रायपुर. छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार रहे डॉ. बलदेव प्रसाद की जयंती पर आज दो पुस्तक का विमोचन के साथ उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा हुई. छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद की ओर से कन्या महाविद्यालय में इसका आयोजन हुआ. समारोह में बतौर मुख्यातिथि पूर्व निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी, विशिष्ट अतिथि साहित्यकार गिरीश पंकज और डॉ. शिवशंकर पटनायक रहे. अध्यक्षता प्राचार्या डॉ. किरण गजपाल ने की. जबकि बतौर वक्ता के तौर पर डॉ. मृणालिका ओझा, डॉ. कल्पना मिश्रा रहीं. इस मौके पर डॉ. आभा तिवारी लिखित डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र और मेरे उर से आनंद निर्झरी झरती है का विमोचन किया गया.

डॉ. सुशील त्रिवेदी ने कहा कि, डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र हिंदी साहित्य जगत के महान साहित्यकार रहें. उन्होंने देश-दुनिया में छत्तीसगढ़ की हिंदी, साहित्य और साहित्यकारों को पहचान दिलाई. हिंदी साहित्य जगत में छत्तीसगढ़ का बड़ा योगदान है और इसके नायक डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र भी रहे हैं.

साहित्यकार गिरीश पंकज ने कहा कि, डॉ. बलदेव के साहित्य से नई पीढ़ी को सीखना चाहिए. हमें अपनी भाषाई मर्यादा पर ध्यान देने की जरूरत है. फालतू के प्रयोगों से बचना होगा.

डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र की लेखिका डॉ. आभा तिवारी ने कहा कि, उनका जन्म भी राजनांदगांव में हुआ था. डॉ. मिश्र उनके नाना थे. उनके समय के कई बड़े साहित्यकारों का गवाह राजनांदगांव रहा है. उन्होंने मिश्र के जीवन से जुड़े कई प्रसंगों को उल्लेखित किया.

डॉ. मृणालिका ओझा और डॉ. कल्पना मिश्रा ने विमोचित पुस्तकों की समीक्षा की. समारोह में स्वागत भाषण नर्मदा प्रसाद मिश्र ने दिया. वहीं संचालन आशीष राज सिंघानिया ने किया, जबकि आभार आरती उपाध्याय ने जताया. कार्यक्रम में कॉलेज की लड़कियों ने देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति भी दी.