पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद आजीविका के लिए बीसी सेंटर चलाने वाली मैनपुर ब्लॉक के धुरुवागुड़ी की खेमेश्वरी तिवारी प्रदेश की सबसे ज्यादा ट्रांजेक्शन कराने वाली बैंक सखी बन गई है. अमलीपदर कलस्टर की पीआरपी निधि साहू ने बताया कि खेमेश्वरी को 2019 में आजीविका मिशन से जोड़ा गया था. इसी साल शुरुआती प्रशिक्षण देने के बाद बीसी सेंटर की आईडी के साथ ही आजीविका मिशन से 60 हजार का लोन दिया गया. वह शुरू के दो साल मायूस थी. मेहनत लगन जारी रहा और फिर बीते दो वित्तीय वर्ष में लगभग प्रति वर्ष 2 करोड़ ट्रांजेक्शन करने वाली दीदी बन गई.



महेश्वरी ने बताया कि प्रति माह अधिकतम 1200 हितग्राहियों को 20 से 25 लाख केश देती है. वृद्धा पेंशन, किसान समृद्धि, जीवन ज्योति, तेंदूपत्ता संग्राहक, छात्रवृत्ति समेत 12 योजनाओं से जुड़े ग्रामीण हितग्राहियों के माइक्रो एटीएम के जरिए आधार कार्ड और फिंगर प्रिंट स्कैन के जरिए यह भुगतान किया जाता है. इससे उसकी मासिक आय 20 हजार तक हो जाती है. बिहान योजना के जिला अधिकारी रमेश वर्मा बताते हैं कि जिले में 96 बीसी सेंटर हैं. प्रदेश में इसकी संख्या 3500 से ज्यादा है. इनमें से सर्वाधिक हितग्राहियों को लाभान्वित करने वाली बीसी सखी खेमेश्वरी है. वर्ष 2024 में 1.80 करोड़ और वर्ष 2025 में 2 करोड़ ट्रांजेक्शन कर प्रदेश की उत्कृष्ट बीसी सखी का खिताब भी हासिल किया है.
कभी ससुराल में दहेज के लिए हुई प्रताड़ित, आज कई लोगों की बनी सहारा

धूरवागुड़ी में गरीब परिवार में जन्मी खेमेंश्वरी का विवाह 2017 में हुआ था. दहेज की पूर्ति नहीं कर पाई. प्रताड़ित होती रही फिर ससुराल छोड़ माइके में आ गई. घर में दो छोटी बहन भाई और माता पिता के साथ रह रही है. तंगी के चलते उसने आजीविका मिशन से जुड़ने की ठान लिया. पीआरपी निधि साहू का मदद मिला. 2019 में बैंक सखी बनाई गई. शुरुवात में मायूस थी, लेकिन कोविड-19 में लोक डाउन हुआ तो सरकार की विभिन्न योजनाओं से जुड़े ग्रामीण और वनांचल के हितग्राहियों के लिए खेमेश्वरी बैंक का विकल्प बन कर बैंक वाली दीदी बन गई. यहां से जरूरत मंद लोग जुड़ते गए. आज भी अब खेमेश्वरी के सेंटर में लोगों की भीड़ जुटती है. सेंटर तक नहीं आ पाने वाले 40 से ज्यादा बुजुर्ग, बीमार हितग्राहियों के घर तक पहुंच रुपए निकाल कर देती है.
काम में भाई-बहन और पिता का मिलता है सहयोग

खेमेश्वरी बताती हैं कि ठंड के दिनों में या बीमार बुजुर्ग का फिंगर एक बार में पोस मशिन में स्कैन नहीं हो पाता है. एक-एक हितग्राहियों के लिए उनके घर दो से तीन बार जाना पड़ता है. मैनपुर ब्लॉक के बूढ़गेलटप्पा, खोखमा, सारईपानी, सिहारलीटी पंचायत से जुड़े 10 से ज्यादा गांव जो जंगल के भीतर हैं, वहां तक जाना होता है. बरसात में भी कई दिक्कतें होती है. रूपये लेने सप्ताह में बैंक का तीन से चार चक्कर लगाती है. आमदनी बढ़ा तो साल भर पहले स्कूटी खरीदी है, उससे पहले सायकल से आवाजाही करती थी. परिवार के भाई बहन और पिता उसके काम में सहयोग करते हैं. खेमेश्वरी ने इस मुकाम तक पहुंचने बिहान योजना के प्रति आभार जताया है.

जिला पंचायत सीईओ प्रखर चंद्राकर ने जानकारी दी कि खेमेश्वरी मेहनती है, उसे आजीविका मिशन के योजनाओं के तहत प्रशिक्षण, लोन और लैपटॉप भी दिया गया है. अंगूठा स्कैन की समस्या आ रहा है. आने वाले दिनों में आई स्कैन करने वाले डिवाइस दिए जाएंगे. मेहनती दीदी जिले ही नहीं प्रदेश स्तर पर जिले का नाम रोशन किया है. सभी मेहनत करने वाले दीदियों के लिए प्रेरणा हैं.
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