यह पाकिस्तान के वूमेन डेमोक्रेटिक फ्रंट का तैयार किया इंकलाबी तराना है। इस फ्रंट का गठन 8 मार्च 2018 को हुआ था और यह तराना पहली बार 7 मार्च 2020 को इस फ्रंट की सदस्यों ने गया था। यह इंकलाबी है. इसमें जुल्म और शोषण का विरोध है. इसमें हुकूमत को ललकारती महिलाएं हैं, इसमें उम्मीद है,इसमें अवाम की एकजुटता के लिए संघर्ष का इरादा है. इसलिए शायद यह हमारे लबों पर चढ़ नहीं पाया!
हम कुलीन लोग हैं। सोशल मीडिया को हमने जिंदगी का सच मान लिया है, बना लिया है और हम उसी से संचालित जमात में तब्दील हो चुके हैं। अभी–अभी पाकिस्तान की एक 19 साल की लड़की हिंदुस्तान में भी बड़ी लोकप्रिय हुई है। पाकिस्तान के उच्च वर्गीय संस्कारों की प्रतिनिधि दानानीर नाम की इस लड़की ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की और उसके बाद से क्या पाकिस्तान, क्या हिंदुस्तान दोनों ही जगह सोशल मीडिया पर pawry ( पार्टी ) girl छा गई।
बॉलीवुड से लेकर पाकिस्तान फिल्म उद्योग और दोनों देशों के राजनीतिज्ञों से लेकर आम लोग सोशल मीडिया पर इस पावरी–तूफान में गोते लगा रहे हैं।
मीडिया के एक तबके ने इस बात पर संतोष जताया कि इस बहाने दो देशों के बीच सीमाओं का बंधन और नफरत का बांध कुछ तो टूटा। कथित मुख्यधारा की मीडिया का ये ऐसा तबका था जिसे अभिजात्य तबके की किसी चीज से आमतौर पर एतराज नहीं होता।
बॉलीवुड से रणवीर सिंह अगर पार्टी गर्ल के डायलॉग को फॉलो कर ले तो भारत पाकिस्तान एकता जिंदाबाद है ,लेकिन अगर एक नौजवान आंदोलनजीवी युवती इसी देश में कहीं भारत पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा ले तो उसके हिस्से धमकियां और गिरफ्तारियां होंगी! कोई अगर फैज़ अहमद फैज़ की नज़्म हम देखेंगे गुनगुना दे तो वो राष्ट्रविरोधी,आंदोलनजीवी और न जाने क्या क्या हो जायेगा!
हम सब कुलीनता पसंद लोगों के बीच हुकूमत से टकराने का हौसला रखने वाली, दुनिया बदलने का सपना देखने वाली इन पाकिस्तानी महिलाओं का क्रांतिकारी तराना pawry जितना लोकप्रिय नहीं हो पाया।हमारे किसी चॉकलेटी अभिनेता ने भी शायद इस तराने को सुना ना हो।
हम सब सोशल मीडिया पर गुदगुदाने वाले कंटेंट के साथ बहने वाला समाज होते जा रहे हैं।
सोशल मीडिया का जो चरित्र आज है उसमें परिवर्तन,विरोध,सवाल,मुद्दे कम पसंद किए जाते हैं।
सोशल मीडिया हमारे लिए सिर्फ गुदगुदी की pawry रह गया है।
उसकी ताकत को हम अपने गैस सिलेंडर या पेट्रोल डीजल सस्ता करवाने में उपयोग नहीं करते।हम दिल्ली बॉर्डर पर दो सौ किसानों की शहादत से भी खुद को जुड़ा हुआ नहीं पाते।अन्नदाता अगर सड़क पर हो तो इसी सोशल मीडिया पर साजिशन फैलाए गए कंटेंट से हम बहुत जल्दी समझ जाते हैं कि ये राष्ट्रविरोधी खालिस्तानी ही होंगे!!!
सोशल मीडिया का ये चरित्र हमारी चेतना को जड़ता में बदल रहा है। राजनीति की हमारी शिक्षा के स्रोत सोशल मीडिया पर फैली फेक न्यूज ही हैं। कोई विचारधारा आज हमें बता दे कि विभाजन के लिए गांधी जी जिम्मेदार हैं तो दुर्भाग्य से हमारे सोचने का नजरिया वही हो जाता है!!!
सच,तथ्य,इतिहास गुदगुदाता नहीं है ,भड़काता नहीं है,उन्मादी नहीं बनाता है, और हम तो मानो सभ्य समाज से अपना नाता तोड जाहिल समाज का हिस्सा बनने को बेताब होने लगे हैं !
महिला दिवस बीत रहा है। इसके बीतते बीतते ही सही परिवर्तनकामी महिलाओं के सपने को अभिव्यक्त करते इस तराने को सुन लीजिए ,शेयर कर लीजिए..।
दरअसल हिंदुस्तान पाकिस्तान के अवाम की एकता का संगीत pawry में नहीं इन्हीं तरानों में ,ऐसी ही नज्मों ,गीतों और गजलों में है।सुनिए ,गुनगुनाइए.