रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में करप्शन पर करप्शन का काला खेल जारी है. एक बार फिर से छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में अनोखा SCAM हुआ है. सरकारी अफसर अपनी कुर्सी और अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं. किसी और को पुस्तक छपाई का ऑर्डर देकर किसी और से काम करा रहे हैं. जिम्मेदार दिन के उजाले में काले कारनामे से सरकार और विभाग को चूना लगा रहे हैं. अफसर और पब्लिकेशन की मिलीभगत से ‘करप्शन की मशीन’ में बेधड़क पुस्तक छप रहे हैं. इसकी गवाही ये वायरल VIDEO दे रहा है.

करप्शन की मशीन’ में पुस्तकों की प्रिंटिंग !

दरअसल,  छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम ने प्रोग्रेसिव ऑफसेट को पुस्तक छपाई के लिए वर्क आर्डर दिया है, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जिसको पुस्तक छपाई के लिए ऑर्डर नहीं मिला, वो भी पुस्तकों की छपाई कर रहा है. अधिकारी और जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से मीनल पब्लिकेशन में पुस्तकों की छपाई हो रही है. वायरल वीडियो में कारनामे का सारा खेल दिख रहा है, जहां सरकारी पुस्तक करप्शन की मशीन से बेधड़क छप रहे हैं.

मीनल पब्लिकेशन में चल रहा करप्शन का खेल

जानकारी के मुताबिक निविदा में तकनीकी रूप से अपात्र मुद्रक मीनल पब्लिकेशन के मुद्रणालय में सरकारी किताबें छपती पाई गईं हैं. वायरल वीडियो में मीनल पब्लिकेशन में घोटाले की तस्वीर साफ नजर आ रही हैं, जहां नैतिक मूल्य और योग शिक्षा भाग 1 की पुस्तक का मुद्रण और बाइंडिंग कार्य चल रहा है.

इस वीडियो को देखकर लग रहा है कि छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम ने अपने चहेते मुद्रक प्रोग्रेसिव ऑफसेट को नियम के खिलाफ पुस्तक छपाई का कार्य दिया गया है. प्रोग्रेसिव ऑफसेट को वर्क आर्डर मिलने के बाद उक्त फर्म ने खुद पुस्तक छपाई का काम करने की बजाय यह कार्य मीनल पब्लिकेशन को सौंप दिया. अब सवाल ये उठता है कि आखिर चहेते मुद्रक को काम किस अधिकारी और कर्मचारी ने रहम दिखाई और विभाग को चूना लगाने का काम किया.

अधिकारी की सफाई

मामले में पाठ्य पुस्तक निगम के MD अभिजीत सिंह ने कहा कि ये किसी तरह का घोटाला नहीं है, यह टेंडर शर्तों का पालन नहीं करने की लापरवाही है. मामले की जानकारी मिली है. जांच के बाद लापरवाहों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ही छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम में बड़ी वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ था, जिसमें तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ 72 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने का आरोप लगा था. इस पूरे मामले में जांच के आदेश दिए गए थे. इसके अलावा प्रिंटर्स को बिना काम कराए 8 करोड़ 20 लाख रुपये का भुगतान मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ FIR के निर्देश दिए गए थे.

अब ये सब देखकर साबित हो रहा है कि छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम का घोटाले से चोली दामन का नाता है. साल भर के अंदर कई कारनामे सामने आते रहते हैं, जो विभाग पर गहरा दाग लगा रहा है. सरकारी अफसर अपनी जेब भरने के लिए सरकार को चूना लगा रहे हैं. ऑफसेट और  पब्लिकेशन से मिलकर करप्शन कर रहे हैं. इन अधिकारी और कर्मचारियों की कोताही के कारण करप्शन का दीमक विभाग को चट करता जा रहा है. पाठ्य पुस्तक निगम के अफसरों के आशीर्वाद से ऐसी प्रिंटिग संस्थाओं के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं.

देखिए वीडियो-

https://youtu.be/oQjMPQ3SjGY

read more- Corona Horror: US Administration rejects India’s plea to export vaccine’s raw material

दुनियाभर की कोरोना अपडेट देखने के लिए करें क्लिक