फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ में कोरोना का असर कम होने लगा है. लेकिन जंग अभी भी जारी है. कोरोना से लोगों को बचाने राज्य सरकार ने हर मोर्चे पर व्यापक तैयारी की है. पर्याप्त केंद्रीय मदद नहीं मिलने के बावजूद भूपेश सरकार गंभीर परिस्थितियों के बीच डटकर लड़ती रही. राज्य में मौजूद संसाधनों के बलबूते मौजूदा हालात को सरकार संभाल पाने में कामयाब रही है. हालांकि सरकार की चुनौतियां अभी समाप्त नहीं हुई है. कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस की एक बड़ी चुनौती भी आ गई है. इन तमाम स्थितियों के बीच भूपेश सरकार मुफ्त वैक्सीन, दवा, इलाज की दिशा में बेहतर तरीके से काम करती हुई नजर आ रही है. आइये आपको बताते हैं कि किस तरह से सरकार काम रही है.

ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) पर एडवाइजरी जारी

छत्तीसगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक नई बीमारी ने कोरोना से ठीक होने वाले लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. दरअसल ब्लैक फंगस नामक बीमारी से राज्य में अब तक करीब 50 लोग ग्रसित हो चुके हैं. राज्य सरकार के सामने इससे निपटने की एक बड़ी चुनौती है. लिहाजा सरकार ने ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) पर एडवाइजरी जारी कर दी है. सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अस्पतालों में ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) प्रकरणों से ग्रसित मरीज के प्रकरण आ रहे हैं. इन स्थितियों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पीड़ित मरीजों के उपचार हेतु राज्य के तकनीकी समिति के विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित स्टैन्डर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को जारी किया है. साथ ही बताया गया है कि राज्य में ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) का इलाज सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में किया जाएगा.

ब्लैक फंगस की सामान्य जानकारी व उससे बचने के उपाय

ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) एक फंगल संक्रमण है. यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाईयां ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है. यदि व्यक्ति के शरीर में यह फंगस सूक्ष्म रूप में शरीर के अन्दर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े प्रभावित होंगे जिससे गम्भीर बीमारी हो सकती है. यदि इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया गया तो यह घातक हो सकती है.
यह बीमारी किसे हो सकती है

यह बीमारी कोविड-19 मरीजों में जो डायबीटिक मरीज हैं या अनियंत्रित डायबीटिज वाले व्यक्ति को, स्टेरोईड दवाईयां ले रहे व्यक्ति को या आई.सी.यू. में अधिक समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है. यदि निम्नानुसार लक्षण दिखे तो चिकित्सक से तुरंत सम्पर्क करना चाहिए.

बीमारी के लक्षण

आंख/नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना, चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाक/तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढ़िला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना.

कैसे बचा जा सकता है

धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर.

ब्लैक फंगस: हर जिले में उपलब्ध रहेगी हर जरूरी दवा

ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विशेष निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि इस बीमारी से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम तत्काल उठाए जाए. साथ ही बीमारी के उपचार के लिए आवश्यक हर जरूरी दवा हर जिले में पर्याप्त मात्रा में हो.

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद से स्वास्थ्य अमला और जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर है. सभी जिलों में ब्लैक फंगस से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. इस बीमारी के रोकथाम के लिए लगने वाली आवश्यक दवाएं पोसाकोनाजोल एवं एम्फोटेरसिन-बी औषधियों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता हर जिले में सुनिश्चित की जा रही है. खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक द्वारा सभी जिलों में पदस्थ औषधि निरीक्षकों के माध्यम से सभी जिलों में औषधि पोसाकोनाजोल एवं एम्फोटेरेसिन-बी (समस्त डोसेज फॉर्म, टेबलेट, सीरप, इंजेक्शन एवं लाइपोसोमल इंजेक्शन) की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है.

वहीं औषधि निरीक्षकों को यह भी निर्देशित किया गया है, कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र के भीतर समस्त होलसेलर, स्टॉकिस्ट, सीएंडएफ से उक्त औषधियों की वर्तमान में उपलब्ध मात्रा की जानकारी प्रतिदिन प्राप्त करें और अपने क्षेत्र के सभी औषधि प्रतिष्ठानों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करें.

कोरोना के नियंत्रण में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की महत्वपूर्ण भूमिका

कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की महत्वपूर्ण भूमिका है. प्रदेश में व्यापक स्तर पर संचालित किए जा रहे कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के बेहतर परिणाम सामने आए हैं. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की राज्य स्तर पर मॉनिटरिंग कर रहे नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने बताया कि प्रदेश में कोरोना महामारी की शुरूआत के साथ ही संक्रमितों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी शुरू कर दी गई थी. लगातार बढ़ते संक्रमण दर को थामने और संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग से बहुत मदद मिल रही है.

12 हजार से अधिक अधिकारी-कर्मचारी लगे हैं कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में

प्रदेश भर में संचालित कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में 12 हजार 435 अधिकारियों-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. सभी जिलों में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग टीम बनाकर पॉजिटिव पाए गए लोगों के नजदीकी संपर्क में आए व्यक्तियों के स्वास्थ्य की जानकारी ली जा रही है. लक्षण दिखने पर कोरोना जांच भी कराई जा रही है.

इसके लिए उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा अन्य विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवाएं ली जा रही हैं। प्रत्येक जिले में इसके लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त डॉ. सी.आर. प्रसन्ना राज्य स्तर पर इस अभियान का समन्वय कर रहे हैं.

पॉजिटिव व्यक्ति के 48 से 72 घंटे के भीतर संपर्क में आए लोगों का चिन्हांकन

कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए बचाव के उपायों और इलाज के साथ ही संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का चिन्हांकन तथा उनमें लक्षण दिखने पर या उच्च जोखिम वाले लोगों की तत्काल जांच जरूरी है ताकि संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सके। उन्होंने बताया कि कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग टीम द्वारा कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति के 48 से 72 घंटे के भीतर संपर्क में आए लोगों का चिन्हांकन कर आवश्यक कार्यवाही की जा रही है।

कोरोना संक्रमण की दर को नियंत्रित करने और संक्रमण की कड़ी तोड़ने मरीज के संपर्क में आए व्यक्तियों का चिन्हांकन कर, प्राथमिकता तय कर सैंपलिंग और आइसोलेशन किया जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि चार-पांच कोरोना संक्रमितों के संपर्क में करीब 30 लोग आते हैं. इनमें कुछ लोगों में संक्रमण का खतरा ज्यादा और कुछ में कम होता है. संक्रमित के संपर्क में आए ऐसे लोग जिनमें किसी तरह के लक्षण दिख रहे हैं या ज्यादा जोखिम वाले वर्ग जैसे 60 वर्ष से अधिक के व्यक्ति, गुर्दा रोग, कैंसर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग इत्यादि से ग्रसित एवं गर्भवती महिलाओं का सैंपल लेकर आइसोलेट करने की कार्यवाही की जाती है. ऐसे कॉन्टैक्ट जिनमें किसी तरह के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं, उन्हें छह दिनों बाद कोरोना जांच के लिए सैंपल देने कहा जाता है.

दवा, इलाज और आइसोलेशन

संपर्क में आए व्यक्तियों को संक्रमण से बचाव के लिए एसओपी के मुताबिक दवा किट दी जा रही है. संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए उन्हें आइसोलेट भी किया जा रहा है. कोरोना जांच के बाद संक्रमित पाए जाने पर होम आइसोलशन या कोविड अस्पताल या कोविड केयर सेंटर में उनके पूर्ण उपचार की व्यवस्था भी की जा रही है.

कोविड से पीडि़त बच्चों के आश्रय और संरक्षण के लिए विशेष हेल्प लाइन

महिला एंव बाल विकास विभाग द्वारा कोविड 19 के फलस्वरूप पालकों और अभिभावकों से वंचित होने वाले बच्चों तथा ऐसे बच्चों की देखभाल में असमर्थ पालकों की सहायता के लिए चाइल्ड हेल्पडेस्क का संचालन किया जा रहा है. हेल्पडेस्क के माध्यम से कोरोना पीडि़त बच्चों के आश्रय, संरक्षण के संबंध में सही जानकारी एवं समुचित परामर्श लिया जा सकता है. साथ ही कोविड परिस्थिति से पालकों एवं बच्चों में उत्पन्न मानसिक तनाव एवं आशंका संबंधी परामर्श भी दिया जाएगा.

कोविड 19 के समय में बच्चों की देखभाल और संरक्षण की ओर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता हैं. इस आपदा के कारण कई बच्चों ने अपने माता पिता को खोया हैं. कई माता-पिता कोविड संक्रमण के कारण बच्चों की देखभाल में असमर्थ हो सकते हैं. कोविड 19 के कारण उदभूत परिस्थिति के कारण पालको एवं बच्चों के मन में कई प्रकार की आशंकाएं एवं चिंता भी उत्पन्न हो रही है. ऐसे समय में सही सहारा एवं उचित परामर्श मिलना जरूरी हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा विशेष हेल्पलाइन 1800-572-3969 प्रारम्भ की है.

इसके अलावा चाइल्ड लाइन 1098 एवं महिला हेल्पलाईन 181 पर भी संपर्क किया जा सकता हैं. व्हाट्सएप्प नंबर 9301450180 एवं ईमेल [email protected] पर भी संदेश प्रेषित कर इन हेल्पडेस्क के माध्यम से बच्चों के आश्रय, संरक्षण के संबंध में सही जानकारी एवं समुचित परामर्श ले सकते हैं.