रायपुर. राज्य सरकार द्वारा समर्थन मूल्य में मार्कफेड के माध्यम से धान खरीदी एक दिसंबर से शुरू हो रही है. इसी बीच यह बात सामने आ रही है कि सहकारी समितियों में धान बेचने वाले किसानों को 25 प्रतिशत बारदाना स्वयं व्यवस्था करनी होगी. जिसकी राशि 18 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से किसानों को सरकार भुगतान करेगी. जो राज्य सरकार द्वारा सरासर किसानों के धोखा व अन्याय है.
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मदन लाल साहू, सचिव तेजराम विद्रोही, सदस्यगण ललित कुमार, उत्तम कुमार, रेखुराम, जहुर राम, पवन कुमार, मनोज कुमार, मोहन लाल साहू, होरी साहू, सोमन यादव, नंदू ध्रुव, केशव निषाद, खेलावन ध्रुव आदि ने कहा कि राज्य की भूपेश बघेल सरकार 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी की अंतर राशि किस्त वार प्रदान करती है, जो कि एकमुश्त मिलनी चाहिए. इस पर भी किसान अपना धैर्य रखें हैं. लेकिन धान उपार्जन वर्ष 2021-22 में धान खरीदी के लिए 25 प्रतिशत बोरों की व्यवस्था किसानों के मत्थे मढ़ना न्यायोचित नहीं है. यह किसानों के साथ धोखा है, जो किसान बारदाने की व्यवस्था नहीं कर पाएंगे वे अपनी उपज को बेचने से वंचित रह जाएंगे.
बेमौसम बारिश और धान खरीदी में देरी से किसान परेशान
किसान नेताओं ने कहा कि बाजार में एक बोरी की कीमत 40 से 50 रुपए तक मिलता है. सरकार किसानों को प्रति बोरा 18 रुपए देने की बात करता है. इस तरह किसानों को प्रति बोरा 22 से 32 रुपए घाटा होगी. यदि जब बाजार से किसानों के लिए बोरा उपलब्ध है तो वहीं बोरा सरकार के लिए उपलब्ध क्यों नहीं है? जब बाजार में महंगी दामों पर बोरा बिक रही है तो उस पर सरकार का अंकुश क्यों नहीं है. ऐसे कई सारे सवाल है जो किसानों की ओर से भूपेश सरकार से है. दूसरी ओर जब केंद्र सरकार केंद्रीय पुल का चावल राज्य से लेती है और बोरा भेजने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है तो भाजपा और कांग्रेस की आपसी राजनैतिक लड़ाई का खामियाजा बोरों की कमी के रूप में किसान क्यों भुगते? क्या भारतीय जनता पार्टी के नेतागण किसानों को राजनीतिक मोहरों के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं. सरकार पूरा धान खरीदने की व्यवस्था करें अन्यथा किसान अपनी उपज को खरीदी केंद्रों की दरवाजों के सामने रखकर प्रदर्शन करेगा. वैसे भी किसान बेमौसम बारिश और धान खरीदी की देरी के कारण काफी नुकसानी का सामना कर रहे हैं.