रायगढ़. रायगढ़ एनर्जी जनरेशन लिमिटेड (आरईजीएल) अपने सामाजिक उत्तरदायित्व निर्वहन की संस्था अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से 15 परिधीय ग्रामों में सुपोषण सप्ताह मना रहा है. इस कार्यक्रम के तहत 6 वर्ष तक के बच्चों, शिशुवती माताओं और गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण आहार व 15 से 49 वर्ष आयु की किशोरियों और महिलाओं सहित लगभग 1500 लाभार्थियों को सुपोषण से संबंधित विभिन्न विषयों पर शिक्षित किया जायेगा. 1 से 7 सितम्बर तक चलने वाले इस कार्यक्रम में एक सुपोषण रथ रोजाना पुसौर ब्लॉक के अंदर आने वाले गांवों का दौरा करेगा.

सुपोषण रथ के लिए जिन ग्रामों का चयन किया गया है. जिसमें बडे भंडार, छोटे भंडार, अमलीभोना, जेवरीडीह सरवानी, बरपाली, कठली तुपकधर, बुनगा, रणभाठा, टपरदा, सूपा और कोतमरा शामिल है. साथ ही साथ जांजगीर चांपा जिले के डभरा ब्लॉक के ग्राम कलमा और चंदली में सुपोषण जागरूकता कार्यक्रम के तहत गांव में रैलियों भी निकाली जाएगी. इसी दौरान पूरक आहार को बढ़ावा देने के लिए 6 माह तक के बच्चों के लिए अन्नप्रासन, स्थानीय पौष्टिक भोजन का प्रदर्शन करने के लिए स्टाल, सब्जी स्टाल प्रदर्शन और रंगोली आदि का आयोजन किया जायेगा.

सुपोषण सप्ताह कार्यक्रम का उद्घाटन एकीकृत बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) परियोजना के जिला कार्यक्रम अधिकारी टिकवेन्द्र जाटवर, जिला महिला व बाल विकास अधिकारी अतुल दांडेकर और आरईजीएल के सीएसआर प्रमुख पुर्णेन्दु कुमार द्वारा किया गया. उन्होंने सुपोषण रथ को ध्वज लहराकर रवाना किया और इस कर्यक्रम की अगुआई की. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (एनएफएचएस-4) के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में पांच साल से कम उम्र के 37.7 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं और 15 से 49 साल से कम उम्र की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. 58.7% किशोरियों में खून की कमी है. 6-23 महीने
की उम्र के केवल 12.7 फीसदी स्तनपान वाले बच्चों को पर्याप्त आहार मिल रहा है.ग्रामीण क्षेत्रों में युवा बच्चों और नवजात शिशुओं को खिलाने की प्रथाएं उपयुक्त नहीं हैं. इसके अलावा, COVID-19 ने लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है.

बता दें कि आरईजीएल संयंत्र के मोबाइल हेल्थ केयर यूनिट द्वारा पहले से चलाए जा रहे “स्वस्थ्य सेवा तुहार द्वार” कार्यक्रम से उपरोक्त 15 परिधीय गांव लाभान्वित होते रहे है. इसके द्वारा गत माह अप्रैल से जुलाई तक कुल 6376 मरीजों (3156 पुरुष और 3220 महिला) का मुफ्त इलाज उनके घर पर ही किया गया. अदाणी फाउंडेशन समय-समय पर विभिन्न स्वास्थ जागरूकता कार्यक्रमों में आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से समुदायों को उनके स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सहयोग भी प्रदान करता रहा है.

अदाणी फाउंडेशन के बारे में

1996 में स्थापित अदाणी फाउंडेशन वर्तमान में 18 राज्यों में सक्रिय है. जिसमें देश भर के 2250 गांव और कस्बे शामिल हैं. फाउंडेशन के पास प्रोफेशनल लोगों की टीम है, जो नवाचार, जन भागीदारी और सहयोग की भावना के साथ काम करती है. वार्षिक रूप से 3.2 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित करते हुए अदाणी फाउंडेशन चार प्रमुख क्षेत्रों- शिक्षा, सामुदायिक स्वास्थ्य, सतत आजीविका विकास और बुनियादी ढा़ंचे के विकास, पर ध्यान केंद्रित करने के साथ सामाजिक पूंजी बनाने की दिशा में काम करता
है. अदाणी फाउंडेशन ग्रामीण और शहरी समुदायों के समावेशी विकास और टिकाऊ प्रगति के लिए कार्य करता है और इस तरह राष्ट्र-निर्माण में अपना योगदान देता है.