रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम मामले में छत्तीसगढ़ लघु उद्योग संघ के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है. लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी राशि पर ब्याज पर कोई ब्याज, चक्रवृद्धि ब्याज या दंड ब्याज लोन लेने वालों से नहीं लिया जाएगा. मोरेटोरियम पीरिड के दौरान और इस तरह की कोई भी राशि अगर पहले से ही चार्ज किया गया है, तो वापस कर दिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 2 करोड़ के आरबीआई गैप को गलत ठहराया है. ब्याज पे ब्याज लगाने वाले आदेश को भी गलत बताया है. इस याचिका पर लंबे समय तक सुनवाई हुई. बैंक की तरफ से भी वकीलों ने अपना पक्ष रखा. इस मसले पर दायर तमाम याचिकाओं में कि गई अन्य मांगों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह नीतिगत मामला है. अदालत को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
केंद्र सरकार ने 2 करोड़ रुपये तक की उधारी पर राहत देने की घोषणा पहले ही कर चुकी है. जो करीब 6 हजार 500 करोड़ रुपए हैं. सुप्रीम कोर्ट की घोषणा के बाद सरकार को और 7000 से 7500 करोड़ रुपये की राहत देनी होगी.
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान कामकाज ठप पड़ा हुआ था और व्यापारियों से बैंक से लिए लोन को देने में परेशानी आ रही थी. जिसके बाद छतीसगढ़ लघु एवं सहायक उद्योग संघ बिलासपुर, सचिव एसके चतुर्वेदी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र श्रीवास्तव और आशीष श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. आरबीआई की ओर से 27 मार्च 2020 और 22 मई 2020 को जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी. आरबीआई ने इन नोटिफिकेशन में यह निर्देश दिया था कि ऋण जमा करने की अवधि तो बढ़ा रहे हैं, लेकिन उन्हें (ऋण लेने वालों को) ब्याज पर ब्याज देना होगा.