रायपुर/बिलासपुर.  छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दुर्ग नगर निगम से जुड़े मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने इसे त्रुटिपूर्ण और अस्पष्ट करार दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों से न्यायालय का समय नष्ट होता है. हालांकि याचिकाकर्ता को नई याचिका दायर करने की छूट दी गई है, लेकिन इसके लिए 10 हजार रुपये का जुर्माना भरना होगा. यह राशि रायपुर स्थित शासकीय दिव्यांग महाविद्यालय माना कैंप को दी जाएगी.

यह है मामला

कोरबा निवासी अशोक कुमार मित्तल (59) ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि दुर्ग नगर निगम समझौते की आर्बिट्रेशन क्लाज (क्लाज 1.18) को लागू करे. निगम उन्हें ब्लैकलिस्ट करने की कार्यवाही न करें क्योंकि उनकी अपील प्राधिकरण के समक्ष लंबित है. साथ ही अन्य उपयुक्त राहत और याचिका खर्च की मांग भी की गई थी.

याचिकाकर्ता ने यह दी दलील

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने खुद स्वीकार किया कि याचिका में की गई प्रार्थनाएं गलत तरीके से ड्राफ्ट की गई हैं और उचित भी नहीं हैं. इसलिए उन्होंने याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी, ताकि सही प्रार्थनाओं के साथ नई याचिका दायर की जा सके.

कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

 हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने स्वयं माना कि याचिका गलत तरीके से ड्राफ्ट की गई है. इस पर अदालत ने कहा कि यह याचिका बेहद लापरवाही और कैजुअल तरीके से दायर की गई है. जिससे अदालत का बहुमूल्य समय नष्ट हुआ. मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने कहा कि यह याचिका लापरवाही से और अस्पष्ट प्रार्थनाओं के साथ दायर की गई है.