रायपुर। छत्तीसगढ़ में पढ़ना-लिखना अभियान के तहत बच्चों के साथ-साथ अब अभिभावकों को भी बुनियादी साक्षरता प्रदान कर शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ा जाएगा. शैक्षणिक संस्थाओं के बंद होने के कारण बच्चों को शिक्षित करने पालकों की जिम्मेदारी अब बढ़ गई है. प्रथम चरण में अशिक्षित पालकों को शिक्षित किया जाएगा. अब बालक और पालक मिलकर मोहल्ला क्लास पढेंगे.

 बालक और पालक मिलकर पढ़ेंगे 

राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा 17 और 18 जून को आयोजित राज्य स्तरीय वेबीनार में अशिक्षित पालकों को शिक्षित करने के लिए बनाई गई है. रणनीति के संबंध में विषय विशेषज्ञों के साथ प्रदेश के सभी जिलों के ब्लॉक, नगरीय, संकुल, ग्राम पंचायत और वार्ड प्रभारियों को सीधे रू-ब-रू होकर चर्चा की गई. इन दो दिनों की चर्चा में 10 हजार से अधिक लोगों ने यू-ट्यूब के माध्यम से हिस्सा लिया.

अभिभावकों को शिक्षित करने की पहल

पढ़ना-लिखना अभियान के तहत राज्य स्तरीय वेबीनार का शुभारंभ राज्यगीत से किया गया. इस अवसर पर साक्षरता पर केन्द्रित एक थीम सांग भी दिखाई गई. राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सहायक संचालक और नोड़ल अधिकारी प्रशांत कुमार पांडेय ने पढ़ना-लिखना अभियान के उद्देश्य, लक्ष्य एवं प्रभारियों के कार्य दायित्व के संबंध में विस्तार से जानकारी दी.

वरिष्ठ सलाहकार सत्यराज अय्यर ने पालकों के लिए नवाचारी गतिविधियों के बारे में प्रभावशाली प्रस्तुति दी. यूनीसेफ की सलाहकार डॉ. मनीषा वत्स द्वारा पठन-पाठन गतिविधियों का संचालन के संबंध में बताया. प्राधिकरण की परियोजना सलाहकार नेहा शुक्ला द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल, पढ़ना-लिखना अभियान के एप में शिक्षार्थियों और स्वयंसेवी शिक्षकों की पुस्तकों के साथ फोटो अपलोड़ करने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया.

राज्य स्तरीय वेबीनार में अभियान के प्रभारियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर प्राधिकरण के सहायक संचालक प्रशांत कुमार पांडेय और दिनेश कुमार टांक ने दिए. इस अवसर पर परियोजना सलाहकार निधि अग्रवाल, प्राधिकरण के महेश वर्मा, डमरूधर दीप, कृष्णा गौर उपस्थित थे.

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