सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। रामानुजगंज के पलटन घाट में दवाइयों का जखीरा मिला है. जिसकी कीमत लाखों में हैं. इन दवाइयों के रैपर देखकर स्पष्ट हो रहा है कि बीते तीन साल से ये बंटे ही नहीं है. दवाई बच्चों और महिलाओं को देना था. लेकिन नहीं दिया गया. इससे उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हुआ है. अब इस सवाल पर स्वास्थ्य विभाग मौन है.

दरअसल, लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने सरकार एक तरफ मेडिकल सुविधाएं बढ़ाने में लगी है. वहीं दूसरी तरफ रामानुजगंज में दवाई बर्बाद की जा रही है. ऐसा ही एक मामला रामानुजगंज के पलटन घाट में देखने को मिला है. लाखों की दवाई आग में जला दी गई है जिसके लिए जिम्मेदार विभाग जवाब देने से कतरा रहे हैं.

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कोरोना काल से पहले से ही गर्भवती महिला एवं बच्चों को नियमित रूप से बांटे जाने वाली दवाइयां महिला बाल विकास एवं शिक्षा विभाग को वितरित किया गया था. जिला प्रशासन को इन विभागों ने लगातार यह रिपोर्टिंग की कि दवाइयां बांटी जा रही हैं लेकिन कोरोना काल में भी यह दवाइयां नहीं बांटी गई. इसलिए मामले को छुपाने चुपके से पलटन घाट में इन दवाइयों को जला दिया गया.

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जखीरा मिलना दुर्भाग्य जनक

बीएमओ रामानुजगंज का कहना है कि यह दवाइयां हमारे माध्यम से सीधे इन विभागों को दे दी जाती है. उनकी लगातार मॉनिटरिंग इन्हीं विभागों द्वारा की जाती है, लेकिन यह जखीरा मिलना काफी दुर्भाग्य जनक है.

जांच का विषय

इधर, मामले के खुलासे के बाद बीएमओ नोटिस जारी करने की बात कह रहे हैं. सवाल नोटिस से जुड़ा हुआ नहीं है. महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति इन विभागों ने कितनी जिम्मेदारी निभाई है. यह इस जखीरे को देखकर पता चलता है. फिलहाल नोटिस जारी कर पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि किसने दवाइयां नहीं बांटी और उसे कचरे में फेंक दिया, यह जांच का विषय है.

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