मम्मी मेरे पास गाड़ी नहीं है… मैं कोचिंग कैसे जाऊंगी. पापा मेरे पास एप्पल का आईफोन नहीं है मैं ऑन लाईन पढ़ाई कैसे करूंगा. मम्मी मुझे दूसरों से गाइड मांगना पसंद नहीं, मैं पुरानी गाइड से पढ़ाई नहीं करूंगी… मुझे आज ही नई गाइड चाहिए.

दीपाली सूर्यवंशी को मिठाई खिलाकर बधाई देते क्षेत्रवासी

 अक्सर बच्चे पढ़ाई न करने के लिए कुछ ऐसे ही बहाने करते है और बावजूद इसके जब रिजेल्ट आता है तो टॉप 10 तक में वे अपनी जगह नहीं बना पाते. लेकिन छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा की एक बेटी औरों के लिए मिसाल बन गई हैं. क्योंकि इस बेटी ने संघर्षों के बावजूद हार नहीं मानी और बिना किसी बहाने के पढ़ाई की और आज 10 वीं में इस बेटी ने टॉप 10 में अपनी जगह बनाई है. इस बेटी के पास न तो अपना एंड्रायड फोन था और न ही खुद की गाइड.

 सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ने वाली दीपाली सूर्यवंशी के मेरिट में आने की सूचना भी स्कूल के शिक्षकों और मीडिया के माध्यम से उसके घर तक पहुंची. ये खबर सुनते ही परिवार के लोगों की आंखें नम हो गई और दीपाली को गले लगाकर शुभकामनाएं दी. घर की माली हालत खराब होने के बाद दीपाली ने प्रदेश में 97.33 प्रतिशत अंक के साथ 8 वां स्थान प्राप्त किया है.

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