जीवन सिरसान, बीजापुर। सिलगेर में एक बार फिर आदिवासियों का बड़ा आंदोलन शुरू होने वाला है. ग्रामीण जंगल के रास्ते से सिलगेर पहुंच रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिले के करीब 30 गांव के लोग रवाना हो गए हैं. इन ग्रामीणों की संख्या 20 हजार के करीब बताई जा रही है. अब तक सिलगेर में 5 हजार से ज्यादा ग्रामीण सिलगेर में जमा हो चुके हैं.

क्या है पूरा मामला

बीजापुर सुकमा जिले से लगे सिलगेर में मुकुर कैंप का निर्माण किया गया है. लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि ये कैंप आदिवासियों की निजी जगह में बना है. जिसके बाद से ये विरोध शुरू हो गया. 10 मई से यहां विरोध धीरे-धीरे शुरू होता गया. इसके बाद 17 मई को यहां विरोध बढ़ गया. जिसके बाद पुलिस फायरिंग में 3 ग्रामीण मारे गए और भगदड़ में 1 गर्भवती महिला घायल हो गई. जिसकी मौत चंद दिनों बाद हो गई.

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पुलिस का कहना है कि सिलगेर में जो लोग मारे गए वह नक्सली सहयोगी थे. वहीं ग्रामीणों के मुताबिक वे आदिवासी किसान थे. इस एनकाउंटर के बाद सुकमा का छोटा सा गांव सिलगेर राष्ट्रीय सुर्खियां बन गया और इसके बाद इस मामले में राजनीति शुरू हो गई. मुआवजे के रूप में मृतकों के परिवार को 10-10 हजार रुपए की सहायता राशि देने की कोशिश की गई. लेकिन इसे लेने से मना कर दिया गया.

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