राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ में पहली बार गंभीर रूप से कुपोषित (एसएएम) बच्चों के इलाज और देखभाल के लिए एक अभिनव कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. आज छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के मानपुर और मोहला ब्लॉक इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.

यूनिसेफ और एम्स द्वारा समर्थित इस कार्यक्रम की शुरुआत खाद्य और संस्कृति विभाग के मंत्री अमरजीत भगत ने की. छत्तीसगढ़ में यूनिसेफ के प्रमुख जॉब ज़करिया ने कहा कि इस अभिनव कार्यक्रम को राज्यभर में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ के अंतर्गत बढ़ावा दिया जा सकता है.

“एनएफएचएस -4 (2015-16) के अनुसार राज्य में लगभग 8.4% गंभीर रूप से कुपोषित (एसएएम) बच्चे हैं, जिनकी मृत्यु का जोखिम अन्य बच्चों की तुलना में 10 गुना अधिक है. लगभग 85% एसएएम बच्चों का इलाज सामुदायिक स्तर पर किया जा सकता है और केवल 10% को पोषण पुनर्वास केंद्रों (एनआरसी) में इलाज की आवश्यकता हो सकती है.

ज़करिया ने कहा कि समुदाय आधारित एसएएम प्रबंधन” (सीएसएएम) नामक इस अभिनव कार्यक्रम के तहत, गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा एसएएम बच्चों की पहचान की जाएगी. एएनएम द्वारा इन बच्चों को दवाएं प्रदान की जाएंगी. माताओं को बच्चों को दूध पिलाने की सलाह दी जाएगी. साथ ही मितानिन और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा 4 महीने तक एसएएम बच्चों की प्रगति पर अनुवर्ती कार्रवाई की जाएगी. गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के माता-पिता को विशेष खाद्य सामग्री के साथ विशेष किट दिए गए. राजनांदगांव जिले को कुपोषण मुक्त बनाया जाएगा.

जिला कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा द्वारा घोषणा की गयी है कि अगले 2 वर्षों में यूनिसेफ और एम्स रायपुर के सहयोग से पूरे जिले को कुपोषण मुक्त और एनीमिया मुक्त बनाया जाएगा. जिले में बच्चों का शत-प्रतिशत पोषण प्रदान करने के लिए जिला कलेक्टर ने जिले के सरपंचों, स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों, स्थानीय नागरिकों, युवाओं और नागरिक समाज संगठनों का समर्थन मांगा.

समारोह में एम्स के निदेशक डॉ नितिन नागरकर, मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिथिलेश चौधरी, जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश, एसडीएम मोहला-ललितादित्य नीलम, एसडीएम मानपुर- राहुल रजक, महेंद्र प्रजापति-यूनिसेफ पोषण अधिकारी और एसएएम बच्चों की माताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे.

read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus