रायपुर। राजधानी में मातृभाषा छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई-लिखाई और सरकारी काम-काज की मांग जोरों पर है. इसे लेकर जारी जन-जागरण में दूसरे दिन प्रदेश के कई नामाचीन लोक-साहित्यकार पहुंचे. साहित्यकारों के साथ समाज प्रमुख के लोग भी शामिल हुए.

जन-जागरण में बैठे साहित्यकार

साहित्यकार परदेशी राम वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ी को लेकर संघर्ष दशकों से चला आ रहा है. हमारे पुरखों ने भी लंबा आंदोलन किया है. आज अब अलग राज्य बने 20 साल हो गए, तो भी हमें संघर्ष करना पड़ रहा है. जन-जागरण के लिए हमें बैठना पड़ रहा है. यह सब देखकर दुख होता है. लेकिन हमें निराश नहीं होना है, बल्कि अपनी गतिविधियों को जारी रखना है.

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उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह साफ बात है कि जब छत्तीसगढ़ी सहित गोंडी, हल्बी राज्य की काम-काज और पढ़ाई-लिखाई की भाषा नहीं बनेगी, तब छत्तीसगढ़ियों का समूचित राज नहीं आ पाएगा. इसलिए ये मांग पूरी हो चाहिए.

इन्होंने दिया समर्थन

जनगागरण को हल्बी भाषाविद् और साहित्यकार शंकुतला तरार में भी संबोधित किया. साथ ही लेखक कृष्णकुमार चौबे भी अपना समर्थन देने पहुंचे थे. वहीं सर्व आदिवासी समाज से विनोद नागवंशी सहित कई समाज के लोग मौजूद रहे.

दो दिन से चल रहा जन-जागरण

बता दें कि राजधानी रायपुर के बूढ़ातालाब धरना स्थल में 15 मार्च से प्रदर्शन चल रहा है. छत्तीसगढ़ी सहित राज्य की मातृभाषाओं में सरकारी काम-काज और शिक्षा की मांग को लेकर प्रदेश भर से लोग जन-जागरण में बैठे हैं. राजधानी में जन-जागरण का आयोजन छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना, छत्तीसगढ़ी राजभासा मंच सहित विभिन्न संगठनों की ओर से किया जा रहा है.