रायपुर. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक शिवरतन शर्मा ने राज्य में कोरोना संक्रमण के चलते अपनी जान गवां चुके लोगों को अब कोरोना से मृत्यु का प्रमाण पत्र तक नहीं दिए जाने पर प्रदेश सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा किया है. केंद्र सरकार द्वारा कोरोना संक्रमितों और उससे मृत लोगों के परिजनों, अनाथ हो चुके बच्चों के लिए की गई कल्याणकारी घोषणाओं के लाभ से राजनीतिक बदनीयती से वंचित रखने का आरोप लगाते हुए शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार अपने सत्तामद में चूर होकर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की अवहेलना भी कर रही है, जिसमें सभी राज्यों को कोरोना-मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने को कहा गया है.

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमितों और मृतकों के आंकड़ों में बड़ा खेल हुआ है और इसकी काफी चर्चा प्रदेश में हो चुकी है, लेकिन बावजूद इसके अपनी गलती सुधारने के प्रदेश सरकार अब अपनी चमड़ी बचाने के लिए और पीड़ितों-प्रभावितों को उनके लाभ से वंचित करने में लगी है और इसी एजेंडे के तहत कोरोना मृतकों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र तक नहीं दिए जा रहे हैं. शर्मा ने बताया कि बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के सिमगा ब्लॉक के रोहरा ग्राम निवासी एक ही परिवार के चार सदस्यों की अप्रैल माह में महज 10 दिनों में ही कोरोना से मौत हो गई, लेकिन मृतकों के परिजन तब से लगातार मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन इस परिवार को अब तक कोरोना मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है. इस मामले का सबसे हृदयविदारक पहलू यह है कि प्रमाण पत्र के लिए बिलासपुर के निजी कोविड सेंटर से लेकर हर सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते इस परिवार का एक और सदस्य कोरोना संक्रमित होकर अपनी जान गवां बैठा है.

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शर्मा ने इस बात पर हैरत जताई कि उक्त प्रकरण में मृत महिला का प्रमाण पत्र इसलिए नहीं मिल रहा है क्योंकि संबंधित अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक मृतका की एंटीज़ेन रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. अब सवाल यह है कि जब रिपोर्ट नेगेटिव आई थी तो मृतका को कोविड वार्ड में भर्ती क्यों किया गया था? रेमिडेसिविर इंजेक्शन क्यों लगाया गया था? कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उनका अंतिम संस्कार क्यों किया गया? शर्मा ने इस समूचे प्रकरण को संवेदनहीनता की पराकाष्ठा बताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना की रोकथाम, जांच और उपचार को लेकर लापरवाही की सारी हदें तो पार की ही है, बाद में मृतकों के आंकड़ों में हेरफेर करने के आरोपों से घिरने के बाद अब मुआवजा और अन्य लाभ देने की ज़िम्मेदारी से मुंह चुराने और प्रमाण पत्र के लिए पीड़ित परिवारों को दर-दर की ठोकरें खाने के लिए विवश करने का शर्मनाक कृत्य भी कर रही है. शिवरतन ने मांग की जिनका भी अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ उनके मृत्यु प्रमाण पत्र पर मृत्यु का कारण कोविड लिखा जाए.