पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के बरही नाले पर ओडिशा के नवरंगपुर जिले द्वारा कराए जा रहे पुल निर्माण को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है. आरोप है कि ओडिशा के ठेकेदार द्वारा भोजपुर को जोड़ने वाले मार्ग पर छत्तीसगढ़ की राजस्व भूमि में बिना अनुमति करीब 3 करोड़ रुपये की लागत से उच्च स्तरीय पुल का निर्माण कराया जा रहा है. इस मामले में छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग ने निर्माण को अवैधानिक बताते हुए कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है.


छत्तीसगढ़ की भूमि पर निर्माण का आरोप
जानकारी के अनुसार, ओडिशा के नवरंगपुर जिले के आरडी विभाग द्वारा बरही नाले पर करीब 66 मीटर लंबा पुल बनाया जा रहा है. बरही नाला ओडिशा सीमा से लगे दीवानमुड़ा–भोजपुर मार्ग पर स्थित है, जिसका आधा भूभाग छत्तीसगढ़ के राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है. राजस्व अभिलेखों के अनुसार नाले के साथ-साथ लगभग 33 मीटर पक्का निर्माण और करीब 30 मीटर लंबा एप्रोच मार्ग भी छत्तीसगढ़ की भूमि में आता है. बताया गया है कि ठेकेदार द्वारा छत्तीसगढ़ की जमीन पर दो बड़े पिलर खड़े किए जा चुके हैं और करीब 22 मीटर लंबी स्लैब भी ढाली जा चुकी है, जबकि एप्रोच रोड का काम भी तेजी से कराया गया.
राजस्व जांच में पुष्टि, नोटिस जारी
मामले की जानकारी मिलते ही तहसीलदार अजय चंद्रवंशी ने संबंधित हल्का पटवारी से मौके का परीक्षण कराया. पटवारी की रिपोर्ट में सामने आया कि खसरा नंबर 131 में नाले का लगभग 33 मीटर हिस्सा छत्तीसगढ़ के राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है. वहीं खसरा नंबर 128/1 दीवानमुड़ा निवासी किसान संतोष कश्यप के नाम दर्ज है. तहसीलदार अजय चंद्रवंशी ने स्पष्ट किया कि बिना राजस्व विभाग की अनुमति के किया जा रहा यह निर्माण अवैधानिक है. ठेका कंपनी को नोटिस जारी किया गया है. कंपनी की ओर से ग्राम पंचायत से प्राप्त अनापत्ति प्रमाण पत्र दिखाया गया है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि दूसरे राज्य द्वारा किए जा रहे पक्के निर्माण के लिए पंचायत की अनापत्ति पर्याप्त नहीं मानी जा सकती. निर्माण कार्य पर रोक लगाने के लिए पत्र जारी करने की प्रक्रिया चल रही है.
पंचायत की भूमिका पर सवाल
इस निर्माण को लेकर दीवानमुड़ा ग्राम पंचायत की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. जानकारी के अनुसार, जयपुर की वासुदेव कंस्ट्रक्शन कंपनी ने फरवरी 2023 में तत्कालीन सरपंच कंचन कश्यप से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया था. हालांकि नियमों के अनुसार ऐसे मामलों में पंचायत प्रस्ताव आवश्यक होता है. ऐसे में यह जांच का विषय है कि जारी अनापत्ति व्यक्तिगत थी या ग्राम पंचायत की सामूहिक सहमति से दी गई थी. तत्कालीन सरपंच कंचन कश्यप का कहना है कि मार्ग की आवश्यकता को देखते हुए पुल निर्माण के लिए गांव में सहमति थी.
2015 का पुराना विवाद भी चर्चा में
इस घटना के साथ ही वर्ष 2015 का मामला भी एक बार फिर चर्चा में आ गया है. उस समय तेल नदी के एनासर घाट पर करीब 5 करोड़ रुपये की लागत से 130 मीटर लंबी एनीकट वाल का निर्माण कराया जा रहा था, जिसे नवरंगपुर जिला प्रशासन ने यह कहते हुए रुकवा दिया था कि नदी का आधा हिस्सा ओडिशा के अधिकार क्षेत्र में आता है और आवश्यक अनापत्ति नहीं ली गई थी. इस एनीकट का उद्देश्य उरमाल जलप्लावन योजना को समर्थन देना था, जिससे सिंचाई सुविधा विकसित होनी थी. काम रुकने से करीब 70 करोड़ रुपये की योजना प्रभावित हो गई, जिसका लाभ छत्तीसगढ़ और ओडिशा दोनों राज्यों के किसानों को मिल सकता था.
फिलहाल बरही नाले पर चल रहे पुल निर्माण को लेकर दोनों राज्यों के बीच एक बार फिर सीमा और अधिकार क्षेत्र का मुद्दा तूल पकड़ता नजर आ रहा है. प्रशासनिक जांच के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.
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