रायपुर। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के चौथे चरण की शुरूआत 15 जून से हो चुकी है. 31 जुलाई तक चलने वाले चौथे चरण के शुरूआती चार दिनों में ही स्वास्थ्य विभाग की टीम करीब 31 हजार घरों तक पहुंच चुकी है. इस दौरान एक लाख 28 हजार से अधिक लोगों की मलेरिया जांच कर पॉजिटिव पाए गए 1066 मरीजों का तत्काल इलाज शुरू किया गया है. मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ और मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के असर को देखते हुए प्रदेश में इस बार इसे कुल 21 जिलों तक विस्तारित किया जा रहा है. अभियान से मलेरिया उन्मूलन के साथ ही एनीमिया और कुपोषण को खत्म करने तथा शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी लाने में मदद मिलेगी.

छत्तीसगढ़ में मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित बस्तर संभाग में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के पहले तीन चरणों का व्यापक असर दिखा है. मई-2020 की तुलना में वहां मई-2021 में मलेरिया के मामलों में 39 प्रतिशत की कमी आई है. पिछले मई में बस्तर संभाग के सातों जिलों में जहां इसके कुल 2298 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं इस मई में केवल 1404 प्रकरण सामने आए हैं.

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कांकेर जिले में 84 प्रतिशत, कोंडागांव में 82 प्रतिशत, बस्तर में 37 प्रतिशत, दंतेवाड़ा में 22 प्रतिशत, सुकमा में 21 प्रतिशत, बीजापुर में नौ प्रतिशत और नारायणपुर में दो प्रतिशत की कमी आई है. मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के प्रभाव से वहां एपीआई यानि प्रति एक हजार की आबादी में सालाना मिलने वाले मलेरिया के मरीजों की संख्या में भी बड़ी कमी आई है. वर्ष 2016 में 26.78 एपीआई वाले बस्तर संभाग की एपीआई 2020 में घटकर 8.57 पर पहुंच गई है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर पूरे बस्तर संभाग में मलेरिया मुक्त अभियान को जन अभियान के रूप में विस्तारित किया गया है. अभियान के पहले चरण के दौरान दंतेवाड़ा प्रवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री बघेल ने सार्वजनिक सभा में बस्तर को मलेरिया मुक्त करने लोगों को शपथ दिलाई थी. स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों और मैदानी अमले के साथ लगातार बैठक कर अभियान को सफल बनाने मॉनिटरिंग कर आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे हैं.

बस्तर में मलेरिया को नियंत्रित करने में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के प्रभाव से नीति आयोग और यूएनडीपी भी प्रभावित है. उन्होंने इस अभियान की सराहना करते हुए इसे देश भर के आकांक्षी जिलों में संचालित सर्वश्रेष्ठ अभियानों में से एक बताया है. दोनों संस्थाओं ने मलेरिया को खत्म करने देश के अन्य आकांक्षी जिलों में भी इस तरह के अभियान संचालित करने की सिफारिश की है. अभियान के व्यापक असर और उपयोगिता को देखते हुए जीएफएटीएम भी मोबिलिटी-सपोर्ट प्रदान करने आगे आया है.

गौरतलब है कि राज्य शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ द्वारा जनवरी-फरवरी-2020 में बस्तर संभाग के सातों आकांक्षी जिलों में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान का पहला चरण संचालित किया गया था. उसी साल जून-जुलाई में दूसरा और दिसम्बर-2020 व जनवरी-2021 में इसका तीसरा अभियान चलाया गया. घर-घर जाकर पहले चरण में 14 लाख छह हजार, दूसरे चरण में 23 लाख 74 हजार और तीसरे चरण में 15 लाख 69 हजार लोगों की मलेरिया जांच की गई पहले चरण में पॉजिटिव्ह पाए गए 64 हजार 646, दूसरे चरण में 30 हजार 076 तथा तीसरे चरण में 16 हजार 148 मलेरिया पीड़ितों का तत्काल उपचार शुरू किया गया.

पहले, दूसरे और तीसरे चरण के अभियानों में टेस्ट पॉजिटिविटी दर क्रमशः 4.6 प्रतिशत, 1.27 प्रतिशत और 1.03 प्रतिशत पाई गई. इन अभियानों में मितानिनों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे बस्तर के पहुंचविहीन, दुर्गम एवं दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुंचकर सभी लोगों की आरडी किट से मलेरिया की जांच की गई. पॉजिटिव पाए गए लोगों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थ खिलाकर तत्काल मलेरिया के इलाज के लिए दवाई का सेवन चालू किया गया. मितानिनों की निगरानी में उन्हें दवाईयों की पूरी खुराक खिलाई गई अभियान के दौरान हर घर और हर व्यक्ति की जांच सुनिश्चित करने के लिए घरों में स्टीकर चस्पा कर जांच किए गए. लोगों के पैर के अंगूठे में निशान लगाकर मार्किंग की जाती है.

बस्तर संभाग में अभियान के अच्छे नतीजों को देखकर इसे मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के रूप में विस्तारित करते हुए दिसम्बर-2020 में सरगुजा संभाग के पांचों जिलों कोरिया, जशपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज, सरगुजा और सूरजपुर में अभियान संचालित किया गया. वहां इस अभियान के पहले चरण में तीन लाख 89 हजार लोगों की मलेरिया जांच कर पॉजिटिव पाए गए. लोगों का मौके पर इलाज किया गया. अभियान के असर से वहां अप्रैल-2020 की तुलना में अप्रैल-2021 में मलेरिया के मामलों में 60 प्रतिशत की कमी आई है.

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