सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। आचार्य महाश्रमण रायपुर की कॉलोनियों में भ्रमण करते हुए आज विवेकानंद नगर पहुंचे है. जहां उपस्थित लोगों को उन्होंने अहिंसा को अपने जीवन में उतारने के उपदेश दिए. आचार्य महाश्रमण ने कहा कि यदि व्यक्ति स्वयं का मंगल चाहता है तो दूसरों का भी मंगल करें. दुनिया में जहां धर्म होता है वहां मंगल होता है. जहां अधर्म होता है वहां अमंगल होता है, अहिंसा संयम ही धर्म है. जो भी अहिंसा व संयम का पालन करता है, जो तपस्या करता है वो धर्म है.
मंगल वहां है, जहां संयम, तप और अहिंसा है. हम साधु साध्वियों को इनका पालन करना अनिवार्य है. साधु जीवन में जीवों की हिंसा ना हो. उससे बचने के लिए हमें पैदल चलना होता है. छोटा सा भी जीव हमारे पैरों के नीचे ना आए ये देखना होता है.
साधुओं को रात्रि भोजन का त्याग करना होता है. चाहे कितनी भी गर्मी क्यों न हो साधु रात में पानी भी नहीं पीता. सूर्योदय होने के बाद ही साधुओं के भोजन व जल ग्रहण करने का नियम है. ये भी अहिंसा का एक नियम है. लोगों से भी यही कहना चाहता हूं कि जितना हो सके अहिंसा का पालन करें. मांस मदिरा का सेवन ना करें.
तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद जैन ने कहा कि आचार्य महाश्रमण ने आज आम जनता को बेहतर जीवन जीने के उपदेश दिए. उन्होंने कहा कि जीव हत्या पाप है. लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि रात्रि में भोजन का त्याग करें. जैसे भौरा एक ही जगह से पुष्प का पूरा रस नहीं पीता, वैसे ही साधुओं को भी जगह-जगह जाकर भोजन करना होता है. मेरा पूरा जीवन आचार्य महाश्रमण को समर्पित है.
मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के महामंत्री नरेन्द्र दुग्गड़ ने कहा कि धर्म उत्कृष्ट मंगल है, जहां धर्म है वहीं मंगल है… जहां अधर्म है वहां अमंगल.. धर्म के लिए व्यक्ति को अहिंसा का पालन करना चाहिए.
जहां अहिंसा है वहां धर्म, संयम और तप है. हम इन तीनों का पालन कर अपनी आत्मा को परमात्मा की ओर ले जाते है. लेकिन यह ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार की हिंसा ना हो, कोई व्यक्ति नशा ना करें. किसी भी तरह की व्यसन को हम अपने जीवन में ना लाएं.