रायपुर। नाबार्ड ने छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2020-21 के दौरान 12,897 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की है. पिछले वर्ष 7,888 करोड़ रुपए की सहायता दी थी. मुख्य महाप्रबंधक डॉ. डी. रवींद्र ने नाबार्ड द्वारा 2020-21 के दौरान छत्तीसगढ़ के विकास के लिए किए गए प्रमुख योगदानों का उल्लेख किया है.

वित्तीय वर्ष 2020-21 दौरान राज्य सरकार को ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि (आरआईडीएफ) के अंतर्गत ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं जैसे कि ग्रामीण सड़के, सिंचाई, कोविड-19 के उपचार के लिए स्वास्थ्य सेवाओं आदि के लिए 1,432 करोड़ की ऋण राशि स्वीकृत की गई. आरआईडीएफ सहायता में से अधिकांश राशि का उपयोग ‘सौर सुजला’ के अंतर्गत 40,000 सौर चलित पंपसेट्स और ‘पीएम-कुसूम’ योजना के लिए किया जाएगा.

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इससे राज्य में लगभग 80,000 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई संभाव्यता सृजित होगी. इसी प्रकार ‘मुख्य मंत्री ग्राम सडक योजना’ के अंतर्गत ग्रामीण बसाहटों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने के लिए 239 ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए इसी निधि से सहायता राशि का उपयोग किया जाएगा. राज्य के 28 जिलों में स्वास्थ सेवाओं के सुद्रढ़ करने और उनमें सुधार के लिए अस्पतालों, अलगाव कक्ष, प्रयोगशाला, एम्बुलेंस, ऑक्सीजन सृजन संयत्र आदि के लिए 138 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई.

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नाबार्ड ने सीजी, मार्कफेड को खरीफ सीजन 2020-21 के दौरान धान की खरीद के लिए रु.7000 करोड़ तथा छत्तीसगढ़ ग्रामीण आवास निगम मर्यादित को ‘पीएमएवाय-जी’ के अंतर्गत ग्रामीण आवासों के निर्माण हेतु रु.792.44 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की गई.

2020-21 के दौरान नाबार्ड द्वारा राज्य की राज्य सहकारी बैंक, समस्त सहकारी केन्द्रीय बैंकों और छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक को फसल के लिए अल्पावधि पुनर्वित्त सहायता के रूप में 3164 करोड़ की राशि संवितरित की गई. इसके अलावा राज्य में कृषि निवेश गतिविधियों जैसे कि डेयरी, मुर्गी पालन, मछली पालन, कृषि यांत्रिकीकरण, सिंचाई, कृषीत्तर क्षेत्रों आदि के लिए बैंकों को 837 करोड़ की दीर्घावधि वित्तीय सहायता भी प्रदान की गई.

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‘ई-शक्ति फेज-IV’ के अंतर्गत राज्य के 4 जिलों बस्तर, दंतेवाडा, रायगढ़ और कांकेर में 23,827 स्वयं सहायता समूहों के खातों को डिजिटाइज्ड किया जा चुका है. इसके बाद 2020-21 के दौरान स्वयं सहायता समूहों को ऋण दिलवाने के लिए 161 क्षमता निर्माण कार्यकमों और 645 ग्राम स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए गए. राज्य में स्वयं सहायता समूहों के 1,350 सदस्यों को आजीविका उपलब्ध करवाने के लिए नाबार्ड द्वारा 02 सूक्ष्म उद्यम विकास कार्यक्रम (एमईडीपी) और 05 आजीविका उद्यम विकास कार्यक्रम (एलईडीपी) कार्यक्रमों को स्वीकृति दी गई. छोटे और सीमांत किसानों, बटाईदारों, भूमिहीन किसानों, मौखिक पट्टे पर खेती कर रहे किसानों आदि को संस्थागत ऋण प्रदान करने के लिए नाबार्ड द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में ‘नैबफिन्स’ के माध्यम से 3,500 संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) के वित्तपोषण के लिए परियोजना स्वीकृत की गई.

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राज्य में विभिन्न कृषीत्तर गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड द्वारा 93.66 लाख की राशि स्वीकृत की गई. इस राशि में से कोरबा और बलौदाबाजार में 2 ग्रामीण मार्ट और महासमुंद, बिलासपुर और बलौदाबाजार में 03 ग्रामीण हाट की स्थापना की जानी है. 180 ग्रामीण युवाओं के कौशल विकास के लिए बाल्को, कोरबा और एआईएफए, रायपुर को 06 कौशल विकास परियोजनाएं स्वीकृत की गई. समूचे छत्तीसगढ़ के 28 जिलों में 200 स्वच्छता जागरूकता केंप आयोजित किए गए. नाबार्ड के क्लस्टर विकास कार्यक्रम के अंतर्गत, बस्तर जिले में टुमा, डोकरा और बेल मेटल शिल्प के लिए कृषीत्तर उत्पादक संगठन (ओएफपीओ) के गठन के लिए स्वीकृति दी गई. इससे बस्तर के लगभग 500 ग्रामीण शिल्पकारों को लाभ होगा.

राज्य में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड द्वारा विभिन्न बैंकों को 9.72 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई. बैंकिंग प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन के लिए छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक को 8 मोबाइल वैन स्वीकृत किए गए. इसी प्रकार छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक और ईएसएएफ़ लघु वित्त बैंक को क्रमश: 700 और 175 माइक्रो एटीएम की खरीद के लिए अनुदान सहायता प्रदान की गई.

राज्य में आदिवासी परिवारों को स्थायी आजीविका प्रदान करने के उद्देश्य से नाबार्ड ने आदिवासी विकास निधि (टीडीएफ) के तहत 84 वाडी कार्यक्रम के तहत 220.71 करोड़ की मंजूरी दी है. इस योजना के अंतर्गत अब तक 21 जिलों में 55,163 आदिवासी परिवारों को लाभ मिल रहा है.

इसी तरह नाबार्ड द्वारा स्वीकृत 67 वाटरशेड परियोजनाएं राज्य के 19 जिलों में उपचार क्षेत्र 51,560 हेक्टेयर और 25,565 ग्रामीण परिवारों को कवर करने के साथ कार्यान्वित किया जा रहा हैं. इस परीयोजना के अंतर्गत उपचार क्षेत्रों में मिट्टी और जल संरक्षण और अन्य हस्तक्षेपों के लिए रु. 51.71 करोड़ की अनुदान सहायता को मंजूरी दी है.

भारत सरकार की केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत समूचे देश में 10,000 कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन का कार्य किया जा रहा है. नाबार्ड द्वारा इस योजना को राज्य के 11 जिलों के 20 विकासखंडों में क्रियान्वित किया जा रहा है. सभी ग्रामीण वित्तीय संस्थानों का वैधानिक निरीक्षण भी वर्ष 2020-21 के दौरान नाबार्ड द्वारा किया गया था.