प्रतीक चौहान. रायपुर. राजधानी रायपुर से जमीन के एक बड़े खेल का मामला सामने आया है. इस खेल में ही एक अतिरिक्त तहसीलदार का भी वीडियो लल्लूराम डॉट कॉम के पास मौजूद है.

इस पूरे खेल में से हम सिर्फ आपको एक खसरे की खबर बता रहे है. रिंग रोड़ क्रमांक-1 के लिए अधिग्रहित की गई जमीन खसरा नंबर 37 में 71 डिस्मिल (.287 हेक्टेयर ) जिसमें से 21 डिस्मिल (.085 हेक्टेयर) रिंग रोड में अधिग्रहित हो गई. ये अधिग्रहण 1975-76 में किया गया. जिसके बाद कुल .202 हेक्टेयर भूमि ही कागजों में बचनी चाहिए थी. चौंकाने वाली बात यह है कि रिकार्ड में अभी .473 हेक्टेयर ( एक एकड़ 17 डिस्मिल) भूमि दर्ज है. जबकि सिर्फ 50 डिस्मिल (.202 हेक्टर) जमीन होनी चाहिए थी. यानी कागजों में जमीन बढ़ गई. अब सवाल ये है कि .271 हेक्टर जमीन भूमि खाते में अतिरिक्त कहा से आई ? ये हम नहीं बल्कि राजस्व रिकार्ड कह रहा है, जो लल्लूराम डॉट कॉम के पास मौजूद है.

जांच में हो सकता है बड़ा खुलासा

पूरे रिंग रोड नंबर-1 की अधिग्रहित भूमि की जांच की जाय तो कई करोड़ों रुपए के बैंक लोन का घोटाला और फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है. रिंग रोड का बजार भाव करीब 5000 हजार वर्ग फीट है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अतिरिक्त भूमि के दाम करीब 14 करोड़ से अधिक के कागजों में है. यानी इस जमीन करोड़ों रुपए का लोन घोटाला और शासकीय जमीन या अन्य खसरे की जमीन में काबिज होने की संभावना बढ़ जाती है.  जिसमें 80 फीसदी लोन पास किया जाता है. जो पांच हजार का 4000 रुपए है. पूरे रिंग रोड में करोड़ों रुपए लोन लिया गया है. इसके लिए अब पूर्व से चला आ रहा फर्जी रिकार्ड ऑनलाइन करके बैंक लोन की प्रक्रिया पूरी की जा रही है. इसमें ऐसे भी कुछ मामले है जिसमें बैंक ने ही जमीन की निलामी की है.

सुधार करने की बजाएं फिर आर्डर

हाल ही में फिर से रायपुर के अतिरिक्त तहसीलदार अश्वनी कंवर को उक्त भूमि खसरा नंबर 37 के रकबा बढ़ाने की पूरी जानकारी होने के बावजूद उक्त संदिग्ध खसरे की जांच न कराके व त्रुटी सुधार न कराके व बिक्री में रोक लगाने की बजाएं उक्त भूमि को बिक्री के लिए रिकार्ड में गलत तरीके से सुधार कर बिक्री के लिए प्रस्तावित किया जा रहा है. मेन्युवल रिकार्ड जो पहले से ही गलत है उसको ऑनलाइन कराया जा रहा है. जबकि गलत रिकार्ड को सुधार कराना चाहिए था. इसके अलावा बिक्री कराने का खेल भी चल रहा है. बतादें कि यह एक मामला है जबकि खसरा क्रमांक 37 के साथ-साथ पूरे रिंग रोड़ नंबर 1 के अधिग्रहण भूमि में पूरी गड़ब़ड़ी किए जाने की संभावना है.

कहां है रिंग रोड़ की जमीन ?

रिंग रोड़ नंबर 1 ने जमीन 1975-76 में अधिग्रहित कर ली. लेकिन शासकीय अभिलेख में रिंग रोड़ की कोई भी जमीन का रिकार्ड दर्ज नहीं है. यानी ये समझा जाएं कि अधिग्रहण हुआ ही नहीं  ? लेकिन वहां तो रिंग रोड नंबर-1 पर फर्राटे से गाड़ियां दौड़ रही है. इसका मतलब है अधिग्रहण तो हुआ. लेकिन रिंग रोड़ की भूमि शासकीय अभिलेखों में करीब 50 साल बाद भी दर्ज नहीं है. यानी ये स्पष्ट है कि रिंग रोड़ की जमीन अभी भी विभिन्न भूमी स्वामियों के नाम से दर्ज है और इन्हीं कागजों के आधार पर बैंकों से करोड़ों रुपए का लोन लिया जा रहा है.

देखे लल्लूराम के पास मौजूद दस्तावेज

जाने लल्लूराम डॉट कॉम के पास मौजूद स्टिंग की पूरी कहानी

लल्लूराम डॉट कॉम के सूत्र बताते है कि ये स्टिंग राजस्व मंत्री के बंगले का है. लेकिन जब ये स्टिंग हुआ तब मंत्री दौरे पर थे और उन्हें इस संबंध में किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है.

ये स्टिंग 23 जनवरी 2021 दोपहर करीब 2 बजकर 5 मिनट का है. जहां ये स्टिंग हुआ वहां मंत्री के ओएसडी अजय उराव, अतिरिक्त तहसीलदार अश्वनी कंवर, चंगोराभाठा के तत्कालीन पटवारी जागेश्वर प्रसाद चंद्राकर और संबंधित भूमि के स्वामी (खसरा नंबर 37/9) से जुड़े लोग मौजूद थे.

अब सवाल ये है ऐसा क्या हो गया जब मंत्री के ओएसडी, अतिरिक्त तहसीलदार और पटवारी को एक जगह मिलना पड़ा वो भी भू- स्वामी के सामने.

जबकि शासकीय काम तहसील न्यायालय और पटवारी दफ्तर से भी संभव है. अब आपको इसकी वजह बताते है.

सूत्रों की माने तो मंत्री के ओएसडी ने पहले पटवारी को फोन कर के उक्त जमीन की जानकारी ली और अपने दफ्तर में पूरे रिकार्ड के साथ बुलाया.

चूंकि मंत्री के दफ्तर से ओएसडी ने फोन किया था तो पटवारी दौड़े-भागे वहां पहुंच गए. जहां पहले से अतिरिक्त तहसीलदार और भूमि स्वामी मौजूद थे.

सूत्र बताते है कि ये दूसरी मीटिंग थी. पहली मीटिंग उसी कार्यालय में पहले हो चुकी थी. रिकार्डिंग में सुना और देखा जा सकता है कि वहां मंत्री के ओएसडी, अतिरिक्त तहसीलदार और पटवारी आपस में बात कर रहे है.

जिसमें पटवारी अपने अधिकारी यानी अतिरिक्त तहसीलदार को ये बता रहे है कि उक्त भूमि (खसरा नंबर 37) संदिग्ध खसरा की सूची में है. जो शासन के नियमों के मुताबिक विलोपन हेतु प्रस्तावित है. जिसका प्रतिवेदन स्वयः पटवारी के द्वारा अतिरिक्त तहसीलदार के न्यायालय में संदिग्ध खसरा सूची प्रस्तुत कर दी गई है. जिसे अतिरिक्त तहसीलदार के द्वारा अपने न्यायालय के प्रकरण में संलग्न प्रतिवेदन को फाड़ दूंगा/ हटा दूंगा यह बात कहते हुए साफ सुने जा सकते है.

ये है पूरा स्टिंग

https://youtu.be/xOrntF6IIpk