छत्तीसगढ़ में राज्य शासन ने खरीफ वर्ष 2023-2024 के लिए 1 नवंबर से धान खरीदी काम शुरू कर दिया है. लेकिन अब भी राज्य के कई ऐसे धान उपार्जन केंद्र है जहां अब तक बोहनी तक नहीं हुई है. रायगढ़ के 104 धान उपार्जन केंद्रों में का भी यही हाल है. इसके कई कारण सामने आए है, जैसे इस साल वर्षा में देरी के कारण इस वर्ष खेती का काम पिछड़ गया, जिसका असर खरीदी पर भी पड़ा है. मोटे धान की कटाई शुरू हो चुकी हैं वहीं पतला धान को तैयार होने में पखवाड़े भर का समय लगेगा.

धान खरीदी को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखे तो लगता है कि प्रमुख पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में समर्थन मूल्य में वृद्धि का ऐलान किया है, जिसे देखते हुए किसान धान बेचने में देरी कर रहे है. हालांकि चुनावी नतीजे जो भी हो कर्ज माफी या धान खरीदी में बढ़ोतरी का लाभ किसानों को मिलने ही वाला है.

धान बेचने के बाद खाते से कट जाती है कर्ज की राशि

धान खरीदी को लेकर यह भी कहा रहा है कि अभी धान बेच देने से खाते में राशि आते ही कर्ज की राशि खाते से कट सकती है. इसके कारण भी धान खरीदी केंद्रों में किसानों के नहीं पहुंचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. धान खरीदी केंद्रों के समिति प्रबंधक उपार्जन केंद्रों में तराजू बाट लेकर खाली बैठे है किंतु किसान धान बेचने के फिराक में नजर नहीं आ रहे है.

धान बेचने की किसानों में नहीं हड़बड़ी! धान खरीदी के पहले दिन कई जिलों में नहीं हुई बोहनी…

रायगढ़ के 105 में 104 धान उपार्जन केंद्रो में नहीं हुई बोहनी

विपणन विभाग के मुताबिक इस साल जिले में 5 लाख एमटी का टारगेट है लेकिन अब तक कोड़ातराई के अलावा कही भी कोई खरीदारी नहीं की गई है. रायगढ़ जिले में 105 धान उपार्जन केंद्र है, इनमे से 69 धान खरीदी केंद्र है. इस सभी धान खरीदी तथा उपार्जन केंद्रों में से मात्र कोड़ातराई ही एक ऐसा धान खरीदी केंद्र है जहां 60 क्विंटल धान की खरीदी की गई है.104 धान उपार्जन केंद्रों में अब तक न खरीदी किया गया है और न ही बोहनी हुई है. इसके कारण ज्यादातर खरीदी केंद्रों के समिति प्रबंधक से लेकर ऑपरेटर हमाल यहां तक तौल करने वाले कर्मचारी भी खाली बैठे किसानों का रास्ता देख रहे है.

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