हकिमुददिन नासिर, महासमुंद। शिक्षा के केंद्र (स्कूल) को लोग शिक्षा का मंदिर मानते है पर ये ही शिक्षा के केंद्र अगर व्यापार का केंद्र बन जाये तो आर्थिक रूप से कमजोर पालकों का सपना अच्छे स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने का टूट जाता है. जी हां, ऐसा ही एक मामला महासमुंद जिले से सामने आया है. जहां ड्रीम इंडिया स्कूल ने राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत बच्चों का एडमिशन लेकर कुछ सालों तक पढ़ाया और इस वर्ष एकाएक स्कूल प्रबंधन ने स्कूल का नाम बदल दिया और पालकों से फीस जमा करने की बात कही तो पालकों के सामने मुश्किलें खड़ी हो गयी. जहां पालक अब जिला शिक्षा अधिकारी से गुहार लगा रहे है. वहीं शिक्षा विभाग के आला अधिकारी नियमों का हवाला दे रहे है.
स्कूल का नाम बदलकर पालकों को भेजा गया मैसेज
महासमुंद जिला मुख्यालय में सात-आठ वर्षों से ड्रीम इंडिया स्कूल संचालित है. जिसमें शासन की महत्वाकांक्षी योजना राइट टू एजुकेशन के तहत भी सैकड़ों बच्चों का एडमिशन हुआ है. वर्ष 2023-24 सत्र के लिए स्कूल प्रबंधन ने पालकों के मोबाइल पर एक मैसेज भेजा. मैसेज में लिखा था कि ड्रीम इंडिया स्कूल का नाम बदलकर क्यूरो स्कूल कर दिया गया है. स्कूल की बिल्डिंग, प्रधानाचार्य और स्टाफ वही है. स्कूल खुलने की तारीख मैसेज से सूचित कर दिया जायेगा. अधिक जानकारी के लिए स्कूल से पता करें.
मैसेज के बाद आरटीई के तहत पढ़ने वाले बच्चों के पालक जब स्कूल पता करने गये तो उन्हें स्कूल प्रबंधन ने बताया कि ड्रीम इंडिया स्कूल बंद हो गया. आपके बच्चों को केवल एक वर्ष तक ही इस नये संस्था में फ्री में पढ़ा पायेगे. आगे आप लोगों को फीस जमा करना होगा. यह सुनकर पालक भड़क गये और शिक्षा विभाग जाकर गुहार लगा रहे है. पालकों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने हम लोगों के साथ धोखाधड़ी की है. बिना सूचना के स्कूल बंद हो जाने की बात कह रहे है जबकि मैसेज में स्कूल का नाम बदलने की बात कही गयी थी. हम लोग रोज कमाते है, रोज खाते है तो इतनी भारी भरकम फीस कैसे जमा कर पायेगे.
स्कूल प्रबंधन दे रहा गोल मोल जवाब
नियमानुसार स्कूल बंद करने के तीन माह पहले स्कूल प्रबंधन को शिक्षा विभाग को सूचना देना पड़ता है और सारे दस्तावेज शिक्षा विभाग मे जमा करना होता है. जो ड्रीम इंडिया स्कूल प्रबंधन द्वारा नहीं किया गया. इसी प्रकार नया स्कूल खोलने से पहले शिक्षा विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है पर क्यूरो स्कूल प्रबंधन के द्वारा कोई अनुमति नहीं ली गई और बोर्ड लगाकर एडमिशन चालू कर दिया गया. जब इस संदर्भ में मीडिया ने क्यूरो स्कूल प्रबंधन से सवाल किया तो गोल मोल जवाब देते नजर आये.
इस पूरे मामले मे जिला शिक्षा अधिकारी मीता मुखर्जी ने स्कूल जाकर क्यूरो स्कूल का बोर्ड हटा दिया और ड्रीम इंडिया स्कूल के सारे दस्तावेज जब्त कर लिया गया है. लेकिन बच्चों के भविष्य का क्या होगा इसका जवाब उनके पास भी नहीं है.
गौरतलब है कि थोक के भाव निजी स्कूलों को लाइसेंस शिक्षा विभाग से प्रदान कर दिया जा रहा है. लेकिन स्कूल पर शिक्षा विभाग नियंत्रण रख पाने मे नाकाम है. यही कारण है कि कभी डालफिन नामक स्कूल ने पालकों को ठगा और अब ड्रीम इंडिया ने पालकों को ठगा. क्यूरो स्कूल का क्या होगा ये आने वाला भविष्य ही बता पायेगा. फिलहाल, स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग दोनो इन पालकों को समुचित जवाब देने में असमर्थ है.
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