फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ में जारी नक्सल उन्मूलन के बीच एक महा अभियान की शुरूआत की है. यह महा अभियान है मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़. इस अभियान की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि सर्वाधिक नक्सल प्रभावित इलाका नक्सली समस्या के साथ मलेरिया की समस्या से भी लड़ रहा है. नक्सली हिंसा ही नहीं, बल्कि मलेरिया से भी बड़ी संख्या में जवानों और आदिवासियों को जान गँवानी पड़ी है.

राज्य सरकार ने लिया महाअभियान को गंभीरता से

राज्य सरकार ने इस गंभीर स्थिति को देखने हुए बीते वर्ष ही बस्तर से मलेरिया मुक्त महा अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान के आगाज में खुद मुख्यमंत्री ने अपना मलेरिया टेस्ट कराकर लोगों को जागरूक करने काम किया था. सरकार के इस महाअभियान को बड़ी सफलता बस्तर के इलाके में मिली. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बेहतर से बेहतर काम किया. अंदरूनी इलाकों में जाकर टीम ने शिविर आयोजित की. लोगों के घर-घर जाकर दस्तक दी. इन सबका परिणाम यह रहा है कि आज बस्तर मलेरिया मुक्त होने की स्थिति में आ पहुँचा.

5 वर्षों में 74.69 प्रतिशत की आई कमी

राज्य सरकार की ओर जारी किए आकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में पांच वर्षों में ही मलेरिया के मामलों में 75 प्रतिशत की कमी आई है. भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 को आधार मानते हुए वर्ष 2020 तक प्रदेश से मलेरिया के मामलों में 50 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन राज्य शासन की लगातार कोशिशों से 2015 की तुलना में 2020 में इसमें 74.69 प्रतिशत की कमी आई है.

मलेरिया परजीवी सूचकांक (एपीआई) 1.17 पहुँची

दरअसल जिस गंभीरता के साथ भूपेश सरकार बस्तर को लेकर काम कर रही है. उसी का परिणाम है कि आज मलेरिया के साथ पूरे छत्तीसगढ़ मलेरिया मुक्त होने की ओर तेजी से आगे बढ़ चुका है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक मलेरिया वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) में भी खासी गिरावट आई है. वर्ष 2000 में 16.8 एपीआई वाले छत्तीसगढ़ में घटते-घटते अब यह 1.17 पर पहुंच गई है. एपीआई का राष्ट्रीय औसत 0.13 है.

2030 तक छत्तीसगढ़ मलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य

बता दें कि पूरी दुनिया में हर वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. प्रदेश में इस साल इसे “वर्ष 2030 तक छत्तीसगढ़ को मलेरिया मुक्त करने के लिए हम सब मिल कर काम करेंगे” की थीम पर मनाया जा रहा है. राज्य शासन द्वारा मलेरिया तथा अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए अधिसूचना जारी की गई है.

टास्क फ़ोर्स कमिटी का गठन

राज्य एवं जिला स्तर पर इसके लिए टास्क फ़ोर्स कमिटी का गठन किया गया है. कमिटी द्वारा मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रमों और गतिविधियों की समीक्षा के साथ-साथ नई कार्ययोजना भी तैयार की जाती है। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस वर्ष विश्व मलेरिया दिवस पर रैली, सम्मेलन आदि नहीं किया जा रहा है। परन्तु प्रदेश, जिला एवं विकासखंड स्तर पर विभिन्न सोशल मीडिया व्हाट्स-अप, टेलीग्राम, फेसबुक, ट्विटर आदि के माध्यम से समुदाय को जागरूक किया जा रहा है. साथ ही प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से भी प्रचार-प्रसार अभियान चलाया जा रहा है.

बस्तर में मिले थे 83 प्रतिशत मामले

राज्य में मलेरिया के कुल मामलों में से 83 प्रतिशत मामले बस्तर संभाग के सात जिलों में पाए गए है. इसे दृष्टिगत रखते हुए राज्य शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ द्वारा पिछले साल बस्तर संभाग के सातों जिलों में तीन चरणों में “मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान” और सरगुजा संभाग के जिलों में “मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़” अभियान का पहला चरण संचालित किया गया.

मितानिनों की बड़ी जिम्मेदारी

इन अभियानों में मितानिनों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं द्वारा घर-घर जाकर सभी लोगों की आरडी किट से मलेरिया की जांच की गई. पॉजिटिव पाए गए लोगों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थ खिलाकर तत्काल मलेरिया के इलाज के लिए दवाई का सेवन चालू किया गया. मितानिनों की निगरानी में उन्हें दवाइयों की पूरी खुराक खिलाई गई.

बस्तर संभाग में तीन चरणों की स्क्रीनिंग में पाए गए मलेरिया के मरीजों में 57 प्रतिशत से 60 प्रतिशत ऐसे मरीज थे जिनमें इसके कोई लक्षण नहीं थे. नियमित सर्विलेंस के दौरान मलेरिया के ऐसे मामले पकड़ में नहीं आते हैं. बिना लक्षण वाले मरीज रिजर्वायर के रूप में समुदाय में रहते हैं और इनके द्वारा मलेरिया का संक्रमण होते रहता है. अभियान के दौरान मलेरिया के दोनों तरह के मरीजों, लक्षण वालों और बिना लक्षण वालों का पूर्ण उपचार किया गया.

मलेरिया के साथ कोविद-19 की भी स्क्रीनिंग

मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के दूसरे एवं तीसरे चरण में स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा मलेरिया के साथ-साथ कोविड-19 के लक्षणों वाले व्यक्तियों की भी स्क्रीनिंग की गई. अभियान के दौरान एक (1) से अधिक वार्षिक परजीवी सूचकांक (एपीआई) वाले उप स्वास्थ्य केंद्रों के सभी गांवों में करीब 34 लाख मेडिकेटेड मच्छरदानियों का वितरण किया गया.

दो चरणों को सफलतापूर्वक अंजाम

दो से अधिक एपीआई वाले क्षेत्रों में प्रति वर्ष दो चरणों में कीटनाशक का छिडकाव किया जा रहा है. साथ ही जागरूकता, प्रचार-प्रसार, प्रशिक्षण इत्यादि गतिविधियां चलाई जा रही है. राज्य, जिला एवं विकासखंड स्तर पर हर गतिविधियों की निरंतर मॉनिटरिंग और समीक्षा की जा रही है. यह छत्तीसगढ़ को मलेरिया मुक्त करने की सरकार की प्रतिबद्धता ही है कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में विपरीत परिस्थितियों में भी मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के दो चरणों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है.

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