सत्यपाल राजपूत, रायपुर। राजधानी रायपुर के बांठिया हॉस्पिटल के लूटकांड मामले में स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी किया है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मीरा बघेल ने नोटिस जारी किया है. इस नोटिस में प्रबंधन से मरीज के इलाज से संबंधित सभी दस्तावेज मांगे गए हैं. दो दिन के भीतर सभी प्रामाणिक दस्तावेज की मांग की गई है. साथ ही इलाज के नाम पर ली गई राशि और कोरे कागज पर बिल देने को अधिकारिक देयक नहीं माना है.

बांठिया हॉस्पिटल का लूटकांड

जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मीरा बघेल ने बताया कि वेबसाइट और अख़बारों में ख़बर है, जो दस्तावेज़ ख़बरों में प्रस्तुत किए गए हैं, वो प्रमाणिक नहीं लगते हैं. इसलिए बांठिया हॉस्पिटल को नोटिस जारी कर दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है. मरीज़ से इलाज संबंधी और बिल से संबंधित तमाम मूल दस्तावेज़ जिला चिकित्सा के कार्यालय में पेश करना होगा. दस्तावेज़ और इस स्पष्टीकरण ग़लत पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया आदेश

दरअसल,  बांठिया अस्पताल में 16 अप्रैल को माना निवासी भूपेंद्र वर्मा को भर्ती किया गया था. इसके बाद उनकी 28 अप्रैल को मौत हो गई थी. अस्पताल प्रबंधन ने बिना बिल चुकाए डेड बॉडी देने से मना कर दिया. परिजनों ने गहने गिरवी रख कर पैसे का बंदोबस्त किया और अस्पताल को चुकाए. अस्पताल प्रबंधन ने 5 लाख 10 हजार रुपए का बिल दिया था. इसकी शिकायत भी की गई थी, लेकिन अब प्रशासन लीपापोती में जुट गया है.

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न्याय नहीं सेटेलमेंट का ऑफर दे रहे प्रशासनिक अधिकारी

बता दें कि नोडल अधिकारी वीके देवांगन को अन्याय रोकने के लिए तैनात किए गए हैं, लेकिन नोडल अधिकारी न्याय को दबाने का प्रयास कर रहे हैं. मृतक के परिजनों को पर्सनल फोन कर कह रहे हैं कि हॉस्पिटल के साथ सेटलमेंट कर लो. कह रहे हैं आपसी समझौता कराकर मामले को सुलझाया जा सकता है.

नोडल अधिकारी वीके देवांगन और मृतक के परिजन के बीच बातचीत में परिजन कह रहा है कि मुझे समझौता नहीं कार्रवाई चाहिए. हॉस्पिटल प्रबंधन के पास जाऊंगा तो शासन के लोग मेरे साथ मौजूद रहेंगे. मेरे सुरक्षा की गारंटी देंगे मैं पैसा दे चुका हूं मुझे पैसे का फिक्र नहीं है. मुझे समझौता नहीं कार्रवाई चाहिए.

गौरतलब है कि बांठिया हॉस्पिटल ने कोरोना मरीज के परिजनों से लाखों रुपए ऐठें हैं. इतना ही नहीं ये अस्पताल सरकारी फरमानों को खुलेआम रौंदा है, लेकिन प्रशासन अस्पताल के काले कारनामें पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है. अब ऐसे में हैरान करने वाली बात ये है कि बांठिया हॉस्पिटल पर कार्रवाई करने की बजाय सेटेलमेंट क्यों करा रहे हैं. मृतक के परिजनों को न्याय दिलाने की बजाय लीपापोती में प्रशासनिक अधिकारी जुटे हैं.

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