रायपुर। रंगों का त्योहार होली कुछ दिन ही बचा है. पिचकारी व रंगों से बाजार सज गया है. होलिका दहन की भी तैयारी चल रही है. आज से होलाष्टक भी शुरू हो गया है. फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है. होली के आठ दिन पहले इसकी शुरुआत हो जाती है. इस बार होलाष्टक 22 मार्च से 28 मार्च तक रहेगा.
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शास्त्रों में महत्व
शास्त्रों में इसका बहुत महत्व है. इस अवधि भक्ति की शक्ति का प्रभाव बताती है. इस अवधि में तप करना ही अच्छा रहता है. होलाष्टक शुरू होने पर एक पेड़ की शाखा काट कर उसे जमीन पर लगाते हैं. मान्यताओं के अनुसार, उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
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मांगलिक कार्य करने की मनाही
शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार पर रोक लग जाती है. जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. होलाष्टक के 8 दिन किसी भी मांगलिक शुभ कार्य को करने के लिए शुभ नहीं होता है. शादी-विवाह, भूमि पूजन व गृह प्रवेश करना चाहिए.
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