रायपुर– मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट गोधन न्याय योजना से छत्तीसगढ़ के गांवों में खुशहाली नजर आने लगी है. यह योजना अब ग्रामीण जनजीवन के केन्द्र बिन्दू में है और गांव के सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियों में गोधन न्याय योजना की छाप सीधे तौर पर नजर आने लगी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा राज्य में पशुधन संरक्षण, ग्रामीणों, पशुपालकों और किसानों को अतिरिक्त आय के साथ -साथ जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 20 जुलाई 2020 को गोधन न्याय योजना की शुरूआत की गई थी. इस योजना के तहत् गौठानों में 2 रूपए किलो की दर से गोबर क्रय कर महिला समूहों के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद तैयार करने की शुरूआत की गई है. राज्य में निर्मित 5586 गौठानों में अब तक 47.65 लाख क्विंटल गोबर क्रय किया जा चुका है, जिसके एवज में गोबर विक्रेताओं को 95 करोड़ 31 लाख रूपए का भुगतान किए गए हैं.
गौठानों में अब तक 2 लाख 26 हजार 316 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन और एक लाख 21 हजार 172 क्विंटल खाद का विक्रय किसानों एवं शासकीय विभागों को किया गया है. गौठानों में अब महिला स्व सहायता समूहों द्वारा सुपर कम्पोस्ट खाद भी तैयार की जाने लगी है. गौठानों में संचालित विभिन्न आय मूलक गतिविधियों से स्व सहायता समूहों को अब तक 18 करोड़ 64 लाख रूपए की आय प्राप्त हुई है. खास बात ये है कि गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों ने 44.55 प्रतिशत महिलाएं हैं.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की पुण्य तिथि के मौके पर गोधन न्याय योजना के तहत राज्य के 72 हजार ग्रामीणों, पशुपालकों को 15 मार्च से 15 मई के मध्य गौठानों में बेचे गए गोबर के एवज में 7.17 करोड़ रूपए का भुगतान भी किया है. इस अवसर पर सीएम भूपेश ने गौठानों में निर्मित सुपर कम्पोस्ट खाद किसानों के विक्रय के लिए लॉच किया. इसके तहत किसानों को रियायती दर पर उच्च जैविक विशेषताओं वाली सुपर कम्पोस्ट खाद सहकारी समितियों में 02 किलो, 05 किलो और 30 किलो के बैग में मिलेगी, जिसका न्यूनतम मूल्य 6 रूपए किलो है. गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ अब सुपर कम्पोस्ट खाद का भी उत्पादन किया जा रहा है.
सीएम भूपेश बघेल ने इस मौके पर बताया कि गोधन न्याय योजना के तहत राज्य में गोबर की खरीदी वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ सुपर कम्पोस्ट खाद के निर्माण और महिला स्व सहायता समूहों द्वारा आजीविका की गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि गोबर विक्रेता किसानों को 7.17 करोड़ रूपए की राशि जारी करने के साथ ही स्व सहायता समूहों और गौठान समितियों को 3.06 करोड़ रूपए की लाभांश राशि जारी की जा रही है. सीएम ने जानकारी दी है कि गोबर विक्रेताओं को गोधन न्याय योजना के अंतर्गत अब तक 95.31 करोड़ रूपए प्रदान किए जा चुके हैं.
गोधन न्याय योजना से ग्रामीण महिलाओं को हो रहा विशेष लाभ
राज्य के ग्रामीण इलाकों के साथ साथ शहरी इलाकों में भी गोबर से बने उत्पाद गोकाष्ठ, कण्डे, अगरबत्ती और वर्मी वॉश जैसे उत्पाद तैयार और विक्रय कर महिलाएं अपने भविष्य संवारने के साथ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं. गोधन न्याय योजना गांव के साथ-साथ शहरी क्षेत्र में भी रोजगार का एक सशक्त माध्यम बन कर उभरी है. बात करें धमतरी नगरपालिक निगम क्षेत्र की,तो यहां नवज्योति शहर स्तरीय संघ से जुड़ी 175 महिलाएं गोबर से विविध उत्पाद बना रही है.
धमतरी में इस समूह की महिलाएं शहर से कचरा संग्रहण करने के बाद सुबह आठ से दोपहर तीन बजे दानीटोला वार्ड में स्थित एसआएलएम सेंटर की अलग-अलग यूनिट में वर्मी कम्पोस्ट के अलावा गोकाष्ठ (गोबर की लकड़ी), कण्डे, अगरबत्ती और वर्मी वॉश तैयार करती हैं. संघ की अध्यक्ष मधुलता साहू ने बताया कि निगम क्षेत्र में ऐसे चार सेंटर संचालित हैं, जहां वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जाता है, साथ ही कण्डे, गौकाष्ठ, वर्मी वॉश और अगरबत्ती भी तैयार किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर निर्मित गौकाष्ठ की काफी मांग है. नगर निगम के आयुक्त ने बताया कि बताया कि यहां उत्पादित गौकाष्ठ को निगम क्षेत्र के अलावा नगर पंचायतों में भी आपूर्ति की जा रही है, जहां अलाव के तौर पर जलाने के साथ-साथ ढाबों में ईंधन (चूल्हा) के रूप में, शवदाह गृहों में शवों को मुखाग्नि देने तथा हवन-पूजन में लकड़ी के विकल्प के तौर पर आहुति देने का भी कार्य किया जा रहा है.
इसी प्रकार कांकेर जिले के गौठानों में गौ-सेवा के साथ ही महिला स्व-सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, बत्तख पालन, सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन जैसी आर्थिक गतिविधियां संचालित की जा रही है, जो उनको आर्थिक रूप से समृद्ध बना रही है. नरहरपुर विकासखण्ड के श्रीगुहान गौठान में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा बारिश के दिनों में सब्जी की खेती से दो महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 06 लाख रूपये का सब्जी विक्रय किया गया है. वर्तमान में भी उनके द्वारा सब्जी उत्पादन का कार्य किया जा रहा है.
श्रीगुहान के गौठान में जय मॉ तुलसी महिला स्व-सहायता समूह और जय मॉ लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा साग-सब्जी की खेती की जा रही है, उनके द्वारा बारिश में करेला, बरबट्टी, भिण्डी, लौकी, टमाटर, धनिया इत्यादि का उत्पादन किया गया, जिससे उन्हें भरपूर आर्थिक लाभ हुआ. जय मॉ तुलसी महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने सब्जी उत्पादन कर 04 लाख 50 हजार रूपये में विक्रय कर 02 लाख 80 हजार रूपये की शुद्ध आमदनी हुई है. इस समूह के महिलाओं द्वारा गौठान के पास 02 एकड़ भूमि लीज में लेकर उनके द्वारा सब्जी-भाजी की खेती की जा रही है. इसी प्रकार जय मॉ लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा 01 लाख 50 हजार रूपये की सब्जी का विक्रय किया गया है.
गोबर बेचकर प्रारंभ किया खुद का व्यवसाय
गोधन न्याय योजना अर्थव्यवथा को एक मजबूत आधार देने के साथ ही आम लोगों के सपनों को भी पूरा कर रही है. इस योजना का लाभ लेकर किसी ने गाय खरीदी, किसी ने मोटर सायकल तो किसी ने अपनी जीविकापार्जन की गतिविधियों के लिए पैसे जुटाए. कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड सिंघारी गांव के वासुदेव सिंह धुर्वे ने गोधन न्याय योजना से जो पैसा कमाया,उससे अपने घर में ही च्वाइस सेंटर खोलकर अपनी जीविका का स्थायी जरिया बना लिया है.वासुदेव सिंह ने बताया कि इससे उनकी हर महीने करीब 6 से 7 हजार रूपए की अतिरिक्त आमदनी हो जाती है.
वासुदेव ने बताया कि उनका परिवार सिंघारी गौठान में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर का विक्रय योजना के प्रारंभ से ही लगातार कर रहा है. अब-तक उन्हें लगभग 114 क्विंटल गोबर बिक्री से 22,800 रूपए प्राप्त हो चुकी है. उन्होंने बताया कि इस राशि से वे एक कम्प्यूटर सेट क्रय कर अपने घर में च्वाइस सेन्टर का काम संचालित कर रहे हैं. उन्होंने अपने नाम से आईडी भी ली है.वासुदेव ने बताया कि पिछले आठ महीने से वे चॉइस सेंटर का काम कर रहें हैं और इसमें उन्हें नियमित आमदनी होने लगी है. उन्होंने बताया कि च्वाइस सेन्टर के काम का उन्हें पहले से ही अनुभव था. वह तहसील ऑफिस बोड़ला के लोक सेवा केन्द्र में 150 रूपये रोजी में प्रतिदिन काम भी कर चुका है. वासुदेव ने बताया कि स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब वे वर्तमान में आई.टी.आई से कम्प्यूटर का कोर्स भी कर रहे हैं. उन्होंनेे बताया कि भविष्य में उनकी योजना गांव में बड़ी सी दुकान खोलने की हैै और उन्हें पूरा विश्वास है कि गोधन न्याय योजना से उनका यह सपना भी पूरा हो जाएगा.
किसानों को हो रही अतिरिक्त आमदनी
गोधन न्याय योजना से किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो रही है. वर्मी कम्पोस्ट के जरिए जैविक खेती की ओर किसान बढ़ रहे है. योजना के माध्यम से तैयार होने वाले वर्मी कम्पोस्ट खाद की बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से हो रही है. किसानों के साथ-साथ वन, विभाग, कृषि, उद्यानिकी, नगरीय प्रशासन को पौधरोपण एवं उद्यानिकी खेती के समय जैविक खाद भी मिलने लगा है. गोधन न्याय योजना से स्थानीय लोगों और किसानों के लिए रोजगार उपलब्ध हो रहें है. पशुओं की भी अच्छी देखभाल हो रही है. किसानों और पशुपालकों दोनो के लिए बेहतर योजना सबित हो रही है. इसके अलावा इस योजना से पशुओं के खेतों में जाने पर भी लगाम लगी है. महासमुंद जिले के बम्हनी गांव के ईश्वर यादव ने एक लाख लगभग 91 हजार रूपए का 95 हजार 500 किलो गोबर बेचा है. ईश्वर यादव ने बताया कि इनके पास 55-57 गाय-भैंस है.वहीं बसना ब्लाॅक के सकरी गौठान में बिहारी पशुपालक किसान ने 60 हजार किलो से अधिक गोबर बेचकर एक लाख 20 हजार से अधिक की राशि कमाई है.
गोबर से बने उत्पाद बना आजिविका का साधन
गोधन न्याय योजना‘ के तहत् खरीदी गई गोबर से बनाई गई उत्पाद आजीविका का साधन बन रहे है.. गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के साथ ही अन्य उत्पादन जैसे गोबर के दिये और जैविक कीटनाशक का निर्माण किया जा रहा है. बालोद जिले के कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने बताया कि गोधन न्याय योजना से गांव की आर्थिक गतिविधियों में तेजी दिखाई दे रही है.उन्होंने बताया कि महिला स्वसहायता समूहों एवं गौठान समितियों के द्वारा गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के अलावा, फिनाइल, गोबर के दिये आदि अन्य गतिविधियां संचालित की जा रही है.
कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट एवं वर्मी कल्चर निर्माण हेतु बालोद जिले के गौठान समितियों एवं स्व-सहायता समूहों को सरकारी विभागों द्वारा गोबर, फसल व अन्य जैविक अवशेष एकत्रीकरण, वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, वर्मी कल्चर उत्पादन, वर्मी कम्पोस्ट की पैकेजिंग, भण्डारण एवं विक्रय की जानकारी से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया. उन्होंने बताया कि जिले के 158 गौठानों में 2857 वर्मी बेड स्वीकृत किया गया है, जिसमें से 1805 वर्मी बेड का निर्माण हो चुका है. 1351 वर्मी टांके भरे गये है तथा 955 वर्मी टांका में केचुआ (वर्म) डाला गया है, जिससे 287.10 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया गया है, जिसका प्रयोगशाला में गुणवत्ता परीक्षण के पश्चात समितियों के माध्यम से 250 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा और आम लोगों को जैविक खाद से उत्पादित अनाज, दाल, तिलहन, फल, सब्जी मिल सकेगा. इससे कृषकों की आमदनी में भी इजाफा होगा.
चरवाहा और पशुपालकों की आमदनी बढ़ी
छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना ग्रामीणों, किसानों, गौपालकों के साथ-साथ चरवाहों के लिये वरदान साबित हो रही है. इस योजना के तहत गौठानों में गोबर बेचने वाले ग्रामीणों एवं पशुपालकों, चरवाहों को हर पखवाड़े में अच्छी खासी आमदनी हो रही है, जिसके चलते उनकी दैनिक जीवन की जरूरतें सहजता से पूरी होने लगी है. छत्तीसगढ़ सरकार की इस बहुआयामी एवं लाभकारी योजना ने देश-दुनिया को आकर्षित किया है.
छत्तीसगढ़ राज्य में पशुपालन एवं जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई यह योजना वर्तमान में ग्रामीणों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय हो गई है. इस योजना का लाभ उठाकर प्रदेश के पशुपालक, चरवाहा और स्व-सहायता समूह की महिलाएं स्व-रोजगार एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर होने लगे हैं. इस योजना के क्रियान्वयन में सक्रिय सहभागिता निभाने वालों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित करने का सिलसिला भी शुरू किया गया है. गोधन न्याय योजना के माध्यम से बेमेतरा जिले के गाम रामपुर के चरवाहा रमेश यादव को अब तक कुल 55 हजार रूपए से अधिक की राशि गोबर बेचने के एवज में मिल चुकी है, जिससे उन्होंने नई मोटरसाइकिल क्रय करने के साथ ही अपने दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 5 भैंसें खरीदी हैं. चरवाहा रमेश यादव दुग्ध व्यवसाय से जुड़े हैं, जिससे उन्हें हर महीने अच्छी खासी आमदनी होने लगी हैं. गोधन न्याय योजना शुरू हो जाने से उन्हें गोबर बेचने से अतिरिक्त लाभ होने लगा है. रामपुर गांव के ही प्रगतिशील किसान घनश्याम यादव ने 35 भैंसें पाल रखी हैं, दूध बेचकर वह रोजाना अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं. गोधन न्याय योजना से अब तक घनश्याम को कुल 46 हजार रूपए से अधिक का लाभ हुआ है. इस राशि से वह नई कुट्टी-दाना मशीन खरीदने की योजना बनाए हैं. चरवाहा रमेश और कृषक घनश्याम के पशुपालन व्यवसाय से प्रभावित होकर रामपुर गांव सहित आसपास के ग्रामीण भी पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय को अपनाने लगे हैं.
कुल मिलाकर जिन अहम उद्देश्यों को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना की शुरुआत की थी, गांवों में गोधन से जुड़ी गतिविधियां देखने पर सफल नजर आती है. योजना के शुरुआती दस महीनों में ग्रामीण इलाकों में यह प्रवृत्ति दिखने लगी है कि लोग अब गौवंश के पालन पोषण में रुचि लेने लगे हैं. गोबर से होने वाली आमदनी लोगों के जीवनस्तर में सुधार का जरिया बन गई है. गोबर से होने वाली आमदनी ने कई गरीब लोगों की जिन्दगी में उम्मीद की नई किरण पैदा कर दी है. जैसे जैसे गांवों में गौठानों का विस्तार होता जायेगा,इस योजना से जुड़ने वालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा होगा.गोबर खाद के उत्पादन बढ़ने से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा और बाजार में जिस तरह जैविक उत्पादों की मांग बढ़ी हुई है,उसका फायदा सीधे तौर पर प्रदेश के किसानों को मिलेगा. किसानों में रासायनिक खाद की निर्भरता कम हो जायेगी,जिससे उनका इन्पुट कास्ट भी कम होगा. फिलहाल अभी तो योजना को शुरु हुए साल भर नहीं हुए हैं,लेकिन योजना की शुरुआती सफलता से ये बात तय है कि आने वाले दिनों में यह योजना छत्तीसगढ़ के ग्रामीण विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी.