हकीमुद्दीन नासिर, महासमुंद। ‘सच्ची लगन, कठोर परिश्रम और दृढ़ निश्चय हो तो सफलता आपकी कदम चूमती है.’ यह बात महासमुंद जिले के 13 वर्षीय बालक जय प्रसाद दुबे पर एकदम सटिक बैठती है. प्रदूषण के खतरे को देखते हुए जय प्रसाद ने एक इलेक्ट्रिक कार (गाड़ी) बनाई है. छह महीनों की मेहनत के बाद तैयार यह इलेक्ट्रिक कार एक बार चार्ज करने पर छह किमी की दूरी तय करती है.

आठवीं कक्षा में पढ़ने वाला जय प्रसाद दुबे अपने चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर है. जय के पिता एक निजी फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. बचपन से ही इलेक्ट्रिक उपकरण को जोड़कर कुछ न कुछ बनाने वाले जय प्रसाद की हरकत से परिजन परेशान रहते थे. लेकिन जय की प्रतिभा को दोहा कतर में नौकरी कर रहे उनके मुंहबोले भाई समरपाल बैस पेशे से मेकेनिकल इंजीनियर ने समझा और उसकी जरूरत के हिसाब से जरूरी उपकरण ऑनलाइन खरीद कर दिया.

स्कूल में प्रदूषण को लेकर होने वाली चर्चा से प्रेरणा लेते हुए जय ने इलेक्ट्रिक कार बनाने की सोची. जय बताता है कि इस पर उसने इंटरनेट में निकोला टेस्ला की बुक सर्च कर उसकी पढ़ाई की, इसके बाद इलेक्ट्रिक कार बनाने के लिए जरूरी सामान जुटाना शुरू किया. कुछ सामान भाई समरपाल बैस ने ऑनलाइन खरीदकर भेजा. जय बताता है कि पहले दो प्रयासों में उसे असफलता मिली, लेकिन हार नहीं मानी और अपने तीसरे प्रयास में सफल रहा.

जय के इलेक्ट्रिक कार में 5 हाॅर्सपावर का एक मोटर, मोटर कंट्रोलर, लाॅक सिस्टम, लाइट, एक्सीलेटर, चार्जिंग कंट्रोलर, चार 12V की बैटरी, चार साइकिल का पहिया लगाकर हुआ है. 22 हजार रुपए की लागत से बनी यह कार एक बार चार्ज करने पर 6 किमी की दूरी तय करती है, यही नहीं 80 किलो का वजन भी उठा लेती है. जय अब आने वाले दिनों में डॉक्टर रोबोट बनाना चाहता है.