रायपुर। केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में और सभी फसलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी के मांग को लेकर दिल्ली के बॉर्डर में लाखों किसान आंदोलनरत हैं. इसी कड़ी में 18 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में रेल रोको आंदोलन किया जाएगा. इसी के तहत रायपुर जिले में आरंग रेलवे स्टेशन के पास 12 से 4 बजे तक रेल रोकने का निर्णय छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के कोर कमेटी की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया.

उधर दिल्ली में केन्द्र की मोदी सरकार ने किसान कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून के खिलाफ किसानों का विरोध अध्यादेश लाए जाने के समय से ही जारी है. इस कानून का विरोध किसानों ने छत्तीसगढ़ में भी लगातार जारी रखा है. छत्तीसगढ़ से किसानों का एक बड़ा जत्था दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के समर्थन में 7 जनवरी को दिल्ली पहुंचे थे, जो 26 जनवरी के ट्रेक्टर परेड में हिस्सा लिया. इसके बाद पुनः 9 फरवरी को छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही, ज्ञानी बलजिंदर सिंह, प्रेमदास के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के किसानों का जत्था सिंघू बॉर्डर पहुंचा हैं, जहां छत्तीसगढ का टेंट लगाकर विरोध प्रदर्शनों में भाग ले रहे हैं.

छत्तीसगढ़ किसान महासंघ के नेताओं ने बयान जारी कर कहा है कि भारतीय जनता पार्टी और उनके अधीन मीडिया घरानों द्वारा लगातार यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानून किसान हितैषी है. इसका विरोध केवल हरियाणा व पंजाब के कुछ किसान संगठने कर रहे हैं. जबकि सच्चाई यह है कि इस कॉरपोरेट परस्त कानून के खिलाफ जरूर पंजाब और हरियाणा के किसानों ने आवाज उठाई थी जो आज देश व्यापी आंदोलन का स्वरूप ले लिया है. यह केवल किसानों का ही नहीं बल्कि आम जनता का आंदोलन बन चुका है. इस आंदोलन में छत्तीसगढ़ के किसान शामिल है. वे केवल अपने राज्य तक ही सीमित न होकर देश व्यापी आंदोलन में शामिल है यह सिंघू बार्डर में छत्तीसगढ़ के टेंट से स्थापित हो गया है. इसलिए मोदी सरकार अपना हठधर्मिता छोड़कर तीनों कृषि कानून वापस लेते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून पारित करे, 26 जनवरी को निर्दोष किसानों पर दर्ज प्रकरण निः शर्त वापस ले.