ललित ठाकुर, राजनांदगांव। सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल आपदा को अवसर में तब्दील कर लिया है. मुनाफाखोरी और लोगों से ज्यादा रकम वसूलने का सिलसिला जोरों पर चला रहा था, लेकिन हॉस्पिटल के खिलाफ प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है. हॉस्पिटल का लाइसेंस 1 महीने के लिए रद्द कर दिया गया है. रेमडेसिविर इंजेक्शन में अनियमितता के साथ-साथ 60 बेड की जगह 100 बेड की कोविड हॉस्पिटल चलाया जा रहा था. भर्ती मरीजों से सरकार की गाइड लाइन से अधिक बिलिंग की गई थी, जिस पर प्रशासन ने कार्रवाई की है.
मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द
सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में अनियमितता को देखते हुए कलेक्टर टीके वर्मा ने जांच टीम गठित की थी. जांच टीम जांच करने पहुंची थी. जांच में कई गंभीर गलतियां पकड़ में आई हैं. इस अस्पताल प्रबंधन ने न सिर्फ रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में शासन द्वारा दिए गए निर्देशों की अवहेलना की बल्कि कोरोना संक्रमितों के लिए निर्धारित राशि से ज्यादा वसूली की है. अस्पताल को नोटिस जारी कर 24 घंटे मे जवाब मागा गया था.
100 बेड का चला रहा था अस्पताल
निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही और तमाम तरह की गड़बडि़यों की शिकायत के बाद एसडीएम मुकेश रावटे के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम ने सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का औचक निरीक्षण किया. प्रशासनिक टीम ने कलेक्टर के सामने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है. इस रिपोर्ट में अस्पताल के दस्तावेजों की जांच के आधार पर कई गंभीर गड़बडि़यों का जिक्र था.
एसडीएम और उनके साथ गए डीएचओ डा एमके भुआर्य, सीएसपी लोकेश देवांगन, डीडी संजय झाडे़कर, एफआई प्रवीण चौबे और डीपीसी एशवर्य साव की रिपोर्ट के बाद कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधन पर कड़ी कार्रवाई की. अस्पताल की मान्यता 1 महीने के लिए निलंबित कर दिया है.
कलेक्टर टीके वर्मा ने कहा कि सुंदरा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल की शिकायत मिली थी, जिस पर एक टीम गठित की गई थी. टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी है, उस आधार पर उक्त हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई की गई है. भर्ती मरीजों के डिस्चार्ज के बाद 1 महीने तक के लिए हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है.
2020 में भी लापरवाही आई थी सामने
बता दें कि इसके पहले भी नंवबर 2020 में मल्टीस्पेशलिस्ट अस्पताल को 100 बेड की अनुमति मिली थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों से मुनाफा कमाने के लिए 300 बेड का प्रचार किया कर होर्डिंग बोर्ड और समाचार पत्रों के माध्यम से विज्ञापन दिया था, जिसकी शिकायत के बाद स्वास्थ्य अधिकारी ने अस्पताल को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा था. जिसपर अस्पताल प्रबंधन ने अपनी गलती स्वीकार किया था. अब फिर से लापरवाही करने के खिलाफ कार्रवाई की गई.
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