संदीप सिंह ठाकुर, लोरमी. छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट रेंजर्स एसोसिएशन के बिलासपुर संभागीय शाखा द्वारा वन विभाग में वर्तमान में प्रचलित मजदूरी भुगतान प्रणाली में परिवर्तन कर आहरण, संवितरण अधिकारी डीएफओ स्तर से मजदूरी भुगतान किए जाने के संबंध में आज पीसीसीएफ वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के नाम सीसीएफ बिलासपुर को ज्ञापन सौंपा गया. जानकारी के अनुसार, फॉरेस्ट रेंजर्स एसोसिएशन के प्रांतीय कार्यकारिणी की आयोजित बैठक में इसके लिए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था.

बता दें कि, छग. वन विभाग में वर्तमान में प्रचलित मजदूरी भुगतान प्रणाली के अनुसार समस्त प्रकार के कार्यों का मजदूरी भुगतान वन परिक्षेत्र अधिकारी को संवितरण अधिकारी बना कर किया जा रहा है. इस प्रणाली से न केवल शासकीय समय, श्रम और धन एवं संसाधन का व्यर्थ जाया हो रहा है. साथ ही वन परिक्षेत्र अधिकारी वन और वन्य जीव सुरक्षा संरक्षण के अपने मुख्य कार्य को बेहतर तरीके से नहीं कर पा रहे हैं. आरोप है कि, वर्तमान में अधिकतर रेंज कार्यालय में न तो सेटअप के अनुसार रेगुलर रेंज क्लर्क है और न ही क्षेत्रीय अमला, जिसके कारण वित्तीय भुगतान प्रबंधन एवं उसका सुक्ष्म अवलोकन तथा वन, वन्यजीव सुरक्षा और संरक्षण कार्य में संतुलन भी स्थापित नहीं हो पा रहा है. जिसका समस्त भार वनपरिक्षेत्र अधिकारी के ऊपर हो रहा है. साथ ही मजदूरी भुगतान और वन्यजीव संरक्षण में चूक हो जाती है.

वही इस मांग को लेकर समस्त रेंजर्स बिलासपुर कार्यालय पहुंचकर वित्तीय वर्ष 2023-24 से समस्त कार्यों का भुगतान जहां वन मण्डलों में जहां अकाउंट के आधार पर ऑनलाइन प्रणाली से अब तक हो रहा है. वहां भुगतान सीधे डीएफओ के माध्यम से कराए जाने के संबंध में आज ज्ञापन दिया गया.

संभागीय अध्यक्ष के नेतृत्व में सौंपा ज्ञापन
वहीं इसको लेकर बिलासपुर वृत्त के संभागीय अध्यक्ष विक्रांत कुमार विजेन्द्र ने बताया कि, छत्तीसगढ़ छोड़कर पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश सहित देश के लगभग कई राज्यों में सीधे डीएफओ या समिति के माध्यम से मजदूरी भुगतान किया जाता है और शायद यही वजह है कि, उन राज्यों में किसी प्रकार की भारी अनिमियतता की स्थिति निर्मित नहीं होती. इस दौरान छत्तीसगढ़ रेंजर्स एसोसिएशन रायपुर के बिलासपुर वृत्त के समस्त पदाधिकारी एवं अन्य सदस्य उपस्थित रहे.

उन्होंने कहा जब सामग्री और तेंदूपत्ता मजदूरों का भुगतान डीएफओ और उपसंचालक के माध्यम से किया जा रहा है तो वानिकी कार्यों का क्यों नही किया जा सकता. इस प्रकार के भुगतान से जहा आहरण और मजदूरी भुगतना एक ही स्थान में होने से वित्तीय अनियमितता की स्थिति निर्मित नहीं होगी और शासन का निश्चित समय, श्रम, धन का बचत होगा. वहीं वन परिक्षेत्र अधिकारी वन एवं वन्य जीव सुरक्षा कार्य में अधिक ध्यान दे पाएंगे, जिससे वन अपराधो में तेजी से नियंत्रण होगा.