रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘संत कबीर का छत्तीसगढ़’ पुस्तक का विमोचन किया. साथ ही कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय परिसर में भव्य संत कबीर द्वार का शिलान्यास किया. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संत कबीर की वाणी को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि संत कबीर 650 साल पहले आये थे, लेकिन उनके संदेश आज भी समसामयिक हैं.
CM ने किया ‘संत कबीर का छत्तीसगढ़’ पुस्तक का विमोचन
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि संत कबीर की महिमा छत्तीसगढ़ के कण-कण में व्याप्त है. संत कबीर प्रेम, सामाजिक समरता और मानवता के कवि थे, वे एक समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर कठोरता से प्रहार किया. उनके मानने वाले हर जाति, हर धर्म के लोग हैं. उन्होंने कहा कि संत कबीर 650 साल पहले आये थे, लेकिन उनके संदेश आज भी समसामयिक हैं. उनकी वाणी को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है.
KTU में बनेगा भव्य संत कबीर द्वार
मुख्यमंत्री बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में संत कबीर जयंती पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने इस कार्यक्रम में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय रायपुर के प्रशासनिक भवन के गेट का नामकरण संत कबीर के नाम पर किया. संत कबीर द्वार का शिलान्यास किया. उन्होंने कबीर विकास संचार अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में ‘‘संत कबीर का छत्तीसगढ़‘‘ पुस्तक का विमोचन भी किया. इस पुस्तक के सम्पादक कबीर विकास संचार अध्ययन केन्द्र के अध्यक्ष कुणाल शुक्ला और डॉ. सुधीर शर्मा हैं.
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि संत कबीर और छत्तीसगढ़ का चोली-दामन का साथ है. अमरकंटक के कबीर चबूतरा में संत कबीर और गुरू नानक देव जी की भेंट हुई थी. उनका कभी छत्तीसगढ़ में पदार्पण नहीं हुआ, लेकिन उनका संदेश छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में व्याप्त है. छत्तीसगढ़ के लोगों में संत कबीर और गुरू बाबा घासीदास जी के संदेशों का व्यापक प्रभाव है. इसलिए छत्तीसगढ़ के लोग ईमानदार, संतोषी, विश्वसनीय और जीवन के अर्थ को व्यापक रूप से लेते हैं. इसीलिए हमारा छत्तीसगढ़ शांति का टापू कहलाता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरू समाज को सही रास्ते पर ले जाने का कार्य करते हैं. आज की तेज जीवन शैली में गुरूओं की वाणी हमारे जीवन में शांति ला सकती है. जीवन में आने वाली उलझनों का समाधान भी गुरूओं की वाणी में देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और भारत की धरती पर अनेक संतों का अवतरण हुआ. चाहे बुद्ध, महावीर की बात कहें या शंकराचार्य, वल्लभाचार्य, गुरू नानक देव, संत कबीर या गुरू बाबा घासीदास, इन महापुरूषों ने अपने समय के सवालों का जवाब दिया. मुख्यमंत्री ने कबीर जयंती पर कबीर पंथ के सभी अनुयायियों को शुभकामनाएं देते हुए सभी लोगों को संत कबीर के रास्ते पर चलकर छत्तीसगढ़ के नवनिर्माण में सहयोग देने का आव्हान किया.
गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि संत कबीर ने जीवन जीने का सुगम तरीका बताया, ताकि हम सही रास्ते पर चलें. संत कबीर अंधविश्वास, पाखण्ड, छूआछूत जैसी बुराईयां के सख्त विरोधी थे, उन्होंने सामाजिक बुराईयों पर कड़े शब्दों में प्रहार किया. कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि कबीर और गुरू बाबा घासीदास के विचारों के बदौलत ही छत्तीसगढ़ में आने वाले लोग छत्तीसगढ़ के हो जाते हैं. उनके विचारों के बदौलत ही छत्तीसगढ़ में सबको समाहित करने की विशेषता है.
राज्य सरकार संत कबीर के रास्ते पर चलकर लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठाने का काम कर रही है. कार्यक्रम का संचालन कबीर विकास संचार अध्ययन केन्द्र के अध्यक्ष श्री कुणाल शुक्ला ने किया. इस अवसर पर डॉ. सुधीर शर्मा, आशीष दुबे, राजू सिंह चंदेल, प्रीति उपाध्याय, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलसचिव आनंद शंकर बहादुर उपस्थित थे.
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