रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर धान खरीदी का मुद्दा सियासी रंग में दिखने लगा है. प्रदेश के कई इलाकों में हाथी लोगों और फसलों समेत अन्य चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे निजात को लेकर सरकार और वन विभाग तमाम कोशिश कर चुका था, लेकिन कुछ खास हल निकलता नहीं दिख रहा था. इसे लेकर अब सरकार और वन विभाग ने एक नई पहल करने की कोशिश की है, जिसमें वन विभाग हाथियों के लिए धान खरीद रहा है, ताकि जो हाथी ग्रामीण इलाकों में आकर तहस-नहस और उत्पात मचाते हैं, जिसमें कमी आएगी. विभाग के इस पहल को लेकर विपक्ष हमलावर है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा था कि सड़ा धान विभाग 2050 में क्यों खरीद रहा है. इस पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि विभाग कोई धान नहीं खरीद रहा है.

दरअसल, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने धान खरीदी में भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए सवाल किया था. उन्होंने कहा था कि खुले बाजार में 1350 रूपये में जब धान बिक रहा रहा है, तो वन विभाग को सड़ा धान 2050 रुपए में क्यों बेचा जा रहा है? आखिर सरकार के सामने कौन सी मजबूरी है कि वन विभाग को सड़ा हुआ धान 2 हजार 50 रुपये में बेचना पड़ रहा है. क्या हाथियों को सड़ा हुआ धान अच्छा लगता है? हाथियों ने कितना धान खाया, यह कौन बताएगा?

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कौशिक के इस बयान पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि वन विभाग ने कोई धान नहीं खरीदा है, जो खाद्य विभाग है, उन्होंने ट्रांसफर किया है, 2000 या 2050 के हिसाब से. सरकार से सरकार को ट्रांसफर है. खरीदी कुछ नहीं है.  अब चाहे खाद्य विभाग कम लगाए या ज्यादा लगाए. सरकार का पैसा सरकार के पास है.

अकबर ने कहा कि अब सवाल ये है कि हाथियों के लिए धान की व्यवस्था क्यों की जा रही है. उसका कारण ये है कि लगातार अध्यन के बाद ये जानकारी सामने आई कि जिस घर में धान या अनाज रहता है, उसी घर में हाथी हमला बोलते हैं. उसी घर को तोड़ते हैं और अनाज खाकर निकल जाते हैं. ऐसे में  अब वन विभाग ने हाथियों को धान खिलाने का फैसला किया है, जिससे हाथी गांव तक पहुंच ही नहीं पाएंगे. धान को खाकर चले जाएंगे, जिससे ग्रामीणों को नुकसान उठाना नहीं पड़ेगा.

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वन मंत्री ने कहा कि हमारे पास एक अलर्ट सिस्टम है, जिसकी मदद से हाथियों का पता लगाया जाता है, जैसे ही हाथियों के बारे में पता चलेगा, तो लोग अल्रट हो जाएंगे और हाथियों के लिए उस इलाके में धान रख दिया जाएगा, जिससे हाथी धान को खाकर निकल जाएंगे. गांवों में उत्पात नहीं मचाएंगे.

मंत्री अकबर ने कहा कि हाथियों की मेमोरी बहुत शॉर्प होती है, जिससे हाथी धान खाने के बाद बार-बार उसी जगह पर आएंगे, जहां हाथियों को धान खाने को मिल रहा है. ऐसे में वन विभाग ने सोचा कि हाथियों के लिए उसी जगह पर धान रखा जाएगा, जिससे हाथी ग्रामीण इलाकों में नहीं आएंगे, जिससे जानमाल का खतरा नहीं रहेगा. साथ ही फलदार वृक्षों का रोपण किया जाएगा, जिससे हाथी फलों को खाकर इलाके में नहीं आएंगे.

वन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में हाथियों से आम जन को बचाने के लिए ये प्रयोग है. मंत्री ने कहा कि एक प्रयोग बालोद के लिमईपुर गांव में प्रयोग किया गया, जिसमें धान की बोरियों को खोल कर रख दिया गया. जहां हाथियों ने धान को नहीं खाया, क्योंकि उनको लगा कि इंसानों का ये कोई चाल है. अब लगातार ये प्रयोग किया जाएगा, जिससे हाथी धान को खाना शुरू करेंगे और गांवों में नहीं आएंगे.

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