सत्यपाल राजपूत, रायपुर। राजधानी रायपुर इन दिनों धरना प्रदर्शन और रैलियों से सड़क गुलज़ार है. मांगों को लेकर की जाने वाली नारेबाज़ी से गुंजायमान है. लोकतंत्र में अपनी मांगों को रखने का सबको अधिकार है, लेकिन स्वतंत्रता वहीं तक है, जब तक आप दूसरे के लिए हानिकारक न हों या दूसरे के अधिकार को प्रभावित न करें. छत्तीसगढ़ में पिछले महीने कोरोना की सुनामी आ गई थी, लेकिन जैसे-तैसे कोरोना के केसेस कम हो रहे हैं. अब अचानक से सड़कों पर भीड़ कोरोना की तीसरी लहर को न्योता देने जैसा है. स्टूडेंट्स से लेकर राजनीतिक दल तक कोरोना बंदिशों को ठेंगा दिखा रहे हैं.
धरना प्रदर्शन से सड़कों पर भीड़
दरअसल, वर्तमान समय में ही राजधानी की सड़कों पर धरना स्थल पर जो दृश्य देखने को मिल रही है, वो सब के लिए हानिकारक है. ये डरावना है, उस बीते समय की ओर इशारा कर रहा है, जब लोग अपने घर में ही क़ैद होकर रह गए थे. उसके बावजूद बचना मुश्किल हो गया था. सैकड़ों परिवारों ने अपने परिजनों को खोया है. अब ये याद इसलिए दिलाया जा रहा है, क्योंकि अभी कोरोना के दूसरी लहर ख़त्म होने की कोई भी प्रमाण नहीं है.
कोरोना बंदिशों को रौंद रहे प्रदर्शनकारी
छत्तीसगढ़ में वर्तमान समय में 7 हज़ार एक्टिव केसेस हैं. पड़ोसी राज्य में कोरोना का नया डेल्टा प्लस वेरिएंट पहुंच चुका है, राज्य के सीमा में कोई पाबंदी नहीं है. राज्य के अंदर शर्तों के अधीन छूट भारी पड़ रहा है. आपदा प्रबंधन के लिए तैनात की गई टीम मानो दुबक कर बैठ गई है. सड़कों पर कोई पाबंदियां नजर नहीं आ रही हैं. कोरोना की तीसरी लहर का खतरा बरकरार है.
अपनी मांगों, समस्या को लेकर आवाज बुलंद करना गलत नहीं है, लेकिन धरना प्रदर्शन के दौरान जो हालात बन रहे हैं. वो खतरनाक है. प्रदेशवासियों को भुगतना पड़ सकता है. कोरोना एडवायजरी को मानों तिलांजलि दे दी गई हो. सोशल डिस्टेंस तो दूर चेहरे से मास्क भी गायब रहता है. पुलिस मुकदर्शक बनी हुई है. इस बीच का दृश्य कहीं कोरोना को यू टर्न न कर दे. इसके पहले हुक्मरानों को जागना होगा.
इस मुद्दे पर लल्लूराम.com की टीम ने सिग्नल पर उतारकर लोगों से बातचीत की. लोगों का कहना है कि छूट भी ज़रूरी है, लेकिन इसके लिए सावधानी बेहद ज़रूरी है. ये जो धरना प्रदर्शन में भारी भीड़ नियमों का उल्लंघन देखकर डर लग रहा है. ज़्यादातर धरना प्रदर्शन में वही चेहरे दिख रहे हैं, जो दूसरे दौर में मुसीबत के समय सबके लिए सामने खड़े नज़र आ रहे थे. कोरोना चक्र को ध्वस्त करने में अहम भूमिका निभाते नज़र आए हैं, लेकिन वही अब सभी नियम क़ानून को रौंद रहे हैं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी स्पष्ट तौर पर चेतावनी दी है कि ये जो क़दम उठाया जा रहा है बिल्कुल घातक है. आपदा प्रबंधन के नियमों का कड़ाई से पालन कराना होगा. ज़रा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है.
रायपुर के जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ मीरा बघेल ने कहा कि नियम कानून का उल्लघंन भारी पड़ता है. प्रदेश में कोरोना के पहले दौर में लोग इतना निश्चिंत हो गए थे. मानों कोरोना खत्म हो गया है. लगातार हुई लापरवाही और ढ़िलाई दूसरे दौर का कारण बना. हजारों लोगों की जान गई है. हम सभी बहुत ज्यादा परेशान हुए हैं, जो हालात दिख रहे हैं इसे रोका नहीं गया, तो कोरोना की तीसरी लहर को रोका नहीं जा सकता है. इसलिए नियम कानून का पालन करें.
बहरहाल, ये रैलियां और प्रदर्शन से कहीं कोरोना की तीसरी लहर को न्योता तो नहीं दे रहे हैं. कहीं ये मनमानी फिर से भारी न पड़ जाए.
प्रदेश में करोना वर्तमान में ख़त्म नहीं हुआ है. 7 हज़ार से ज़्यादा एक्टिव केस हैं. पड़ोसी राज्य में कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट पहुंच चुका है, लेकिन राजधानी में बिना अनुमति के धड़ल्ले से धरना प्रदर्शन जारी है. ये रैलियां और प्रदर्शन प्रदेश को फिर से न मुसीबत में डाल दे.
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