रायपुर. माहेश्वरी सभा द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी पारम्परिक पर्व गणगौर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. सभा के प्रचार प्रसार प्रभारी विष्णु सारडा ने बताया कि, सभाध्यक्ष सम्पत काबरा और कार्यक्रम संयोजक शिवरतन सादानी के नेतृत्व में गणगौर की गरिमामयी शोभायात्रा निकाली गई. गोपाल मंदिर में माता गवरजा और ईसर जी की युगल प्रतिमा की पूजा-अर्चना के बाद शोभायात्रा के लिए आकर्षक रूप से सजाए गए रथ में स्थापना की गई. गोवर्धन झंवर और सन्दीप मर्दा ने युगल प्रतिमा की साज सम्हाल का कार्य संभाला.

शोभायात्रा गोपाल मन्दिर सदर बाजार से गाजे-बाजे के साथ कोतवाली चौक, मेघ मार्केट, बिजली ऑफिस चौक, सप्रे स्कूल, गणेश मंदिर चौक, बूढ़ापारा ढाल, सददानी चौक से मुख्यमार्ग होते हुवे गोपालमन्दिर में विसर्जित हुई. इस अवसर पर सैकड़ों भक्तजन पारंपरिक राजस्थानी संस्कृति और पहनावे के साथ शोभायात्रा में सम्मिलित हुए. तीन घंटे की इस यात्रा के दौरान समाज के सभी वर्गो ने बढ़-चढ़कर अपनी सहभागिता दी. गवरजा माता के गीतों की श्रृंखला में प्रथम गणपति जी का आह्वान दीपक डागा द्वार रणक भवन थारो देश पधारो जी गणेश के बाद क्रमशः डॉ सतीश राठी ने हे मां गवरल घर आवो, जीतेश मोहता ने डफ धमाल में गवरल आवे ये अनमायो सुख और बाद नन्दलाल मोहता ने मीठे रस से भरयोडी म्हारी गौरल लागै गाकर समस्त लोगों झुमने पर मजबूर कर दिया.

वहीं गीतों की श्रृखला में भूपेन्द्र करवा ने चाली लाडेसर आ तो गौरी पूजन चाली, गोपाल बजाज ईसरजी थांरी बोली प्यारी लागे प्रस्तुत कर समां बांधा. इसके बाद गीतों की लगभग झड़ी ही लग गई. बांध केसरिया पाग, ईसर जी गवरा न लेवण आया, एक बार आवोजी गवरजा म्हरा आगंणा, गवरल आवे रे आदि गीतों की दमदार आवाजों के साथ बरसात करते रहे. युवा वर्ग ने भरपूर साथ दिया. पूरे रास्ते नृत्य गीत में झूम-झूमकर सभी ने गौरा इसर को अपने अपने अंदाज में रिझाया. मार्ग में और मंदिर प्रांगण में महिलाओं ने और नव युवतियों ने आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसमें के नृत्य का विशेष आकर्षण रहा.

मार्ग में कई स्थानों में माता गवरजा जी और इसरदेव जी का स्वागत पुष्पहार और खोल भरकर किया गया. इस अवसर पर पारंपरिक वेषभूषा की स्पर्धा का भी आयोजन किया गया था. सभा के अध्यक्ष संपत जी काबरा ने बताया कि, माता पार्वती जिन्हें हम गणगोर, गवरजा, गौर, गवरल, गवरादे आदि नामों से भी संबोधित करते हैं कि पूजा राजस्थान की माटी से जुड़ा हर व्यक्ति बहुत ही सम्मान, अटूट श्रद्धा और उल्लास के साथ करता है. दाम्पत्य प्रेम के उच्च आदर्शों की शिक्षा देने वाले शिव पार्वती की पूजा ईशर गणगोर के रूप में की जाती है.

सुहागन स्त्रियां अटल सौभाग्य एवम कुवांरी कन्याये सुयोग्य वर की कामना से गवर पूजती है. अंतिम दिन चैत्र शुक्ल तृतीया के पहले दिन बहू-बेटियों को मेहंदी और व्यंजनों ख़िलाकर सिंजारा के लिए लाड़ लड़ाया जाता है. तृतीया को सभी सुंदर वस्त्र, अलंकार धारण कर गणगोर पूजन, कहानी, नैवेद्य आरती करती है. इस पारंपरिक त्योहार में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है.
बेटी के विवाह के पश्चात उज्ववन कर गवर को धन्यवाद दिया जाता है. अंतिम दिन नदी, कुआं, बाबड़ी में गणगोर का विसर्जन कर माना जाता है कि, गवर को ससुराल विदा किया है.

सभा के सचिव कमल राठी ने बताया कि, गणगौर की प्रसादी गोठ शनिवार 25 मार्च शाम 7 बजे से माहेश्वरी भवन दूनडा में आयोजित है. माहेश्वरी सभा पिछले कई वर्षों से ये मुहिम चला रहा का इतना ही लो थाली में की व्यर्थ ना जाये नाली में ’ के अन्तर्गत ये ध्यान रखते हैं कि बिल्कुल भी जूठा ना जाए.

शोभायात्रा में पूर्वाध्यक्ष विजय जी दम्मानी, सम्पत काबरा, गोपाललाल राठी, कमल राठी, शिवरतन सादानी, राजकुमार राठी (बैरनबाजार), सूरजरतन मोहता, सुरेश बागड़ी, सूरज प्रकाश राठी, नारायण राठी, सुरेश मूंधड़ा, रमेश नत्थानी, राजकिशोर नत्थानी, देवरतन बागड़ी, ओमप्रकाश नागोरी, बद्रीदास झंवर, शरद मोहता, जगदीश चाण्डक, मनोज तापड़िया, राजेश बागड़ी, श्रीगोपाल सारड़ा, शंकर मोहता, आलोक बागड़ी, विष्णुकांत सारड़ा, अजय सारड़ा, सूर्यप्रकाश राठी, प्रसन्ना गट्टानी, हरीश बजाज,हर्ष राठी, सुशील बागड़ी, नीलेश मूंधड़ा, विजय लखोटिया, सुनील बजाज, संजय रामरतन मोहता, ऋषभ लोया, राजेश तपड़िया, आलोक बागड़ी, मनोज़ राठी, सूरज राठी, विकास मलानी, कृष्णकुमार डागा, सूरजभान मोहता, नवरत्न माहेश्वरी, गोपीदास बागड़ी, अनिल बजाज, डॉ शरद चांडक सौ. ज्योति जी राठी, मधुरिका नत्थानी, प्रगति कोठारी, प्रतिभा नत्थानी, शशि काबरा, शशि बागड़ी, प्रज्ञा राठी, डॉ छाया राठी, नीना राठी, अर्चना डागा, भारती तपड़िया, ममता तपड़िया, सीमा नाथनी के साथ ही माहेश्वरी सभा के समस्त कार्यकारिणी सदस्य, महिला समिति, युवा संगठन के सदस्य, जिला, प्रदेश के प्रतिनिधिगण, ट्रस्ट महेश भवन के सदस्य और समाज के वरिष्ठ और गणमान्य सदस्य सम्मिलित रहे.