरकार ने आदिवासी अँचलों और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बंद होने नहीं दिया. जिससे गाँव, गरीब और आदिवासियों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़े. फिर चाहे कार्य मनरेगा का हो या फिर आदिवासी क्षेत्रों में वनोपज संग्रहण का.
वैसे भी आदिवासियों की आजीविका का सबसे बड़ा साधन वनोपज ही है. इसमें सबसे बड़ा कार्य है तेंदूपत्ता संग्रहण का. तेंदूपत्ता से आदिवासियों को सालाना अच्छा लाभा हो जाता है. सरकार भी यह समझती है कि आदिवासियों की निर्भरता तेंदूपत्ता संग्रहण पर सर्वाधिक है. यही वजह है कि सरकार ने कोरोना का बड़ा संकट होने के बाद कोरोना गाइडलाइन के साथ पूरी सुरक्षा के बीच संग्रहण के कार्य को जारी रखा है.
तेन्दूपत्ता संग्रहण का कार्य शुरू
बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी आदिवासी क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्रहण की शुरुआत हो गई है. दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य को शुरू करने के निर्देश दिए थे. मुख्यमंत्री ने आदिवासी परिवारों को कोरोना गाइड लाइन की जानकारी देने, सुरक्षा देने और नियमों का पालन के साथ कार्य को संचालित करने को कहा था. मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य के सुचारू संचालन के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूर्ण कर ली गई है.
कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने का निर्देश
मुख्यमंत्री बघेल ने बीते दिनों जिलेवार कोरोना संक्रमण की स्थिति के संबंध में ली गई समीक्षा के दौरान निर्देशित किया था कि राज्य में लघु वनोपजों के संग्रहण कार्य को भी निरंतर जारी रखा जाए, ताकि जरूरतमंदों को रोजगार के लिए भटकना न पड़े और उनकी अतिरिक्त आमदनी भी सुनिश्चित हो. इनमें लघु वनोपजों के संग्रहण के दौरान कोविड-19 के गाइडलाईन तथा आवश्यक सावधानियां का पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.
वन मंत्री अकबर के मार्गदर्शन में सभी आवश्यक तैयारियां पूर्ण
इस संबंध में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने भी प्रमुख सचिव वन मनोज पिंगुआ तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी को सभी वन मंडलों में आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं.
बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर
प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ संजय शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में राज्य के दंतेवाड़ा तथा सुकमा वन मंडल (जिला यूनियन) के अंतर्गत तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य चालू है, जो माह मई के प्रथम सप्ताह तक सभी 31 जिला यूनियनों में तेन्दूपत्ता संग्रहण का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। तेन्दूपत्ता संग्राहकों को संग्रहण पारिश्रमिक की राशि का हस्तांतरण उनके बैंक खाते में सीधे ऑनलाईन के माध्यम से किया जाएगा।
चालू वर्ष में 16.71 लाख मानक बोरा संग्रहण का लक्ष्य
सरकार ने राज्य में चालू वर्ष के दौरान 16 लाख 71 हजार मानक बोरा तेन्दूपत्ता के संग्रहण का लक्ष्य रखा है. इस वर्ष राज्य के 31 जिला यूनियनों में 954 लाटों की अधिसूचित मात्रा 16.717 लाख मानक बोरा तेन्दूपत्ता अनुमानित है जिसमें से 775 लाटों की मात्रा 13.481 लाख मानक बोरा का अग्रिम विक्रय औसत दर 6609 रूपए प्रति मानक बोरा की दर से राशि 890.97 करोड़ रूपए में किया गया है, जो कि संग्रहण वर्ष 2020 की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक मात्रा एवं 56 प्रतिशत अधिक मूल्य में विक्रय किया गया है। शेष 179 लाट की मात्रा 3.236 लाख मानक बोरा तेन्दूपत्ता का विभागीय संग्रहण किया जाएगा.
जिलेवार यह रखा गया लक्ष्य
अपर प्रबंध संचालक एस.एस. बजाज ने बताया कि राज्य के जिला यूनियन बीजापुर, पूर्व भानुप्रतापपुर एवं धरमजयगढ़ के सम्पूर्ण लाटों का अग्रित विक्रय हो चुका है. जिन जिला यूनियनों में सबसे ज्यादा विभागीय संग्रहण होना है उनमें बलरामपुर, सुकमा, जगदलपुर, केशकाल, दक्षिण कोण्डागांव, पश्चिम भानुप्रतापपुर शामिल है. बलरामपुर जिला यूनियन में 85 हजार 100 मानक बोरा सर्वाधिक विभागीय संग्रहण तथा दूसरे नम्बर में केशकाल जिला यूनियन में जहां 34 हजार 600 मानक बोरा का विभागीय संग्रहण होगा. तीसरे नम्बर में केशकाल जिला यूनियन में 22 हजार 600 मानक बोरा एवं चौथे नम्बर में जगदलपुर जिला यूनियन में 22 हजार 100 मानक बोरा का विभागीय संग्रहण किया जाना है.
पोषक अधिकारियों एवं फड़ मुंशियों की व्यवस्था
राज्य के समस्त समितियों में इसके लिए पोषक अधिकारियों एवं फड़ मुंशियों की व्यवस्था कर ली गई है. संग्रहण कार्य हेतु सभी जिला यूनियनों में हैसियन बोरा, तारपोलिन, कीटनाशक, स्टेशनरी तथा सेनेटाईजर आदि की व्यवस्था कर ली गई है तथा भण्डारण हेतु गोदामों को चिन्हांकित कर कार्यवाही सुनिश्चित की जा चुकी है.
13 लाख परिवारों को लाभ, 668 करोड़ का होगा वितरण
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2021 में तेन्दूपत्ता संग्रहण दर 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा निर्धारित की गई है. राज्य में तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य से लगभग 13 लाख आदिवासी-वनवासी संग्राहक परिवारों को सीधा-सीधा लाभ मिलेगा और इसके संग्रहणकाल माह मई तथा जून में दो माह के भीतर संग्राहकों को 668 करोड़ रूपए की राशि के संग्रहण पारिश्रमिक का वितरण किया जाएगा.
भूपेश सरकार ने बढ़ाई प्रति मानक बोरा राशि
बता दें कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य है. इस राज्य में आदिवासियों की आजविका वनोपज पर आधारित है. वनोपज में सर्वाधिक आय तेंदूपत्ता से होती है. यही वजह है कि सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण का सरकारी मूल्य तय किया है. सत्ता में आने के बाद ही कांग्रेस सरकार ने 25 सौ रुपये से बढ़ाकर मूल्य 4 हजार रुपये पर प्रति मानक बोरा कर दिया है. इसी मूल्य पर संग्राहकों से खरीदी की जा रही है.
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