रायपुर. छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष अशोक कुर्रें और कार्यकारी अध्यक्ष राधेष्याम कुर्रें ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. साथ ही यह भी कहा कि, छत्तीसगढ़ शासन के उद्योग मंत्री कवासी लखमा द्वारा हमारे पंडाल में आकर हड़ताल स्थगन के दौरान किए गए वादे औऱ दो सूत्रीय मांगों को जल्द पूर्ण कराने का वादा किया गया था.

वहीं हड़ताल स्थगन के 6 माह बीत जाने के बाद भी इनके हड़ताल अवधि का रुका हुआ वेतन अप्राप्त है. साथ ही दो सूत्रीय मांगे क्रमशः रोजगार सहायक का ग्रेड पे निर्धारण और नियमितिकरण की मांग पूरी की जाए. इतना ही नहीं समस्त मनरेगा कर्मियों को पंचायतकर्मी का दर्जा देने की मांग भी अधूरी है. जिसके कारण हम मरनेगा कर्मचारी मजबूर होकर 24 दिसंबर को संभाग स्तरीय न्याय-यात्रा निकालने को मजबूर हैं.

महासंघ का कहना है कि, 15 वर्षों से ये कर्मचारी अल्प वेतनमान, बिना किसी सामाजिक सुरक्षा और कभी भी नौकरी से निकाले जाने के भय से मानसिक रूप से संघर्ष करते आ रहे हैं. अप्रैल माह में इनकी 66 दिनों की हड़ताल छत्तीसगढ़ राज्य में एक दिवस में शून्य कार्य दिवस, अपने 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की बहाली के लिए 12710 कर्मचारियों के सामूहिक त्यागपत्र और किसी कैबिनेट मंत्री के पद से त्यागपत्र के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं.

होगा अनूठा प्रदर्शन
न्याय-यात्रा में मनरेगा कर्मचारियों पर कितनी योजनाओं के संचालन का भार है, उसे बैलगाड़ी में प्रतीकात्मक रूप से प्रदर्शित करने की योजना है. बैल को प्रतीकात्मक रूप से मनरेगा कर्मचारी के रूप में दिखाया जाएगा, जो योजनाओं के भार को नियमितीकरण की आस में खींचे जा रहे हैं. इन बैलों का भूख-प्यास से बुरा हाल है, नियमितिकरण तो दूर इनका वेतन भी 4 साल से बढ़ाया नहीं गया है. बैलगाड़ी में नेता जी भी विराजमान हैं, जो जनता के सामने अपनी उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं. बैल भूख के कारण चिल्ला रहे हैं, जिससे नेता जी को बाधा हो रही है.