अमित पांडेय, खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिला मुख्यालय में  64.77 लाख रुपये की दुकान नीलामी में अनियमितताओं का खुलासा होने के बाद नगर पालिका ने 11 दुकानों की नीलामी भले ही निरस्त कर दी हो, शासन ने CMO और राजस्व प्रभारी को निलंबित भी कर दिया हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. नीलामी रद्द होने के बावजूद मणिकंचन केंद्र धरमपुरा और फतेह मैदान परिसर की अधिकांश दुकानों पर अब भी बोलीकर्ताओं का कब्जा कायम है, जिससे पूरे मामले पर नए और गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.

सूत्रों के मुताबिक, नीलामी निरस्त होने के बाद भी कई दुकानों के ताले तक नहीं खुले. हैरानी की बात यह है कि कुछ बोलीकर्ताओं ने इन दुकानों को आगे एक-एक साल के लिए किराए पर भी दे दिया है. यानी जिस नीलामी को शासन और नगर पालिका ने अवैध और नियमविरुद्ध माना, उसी के आधार पर सार्वजनिक संपत्ति का खुलेआम व्यावसायिक उपयोग जारी है. इससे यह संदेह और गहरा गया है कि कहीं नीलामी निरस्तीकरण सिर्फ फाइलों तक ही सीमित तो नहीं रह गया.

सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि नगर पालिका प्रशासन को इस पूरे हालात की जानकारी होने के बावजूद अब तक न तो दुकानों को सील किया गया है और न ही कोई ठोस बेदखली कार्रवाई सामने आई है. जानकारों का साफ कहना है कि यदि नीलामी अवैध थी, तो उस पर आधारित कब्जा भी स्वतः अवैध है. ऐसे में पालिका की चुप्पी कहीं न कहीं मिलीभगत और संरक्षण की आशंका को और मजबूत करती है.

शिकायतकर्ता आदित्य सिंह परिहार ने कहा कि नीलामी निरस्त होने के बाद भी दुकानों पर कब्जा बना रहना कानून और शासन आदेशों की खुली अवहेलना है. उन्होंने जिला कलेक्टर और नगरीय प्रशासन विभाग से मांग की है कि सभी दुकानों को तत्काल सील कर अवैध कब्जा हटाया जाए, दोषी लाभार्थियों से राजस्व हानि की वसूली की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए. चेतावनी दी गई है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो मामला राज्य स्तर तक ले जाकर न्यायालय की शरण ली जाएगी.

इधर नगर पालिका की ओर से प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी अविनाश देवांगन ने बताया कि नीलामी निरस्त की गई 11 दुकानों के बोलीकर्ताओं को नोटिस जारी कर दिए गए हैं. उन्हें तीन दिवस के भीतर स्वेच्छा से दुकान खाली करने के निर्देश दिए गए हैं. तय समय-सीमा में पालन नहीं होने पर नियमानुसार कब्जा हटाने और दुकानों को सील करने की कार्रवाई की जाएगी. हालांकि सवाल अब भी कायम है कि क्या यह कार्रवाई कागजों से निकलकर ज़मीन पर भी दिखाई देगी, या फिर यह मामला भी फाइलों में ही दबकर रह जाएगा.