राजनीति से जुड़े लोगों या चुनाव जीत कर आए जनप्रतिनिधियों से आम लोगों की अक्सर शिकायत रहती है. यह शिकायत होती है कि चुनाव जीतने के बाद उनके नेता या जनप्रतिनिधि गांव में झांक कर भी नहीं देखते. इसके अलावा अपनी समस्याओं को लेकर आम लोग जनप्रतिनिधियों के पीछे भटकते हुए कई बार नजर आते हैं. इन सबसे अलग मुंगेली जिले में एक बीजेपी नेत्री की अनोखी मुहिम से क्षेत्र के लोग काफी प्रभावित हुए है. इसके अलावा राजनीतिक गलियारों में भी इसकी चर्चा जोरों पर है.
रोहित कश्यप,मुंगेली। जिले के भाजपा नेत्री व धरमपुरा जिला पंचायत क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य शीलू साहू ने जनचौपाल की शुरुआत की है. जिसके तहत वे अपने क्षेत्र के सभी पंचायतों में जन चौपाल लगाकर लोगों की न सिर्फ समस्याएं सुनेंगी, बल्कि उन समस्याओं और मांगों को संबंधित विभाग के अधिकारियों के समक्ष रखकर निराकरण करने की मांग करने का बीड़ा भी उठाया है. जिसकी शुरुआत पहला जन चौपाल जिला पंचायत क्षेत्र के प्रमुख गांव धरमपुरा से की गई. जहां पंचायत के लोगों ने अलग-अलग तरीके से समस्याएं एवं मांग संबंधी ज्ञापन उनके समक्ष सौंपा है. जिसको लेकर अब वे जिला प्रशासन एवं सम्बंधित विभाग के अधिकारियों से बात कर निराकरण करने की मांग करेंगी.
इसे भी पढ़ें- VIDEO: महाशिवरात्रि पर अंडों के साथ दिखे नाग-नागिन, चमत्कार मानकर ग्रामीण करने लगे पूजा अर्चना
जिला पंचायत सदस्य शीलू साहू ने lalluram.com से बातचीत में कहा कि आजकल चुनावी समय में जनहित के कार्य करने के वायदे तो नेताओं के द्वारा किए जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद अक्सर जनप्रतिनिधि अपने दायित्व को भूल जाते हैं. जिसके चलते कई बार उन्हें जनता के सामने शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता है. यही वजह कि उन्होंने अपने जिला पंचायत क्षेत्र के 29 पंचायतों में अलग-अलग समय में 8 से 15 दिन के अंतराल में जन चौपाल लगाकर जनता से मिलने और उनकी समस्याओं से रूबरू होने का निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा कि वे संबंधित मांग या प्राप्त शिकायतों को जिला प्रशासन के अधिकारियों के समक्ष रखकर निराकरण करने की मांग भी करेंगी. जब उनसे पूछा गया कि राज्य में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में उनकी शिकायतों को प्रशासन के अधिकारी कितनी गंभीरता से लेंगे, तब उनका कहना था कि उनका कर्तव्य है, लोगों की समस्याओं को प्रशासन के समक्ष रखना. बाकी निराकरण करना या नहीं करना प्रशासनिक अधिकारियों के ऊपर निर्भर करता है. उनका तर्क ये भी है कि उनके क्षेत्र के लोग कम से कम ये तो नहीं कहेंगे कि जनहित के कार्य उनके द्वारा नहीं किया गया.