पुरुषोत्तम पात्र. गरियबन्द. 32 साल पहले होली में होने वाले हुड़दंग से बचने सीनापाली ने सूखी होली खेलना शुरू किया, पहले साल पूरा गांव व आश्रित अन्य 4 गांव के चुनिंदा लोग शामिल हुए, अब सूखी होली खेलने 50 से भी ज्यादा गांवों से 10 हजार लोगों की भीड़ जुटती है.

  68 वर्षीय ग्राम पटेल रोहित मांझी ने बताया कि तब वह युवा हुआ करते थे. उन्होंने बताया कि देवभोग ब्लॉक मुख्यालय (गरियाबंद जिला) से 7 किमी दूर बसे गांव सीनापाली में सूखी होली खेलने की परंपरा 32 साल पहले शुरू हो गई थी.

  होली को अक्सर हुड़दंग का पर्याय मान बैठते हैं. ऐसे माहौल में 32 साल पहले गांव में सूखी होली की सात्विक परपंरा की शुरुआत करने वाला सीनापाली अविभाजित एमपी का शायद पहला गांव होगा. जलसे की शुरुआत 3 दिन पहले राम नाम जाप यज्ञ से शुरू हो जाती है.

ये 33वां जलसा होगा… मां बहनों की पहली पसंद यहां की सूखी होली

 इस बार 33वीं सूखी होली खेली जाएगी. सीनापाली की होली की ख्याति अब ब्लॉक  ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य ओडिशा तक फैल चुकी है. भयमुक्त होकर यहां महिलाएं होली खेलती हैं. सीनापाली की सूखी होली महिलाओं की पहली पसंद बन गई है. होली के दिन दूर-दूर से 10 हजार सेये 33वां जलसा होगा… मां बहनों की पहली पसंद यहां की सूखी होलीभी ज्यादा लोग यहां होली खेलने आते हैं. बीते 32 साल में बगैर किसी हुड़दंग के सीनापाली में होली खेली जा रही है.

ग्राम के युवा संभालते हैं व्यवस्था

 होली के दिन विशेष भंडारे का आयोजन होता है. ग्राम पंचायत, स्थानीय लोग व श्रद्धालुओं के सहयोग से भंडारे का सफल संचालन होता है. ग्राम के सारे युवा भोजन, पानी, पार्किंग से लेकर सूखी होली को सफल बनाने दिन रात अपनी जिम्मेदारी को संभालते हैं.

जानिए इस जलसे के जन्म की कहानी…..

(1) 1990 में हुआ था हुड़दंग इसलिए सहमति से बनी ये परंपरा

ग्राम पटेल पिता डमरूधर मांझी व तत्कालीन सरपंच बालूराम अग्रवाल समेत गांव के अन्य प्रमुखों के साथ मिलकर 32 साल पहले मनाई गई होली के 15 दिन पहले सूखी व सादगीपूर्ण होली खेलने का प्रस्ताव रखा था. 1990 की होली में नशापान कर होलिका दहन के दिन गांव में हुए हुड़दंग व मारपीट ने पूरे इलाके में तनाव पैदा कर दिया था. 1991 की होली को सादगीपूर्ण मनाने उस वक़्त सीनापाली पंचायत के आश्रित ग्राम बाड़ीगांव, मुरगुड़ा, कैठपदर, बोइरगुड़ा के प्रमुखों की भी राय ली गई. दो दौर की बैठक के बाद अन्य 4 गांवों की सहमति नहीं मिली पर यह निर्णय लिया गया कि सीनापाली में सादगीपूर्ण होली खेली जाएगी.

(2) 7 दिन पहले से मास-मदिरा बंद, 3 दिन पहले से यज्ञ, एक ही जगह बनता है भोजन

तय फैसले के मुताबिक होलिका दहन से 7 दिन पहले ग्राम में कोई भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करेगा. नियम का पालन हो, उसके लिए गांव के मुख्य चौराहे पर 16 प्रहर यानी तीन दिन पहले से राम नाम जाप यज्ञ कराया गया. एकजुटता बनी रहे इसलिए होली तक एक जगह भोजन बनाकर खाने का भी निर्णय लिया गया. कोटवार ने गांव भर में इसकी मुनादी कर तय अर्थदंड के प्रावधान का एलान कर दिया, तब से लेकर आज तक इस नियम का पालन होते आ रहा है.

(3) कीर्तन मंडली की थाप पर राधा-कृष्ण के साथ खेलते हैं होली

   नाम यज्ञ की पूर्णाहुति होलिका दहन के दिन होती है. अगली सुबह होली के दिन यज्ञ पंडाल में कृष्णजी के रूप में मौजूद शख्स दही हांडी को फोड़ता है. फिर केवल गुलाल से होली खेलने की शुरुआात होती है. होली के दिन भंडारे में बनी खीर पूरी का पकवान ही सामूहिक रूप से भोजन में लिया जाता है.