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रायपुर. राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से राजधानी के लाभांडी में आज ‘महिला स्वास्थ्य‘ विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला की अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया ने की. यहां विशेषज्ञों की उपस्थिति में पोषण अभियान के तहत महिलाओं के स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता संबंधित प्रभावी व्यवहार परिवर्तन पर चर्चा की गई. इस दौरान पोषण माह का कैलेण्डर, गाइडलाइन की किताब का विमोचन किया गया. साथ ही सुघ्घर आंगनबाड़ी बनाने स्वमूल्यांकन कार्यक्रम की शुरूआत की गई. इस अवसर पर रेडी-टू-ईट से बने पौष्टिक व्यंजन, छत्तीसगढ़ी व्यंजनों, भाजियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी.
महिला एवं बाल विकास मंत्री भेंड़िया ने कहा कि, पोषण माह सभी प्रकार के कुपोषण को दूर करने के लिए लोगों को संगठित करने और पोषण को प्राथमिकता देने का एक अवसर है. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कुपोषण मुक्ति के लिए पोषण अभियान के अलावा मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू किया गया है. जिससे प्रदेश में कुपोषण में कमी आई है. महिलाओं में एनीमिया में भी कमी देखी गई है. इसकी दूसरे प्रदेशों में भी तारीफ हो रही है. घर-घर जाकर सुपोषण के प्रति जागरुक करने से धीरे-धीरे आम लोग भी कुपोषण मुक्ति के अभियान जुड़ते जा रहे हैं. पहले की अपेक्षा महिलाएं जागरुक हुई हैं.
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आगे उन्होंने कहा कि, बालिकाओं को भी पोषण का महत्व समझाना चाहिए, जिससे वे आने वाली मजबूत पीढ़ी के लिए तैयार हो सकें. उन्होंने कहा कि लोगों को बच्चों को गोद लेने और उन्हें स्वस्थ बनाने के लिए भी आगे आना चाहिए. कुपोषण से सुपोषण की ओर आगे बढ़ना जनभागीदारी के बिना संभव नहीं हो सकता. घर-घर तक सुपोषण का संदेश पहुंचने से ही छत्तीसगढ़ सुपोषित छत्तीसगढ़ बन पाएगा.
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि, किशोरों में पोषण के प्रति जागरुकता महत्वपूर्ण है. उन्होंने बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बढ़ाने और स्कूली बच्चों को सुपोषण अभियान से जोड़ने के लिए आवश्यक सुझाव दिए. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष तेज कुंवर नेताम ने कहा कि, गर्भवती महिलाओं के पोषण का ध्यान रखा जाएगा, तो आने वाली पीढ़ी भी सुपोषित होगी. उन्होंने गर्भावस्था के दौरान पोषण के महत्व और परिवार में पुरुषों और महिलाओं की भूमिका पर जोर दिया।.
विभागीय सचिव भुवनेश यादव ने प्रदेश में कुपोषण मुक्ति के लिए किए जा रहे प्रयास और उपलब्धियों को बताते हुए कहा कि, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से लगभग 50 प्रतिशत बच्चे कुपोषण मुक्त हो चुके हैं. पोषण माह के दौरान जनजागरुकता के लिए प्रदेश में कई कार्यक्रम संचालित होंगे. महीने भर चलने वाला यह अभियान बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण संबंधी परिणामों में सुधार पर ध्यान केंद्रित करेगा.
पोषण में सुधार के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के प्रमुख जॉब जकारिया ने कहा कि, मुख्यमंत्री सुपोषण कार्यक्रम देश में एक अच्छा मॉडल है. उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 69 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु कुपोषण से होती है. कुपोषण से 5 से 10 प्रतिशत तक बच्चे आईक्यू भी कम हो सकता है. पोषण हर बच्चे का अधिकार है, इस अधिकार को सुनिश्चित करना हर व्यक्ति, परिवार और समुदाय का कर्तव्य है. इस अवसर पर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य पुष्पा पाटले, महिला बाल विकास की संचालक दिव्या उमेश मिश्रा, विभागीय जिला अधिकारी-कर्मचारी सहित यूनिसेफ के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
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