रायपुर. छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना की लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती जा रही है. यह योजना वर्तमान समय में गांवों में आय और रोजगार का प्रभावी विकल्प बन गई है. यही वजह है कि बीते एक सालों में राज्य में निर्मित और संचालित गौठानों की संख्या में 44 फीसदी की वृद्धि हुई है, जिसके चलते गौठानों की संख्या 5,847 से बढ़कर 8,408 हो गई है. गोधन न्याय योजना के तहत लाभान्वित पशुपालकों की संख्या में भी 24 फीसद का इजाफा हुआ है.

बता दें कि, गौठानों में गोबर बेचने वाले ग्रामीण पशुपालक की संख्या एक साल में 1,70,508 से बढ़कर 2,11,540 हो गई है. गोधन न्याय योजनांतर्गत पंजीकृत पशुपालकों की संख्या 3,10,073 है. सुराजी गांव योजना के गरवा कार्यक्रम के तहत राज्य में अब तक 10,624 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें 30 जून 2022 की स्थिति 8408 गौठान निर्मित हो चुके हैं, जिसमें 185 शहरी क्षेत्रों में, 7316 ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 907 गौठान आवर्ती चराई के वनांचल क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं. कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में लगभग 1600 गौठान ऐसे हैं, जहां प्रत्येक पखवाड़े में 30 क्विंटल या उससे अधिक गोबर क्रय किया जा रहा है.

राज्य में 20 जुलाई 2020 से गोधन न्याय योजना की शुरूआत की गई है. इस योजना के तहत पशुपालकों एवं ग्रामीणों से गौठानों में दो रुपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है. क्रय गोबर से महिला स्व-सहायता समूह वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट प्लस तैयार करने के साथ ही दीया, गमला, अगरबत्ती, गुलाल सहित अन्य सामग्री तैयार कर रही हैं. गोबर से प्राकृतिक पेंट और पुट्टी का उत्पादन का काम भी रायपुर के समीप हीरापुर-जरवाय गौठान में शुरू कर दिया गया है.

गोबर से विद्युत उत्पादन की भी शुरुआत 2 अक्टूबर 2021 से रायपुर, दुर्ग, बेमेतरा जिले के गौठानों में की जा चुकी है. गोबर से प्राकृतिक पेंट और पुट्टी बनाने के लिए राज्य के 75 चयनित गौठानों में मशीनें लगाई जा रही है. गौठानों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित कर वहां प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई जा रही है. राज्य के 227 गौठानों में तेल मिल और 251 गौठानों में दाल मिल स्थापना का काम तेजी जारी है. गोधन न्याय योजना के तहत 30 जून 2022 तक की स्थिति में 75.38 लाख क्विंटल गोबर क्रय किया जा चुका है, जिसके एवज में गोबर विक्रेताओं को 147 करोड़ 6 लाख रूपए का भुगतान किया गया है. योजना के तहत गौठान समितियों एवं स्व-सहायता समूहों को लाभांश के रूप में 136 करोड़ 4 लाख रूपए की राशि जारी की चुकी है.