रायपुर। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण जी के शिष्य मुनि जिनेश कुमार दो संतों के साथ मंगलवार को पैदल विहार कर गुढ़ियारी में पारसमल खाटेड के निवास पहुंचे। यहां प्रवचन में उन्होंने अहिंसा और हिंसा की विवेचना की।

मुनि जिनेश कुमार ने कहा कि प्राणी मात्र के प्रति संयम ही अहिंसा है। अहिंसा से आरोग्य और आनंद दोनों मिलता है। अहिंसा की ओर अग्रसर होने के पहले हिंसा को भी समझना चाहिए। मन, वचन और काया से हिंसा से होती है। काया से किसी को मारना , तंग करना हिंसा है। लेकिन इससे भी खतरनाक है वचन की हिंसा किसी को अपशब्द या कटु वचन कहने से भी द्वेष पैदा होता है.

यह एक प्रकार से बड़ी हिंसा है। वाणी का अतियोग खराब है। इसका असर लंबे समय तक होता है।वहीं सबसे खतरनाक होती है मन की हिंसा, मन मे किसी के लिए द्वेष या बैर रखना। मन की हिंसा वचन और काया की हिंसा को बढावा देती है।इसलिए मन को नियंत्रित रखना चाहिए। इन्द्रिय और मन पर नियंत्रण ज़रूरी है।

उन्होंने कहा कि मन ही दुख और सुख का कारण होता है। आप खुद ही अपने कर्म बंधन के कारण दुखी होते हैं। इसके लिए दूसरों को दोष न दे , कोई और आपको कभी दुखी नहीं कर सकता, ना ही सुख दे सकता है। बुधवार को मुनिश्री गुढ़ियारी से विहार कर देवेंद्र नगर सेक्टर 5 सुनील जैन के घर पधारेंगे।