बिलासपुर। इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल सर्च कॉलेबोरेशन (नासा पार्टनर) के द्वारा स्वामी आत्मानंद शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिलासपुर के व्दारा खोजे गये 2 एस्टेरॉयड (asteroid) को प्रारंभिक तौर पर नई खोज माना गया है. सप्तर्षि इंडिया एस्टेरॉयड सर्च कैंपेन 9 अक्टूबर से प्रारंभ हुआ और 3 नवंबर को समाप्त होगा. इस सर्च कैंपेन में विश्व के कई केन्‍द्रों से छुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) सर्च कैंपेन जारी है.

स्वामी आत्मानंद शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ के गणित विषय के व्‍याख्‍याता डॉक्टर धनंजय पाण्डेय के मार्गदर्शन में विद्यालय के विद्यार्थी, मोहनीश ध्रुव, पंकज केवट, दीपांशु प्रजापति, अभिसेख, कुमारी याशना जयसवाल एवं कुमारी दीपमाला ए०टी०एल० बिलासपुर लैब एवं सप्तर्षि इंडिया एस्टेरॉयड सर्च कैंपेन के तहत ‘एटीएल एमेचर एस्ट्रोनॉमर्स’ की टीम बनाकर भाग ले रहे हैं. छत्तीसगढ़ से यह एकमात्र संस्था है जिसे सप्तऋषि इंडिया ने इस कैंपेन में भाग हेतु चयनि‍त किया है.

इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल सर्च कॉलेबोरेशन की ओर से उनके दो टेलीस्कोप से वैज्ञानिक प्रक्रिया से लिए गए आसमानी छायाचित्र (PS1 और PS2 इमेज) भेजे गये. एक महीने के अंतराल में ऐसे लगभग २५ इमेज सेट प्राप्त हुये, जो आसमान के सैकड़ों तारों और अन्य खगोलीय ऑब्जेक्ट से भरे हुए थे. खगोलविज्ञान डाटा विश्लेषण के लिये एस्ट्रोनॉमिका सॉफ्टवेयर से एस्टेरॉयड के तय मानकों के अनुसार प्रत्येक छायाचित्र में मौजूद चलायमान ऑब्जेक्ट का विश्लेषण विद्यार्थियों ने किया. तय मानकों में खरा उतरने वाले ऑब्जेक्ट को इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल सर्च कॉलेबोरेशन को रिपोर्ट किसा गया.

माइनर प्लैनेट सेंटर व्दारा वैज्ञानिक मानकों के अनुसार फिर जांच की गई और खरा उतरने पर प्रारंभिक (प्रिलिमिनरी) डिटेक्शन की मान्यता दी गई है. इसके बाद अब लगभग एक वर्ष तक विभिन्न मानकों पर जांच की जायेगी और खरा उतरने पर प्रोविजनल डिस्कवरी के रूप में मान्य किया जायेगा. करीब पांच वर्ष तक वैज्ञानिकों व्दारा गहन अध्ययन के उपरांत ऑब्जेक्ट को नंबर्ड डिस्कवरी का तमगा मिलेगा. इस स्टेज के बाद प्रिलिमिनरी डिटेक्शन करने वाली टीम को समय आने पर ऑब्जेक्ट का नामकरण करने का मौका दिया जाता है.