रायपुर/ बिलासपुर. सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) के डॉक्टरों ने एक घंटे की सर्जरी के बाद 74 वर्षीय बुजुर्ग के गले से 6 सेविंग ब्लेड निकालकर उसकी जान बचा ली. मरीज को आईसीयू में ऑब्जर्वेशन पर रखा गया है और डॉक्टरों का दावा है कि उनके गले के स्वर तंत्र, आहार नली व अन्य हिस्सों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. रविवार की सुबह केपी मिश्रा 74 वर्ष निवासी उसलापुर को परिजन गंभीर हालत में लेकर सिम्स अस्पताल पहुंचे. परिजनों ने बताया कि उन्होंने गलती से छह सेविंग ब्लेड निगल ली हैं. इस सूचना ने नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों को भी चौंका दिया. तुरंत इसकी जानकारी सिम्स डीन प्रो. रमणेश मूर्ति को दी गई.

रविवार का अवकाश होने के बावजूद उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ईएनटी विभाग, एनेस्थीसिया विभाग समेत सभी विशेषज्ञों को तत्काल बुलाया और मरीज के इलाज के निर्देश दिए. ईएनटी विभाग प्रमुख डॉ. आरती पांडे, डॉ. विद्या भूषण साहू, एनेस्थीसिया विभाग प्रमुख डॉ. मधुमिता मूर्ति, डॉ. शीतल दास की अगुवाई में टीम ने इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर में मरीज का ऑपरेशन शुरू किया.

करीब एक घंटे से अधिक समय तक चली सर्जरी में बेहद सावधानीपूर्वक ब्लेड को गले से बाहर निकाला गया. सिम्स डीन डॉ रमणेश मूर्ति और अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने इस आपात स्थिति में जिस तरह तुरंत समन्वय स्थापित कर विभागों को सक्रिय किया. उसकी सराहना की जा रही है. अवकाश के दिन भी दोनों ने मौके की गंभीरता को समझते हुए पूरी टीम को मार्गदर्शन दिया और मरीज को जीवनदान दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई.

समय पर सर्जरी न हो तो मौत की आशंकाः गले में

ब्लेड या धारदार वस्तु फंसने के खतरे के कारण आहार नली को छेदने का खतरा था. वहीं स्वर तंत्र को स्थायी नुकसान हो सकता था. श्वसन नली में कटाव से तुरंत दम घुटने की स्थिति हो जाती है. संक्रमण और आंतरिक रक्तस्त्राव का बड़ा खतरा रहता है. ऐसे केस में समय पर सर्जरी न हो तो मौत की आशंका बनी रहती है.

डॉ. रमणेश मूर्ति, डीन सिम्स का कहना है कि ईएनटी व एनेस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञों के लिए यह चुनौतीपूर्ण था. दोनों विभागों ने आपसी तालमेल व सूझबूझ से अंदरूनी अंगों को बिना चोट आए ब्लेड को निकाल लिया. यह सिम्स के लिए गौरव की बात है.