रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठान समितियों, स्व सहायता समूहों और गोबर विक्रताओं के खाते में 3 करोड़ 7 लाख 18 हजार रुपए की राशि अंतरित की. अंतरित राशि की गई इस राशि में गौठान समितियों और स्व सहायता समूहों का 2 करोड़ 45 लाख रूपए का लाभांश शामिल है. गोधन न्याय योजना के अंतर्गत अब तक गौठानों में क्रय किए गए गोबर के एवज में 95 करोड़ 94 लाख रुपए का भुगतान किया गया है. जिससे एक लाख 68 हजार 531 पशुपालक किसान और ग्रामीण लाभांवित हुए हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में गोधन न्याय योजना की सफलता के लिए इस योजना के क्रियांवयन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भागीदार सभी लोगों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने गोधन सुपर कंपोस्ट मोबाइल एप का भी लोकार्पण किया.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि गोधन न्याय एक ऐसी योजना है, जिसके कई लाभ हैं. यह योजना समाज के सभी वर्गों और लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. गोधन न्याय योजना से पशुधन का संरक्षण और संवर्धन, फसल एवं पर्यावरण की सुरक्षा, गोबर विक्रय से ग्रामीण और पशुपालकों को आय, वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद के निर्माण से महिला स्व सहायता समूहों को रोजगार व आय का जरिया और जैविक खेती को प्रोत्साहन मिला है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट खाद के उपयोग से खाद्यान्न की गुणवत्ता व उर्वरा शक्ति में सुधार और खेती की लागत में कमी आ रही है. जिसका लाभ किसानों को मिलने लगा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्मी कंपोस्ट का खेती-किसानी में प्रयोग के बेहतर परिणाम देखने और सुनने को मिल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जो डेयरी व्यवसाय संचालन अथवा गौपालन करना चाहते हैं. उनके लिए गोधन न्याय योजना के कारण यह अब आसान हो गया है. क्योकि गोबर के विक्रय से उन्हें अतिरिक्त लाभ मिलेगा. मुख्यमंत्री ने राज्य में निर्मित समस्त गौठानों के संचालन के लिए समितियों का गठन व उन्हें सक्रिय करनेे के निर्देश दिए, ताकि इसका लाभ मिल सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि सक्रिय गौठानों में गोबर खरीदी से ग्रामीण और पशुपालकों की आय बढ़ी है, जिससे उनके लिए दैनिक जीवन में उपयोगी सामग्रियों को क्रय करना आसान हुआ है.
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि गोधन न्याय योजना की पूरे देश में चर्चा है. पार्लियामेंट कमेटी ने केंद्र सरकार से इस योजना को लागू करने की अनुशंसा की है. उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से पशुपालकों, किसानों से 96 करोड़ रूपए की गोबर खरीदी से ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि स्व सहायता समूहों से जुड़ी 80 हजार महिलाओं को आजीविका का काम मिला है. वह अपने पैरों पर खड़ी हुई हैं. मंत्री चौबे ने कहा कि अभी मात्र 5590 गौठान सक्रिय हैं, जबकि 9950 गौठान के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है. सभी गौठानों को सक्रिय होने से लाभ और बढ़ जाएगा. कार्यक्रम के प्रारंभ में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से योजना की अब तक की उपलब्धियों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि गौठानों से जुड़ी महिला स्व सहायता समूहों को आयमूलक गतिविधियों से 27.78 करोड़ रुपए की आय प्राप्त हुई है. गौठानों में उत्पादित 3 लाख 6 हजार 770 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट में से एक लाख 44 हजार 320 क्विंटल खाद का विक्रय किया जा चुका है. राज्य के 5590 गौठानों में से 913 गौठान स्वावलंबी बन चुके हैं.
कार्यक्रम में गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडि़या, मुख्यमंत्री के सलाहकार रूचिर गर्ग व प्रदीप शर्मा, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कृषि विभाग के विशेष सचिव व गोधन न्याय योजना के नोडल अधिकारी डॉ. एस. भारतीदासन, उद्यानिकी एवं पशुचिकित्सा संचालक माथेश्वरन वी. और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
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