सत्यपाल राजपूत, रायपुर। लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का बड़ा असर हुआ है. लल्लूराम डॉट कॉम ने रायपुर के बांठिया हॉस्पिटल के मरीजों से लूटकांड मामले को उजागर किया था. इसके बाद बांठिया हॉस्पिटल पर स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. बांठिया हॉस्पिटल ने कोरोना मरीजों को लूटने की सारी हदें पार कर दी थी.  स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल प्रबंधन को पहले नोटिस जारी किया था. अब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मीरा बघेल ने अस्पताल को 14 दिनों के लिए सील कर दिया है. इसके पहले बांठिया हॉस्पिटल प्रबंधन ने मरीज के परिजन से पैसे वापसी को लेकर नाकाम ऑफर दिया था, लेकिन वे अपने मंसूबे पर नाकाम रहे. उसके बाद ही अस्पताल पर सरकारी गाज गिर गई.

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बांठिया हॉस्पिटल पर कार्रवाई

जिला चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मीरा बघेल ने कहा कि बांठिया हॉस्पिटल को मिले सबूत, दस्तावेज़ और शिकायत के आधार पर फ़िलहाल 14 दिन के लिए सील किया गया है. इन 14 दिनों में कोई भी मरीज भर्ती नहीं लेने का आदेश दिया गया है, जो मरीज़ पहले से भर्ती हैं, उनका इलाज जारी रहेगा.

दो मरीज़ों का लौटाया पैसा

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Posted by Er Prashant Mahto on Sunday, 2 May 2021

साथ ही डॉक्टर मीरा ने कहा कि नोटिस जारी किया गया है, तमाम प्रामाणिक दस्तावेज़ मिलने के बाद जांच रिपोर्ट आने के बाद कोविड मरीजों के इलाज के लिए दी गई मान्यता भी रद्द कर दी जाएगी. जितने भी मरीजों की शिकायत मिली है, उन सभी मरीज़ों से लिए ज़्यादा रक़म वापस लौटाया जाएगा. फ़िलहाल दो मरीज़ों का पैसा वापस लौटाया गया है.

पीड़ित परिजनों ने कहा कि बांठिया हॉस्पिटल को पूर्ण रूप से सील कर देना चाहिए. इसकी मान्यता रद्द करना चाहिए,, क्योंकि ये एक मरीज़ के साथ नहीं बल्कि सभी मरीज़ों के साथ क़ानून को ठेंगा दिखाते हुए मनमानी कर रहे हैं. मरीज़ों को लूट रहे हैं. इसके तमाम दस्तावेज़ हैं. बिल है. इसके बाद भी अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो माना जा सकता है ये हेल्थ विभाग के सह में मरीज़ों को लूटा जा रहा है.

दरअसल,  बांठिया अस्पताल में 16 अप्रैल को माना निवासी भूपेंद्र वर्मा को भर्ती किया गया था. इसके बाद उनकी 28 अप्रैल को मौत हो गई थी. अस्पताल प्रबंधन ने बिना बिल चुकाए डेड बॉडी देने से मना कर दिया. परिजनों ने गहने गिरवी रख कर पैसे का बंदोबस्त किया और अस्पताल को चुकाए. अस्पताल प्रबंधन ने 5 लाख 10 हजार रुपए का बिल दिया था. इसकी शिकायत भी की गई थी. मामला मीडिया में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई की है.

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बता दें कि नोडल अधिकारी वीके देवांगन को अन्याय रोकने के लिए तैनात किया गया है, लेकिन नोडल अधिकारी न्याय को दबाने का प्रयास कर रहे थे. मृतक के परिजनों को पर्सनल फोन कर कह रहे थे कि हॉस्पिटल के साथ सेटलमेंट कर लो. आपसी समझौता कराकर मामले को सुलझाया जा सकता है, लेकिन परिजनों ने कार्रवाई की मांग को लेकर इसे नकार दिया था.

गौरतलब है कि बांठिया हॉस्पिटल ने कोरोना मरीज के परिजनों से लाखों रुपए ऐठें हैं. इतना ही नहीं ये अस्पताल सरकारी फरमानों को खुलेआम रौंदा है, लेकिन प्रशासन अस्पताल के काले कारनामें पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा था. हैरान करने वाली बात ये थी कि बांठिया हॉस्पिटल पर कार्रवाई करने की बजाय सेटेलमेंटकराने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन लल्लूराम डॉट कॉम की खबर प्रकाशित करने के बाद बड़ी कार्रवाई की गई है.

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