CG News:  रायपुर/बिलासपुर. खारंग जलाशय इस समय लबालब है. जल संसाधन विभाग ने 9 अगस्त को बाकायदा ऐलान किया था कि पानी छोड़ा जा रहा है और जिले के 212 गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा. विभाग ने यह भी दावा किया कि 100 प्रतिशत से अधिक क्षमता से भरे जलाशय से नहरों में हर मिनट 150 क्यूसेक लीटर पानी छोड़ा जा रहा है. कागजों पर यह राहत योजना किसानों की उम्मीद जगाने वाली थी. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है. मस्तूरी ब्लॉक के दो दर्जन गांवों में आज भी खेत प्यासे हैं और किसान आसमान की ओर ताक रहे हैं. खरीफ मौसम में धान की फसल के लिए यह बेहद ही महत्वपूर्ण सीजन है. अगामी पखवाड़े में धान के लिए पानी की मात्रा आगामी उत्पादन की मात्रा को तय करता है. लेकिन मस्तूरी ब्लॉक के दो दर्जन ऐसे गांव है जहां खेतों पर नजर डालें तो सुखे जैसी स्थिति नजर आती है.

पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी नहीं मिला पर्याप्त पानी

खारंग जलाशय में 100 फीसदी जल भराव होने के साथ ही जल संसाधन विभाग ने 9 अगस्त को जनप्रतिनिधियों के मौजूदगी में बड़े तामझाम के साथ खरांग जलाशय के दोनो तट से पानी छोड़ा गया था. एक पखवाडा बीत जाने के बावजूद जिन गांवों तक नहरों से पानी पहुंचना था, जल संसाधन विभाग की उदासीनता के कारण वहां अब तक 40 सेंटीमीटर से ज्यादा पानी नहीं पहुंच पा रहा है. इसके अलावा उपर के गांव वालों के द्वारा नहर हेडअप करके सिंचाई किए जाने के कारण टेल एरिया में पानी नहीं पहुंच पा रहा है.

अभी नहीं तो कब मिलेगा पानी

जल संसाधन विभाग की माने तो 10 वर्षों में यह पहली बार है जब किसानों की किसी विशेष मांग के बिना ही विभाग ने खुद ही पानी छोड़ने का फैसला किया है. दरअसल, जुलाई के मध्य तक बांध का वेस्टवियर ओवरफ्लो होने लगा था, जो अपने आप में रिकॉर्ड है. लेकिन खास बात यह है कि बांध में पर्याप्त पानी होने के बावजूद यदि जिले के किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा तो कम बारिश में क्या उम्मीद की जा सकती है.

विभाग का दावा खोखला

विभाग के अधिकारी लगातार दावा करते हैं कि किसानों को पानी मिल रहा है और फसलों को किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी. मगर जब नहरों के अंतिम छोर वाले गांवों में वास्तविक स्थिति देखी जाती है तो तस्वीर बिल्कुल उलट मिलती है. कई गांवों के किसानों ने साफ कहा कि खेतों में नमी बनाए रखने तक का पानी उपलब्ध नहीं है, जिससे बुआई और बढ़वार दोनों प्रभावित हो रही है.

विभाग से जिम्मेदारी की आस

खारंग का पानी कागजों और फाइलों में तो पूरे जिले के किसानों तक पहुंच रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत यह है कि लबालब जलाशय के बावजूद खेतों में सूखे जैसी स्थिति बनी हुई है. किसान अब या तो आसमान से बारिश का इंतजार कर रहे हैं या विभाग से जिम्मेदारी निभाने की गुहार लगा रहे हैं.

सिंचाई विभाग का कुप्रबंधन बड़ी वजह

सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब जलाशय पूरी तरह भरा हुआ है और पानी छोड़ा भी जा रहा है, तो आखिर खेतों तक क्यों नहीं पहुंच रहा. स्थानीय किसानों और ग्रामीणों का आरोप है कि सिंचाई विभाग की खराब प्रबंधन व्यवस्था और नहरों की देखरेख में लापरवाही ही इस संकट का मुख्य कारण है.